Book Title: Adi Puran Part 2
Author(s): Jinsenacharya, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

Previous | Next

Page 562
________________ ५४४ प्रत्येय = विश्वास योग्य ३५।१२४ प्रथन = युद्ध २८।१३४ प्रमास = प्रकृष्ट कान्तिसे युक्त ३०।१२३ प्रभूत = बहुत भारी ४१७१ प्रमथ = भूत ४१।३७ प्रयुरस युद्ध इच्छा ३६।३७ प्रवयस् = वृद्ध २७।१२० प्रवालवन = मूंगे का प्रशेमुषी = प्राच्य = दिलानेके ३५।२३४ शान्त होती हुई २८।१५४ प्रश्रय : विनय ३५।१०६ प्रभवी विनवी ३५४७ प्रष्ट = = श्रेष्ठ ४३।३८ प्रस्थ = शिखर ३५।१५३ प्रसह्य = हठपूर्वक जबरदस्ती ३५।१७२ प्रह्नता = नम्रता ३४।२२३ प्राकृत = साधारण पुरुष ४३।४५ प्राक्तनी = पूर्वभव सम्बन्धिनी ३६।१८८ पूर्वदिशाके करने की = वन राजा ३०।११२ प्राजितृ = सारथि २८|१०४ प्राज्य = श्रेष्ठ ३६ । २०४ प्राशबुद्धिमान् ३५॥७ प्रातिकूल्य प्रतिकूलता ३५०५ प्रातोप्य शत्रुता २८।१४९ प्राकृत्य बन्धनमें डालकर = ३५।७० प्राबोधिक = जगानेके कार्यमें नियुक्त चारण ३५।२२६ प्रारोहित = अंकुरित २९।१३५ प्रावृषेण्य = = वर्षाऋतु-सम्बन्धी ३२।६९ प्रांशुऊंचे ३६।५५ प्रासुक= जोवरहित ३८।१५ प्रासिक भाले धारण करने वाला. २७।१११ आदिपुराणम् प्रेपस्कर पतिका हाव फ फालिनीफलमनी के = २८ ३९ फल ब बद्धकक्ष = तत्पर ३४।१४५ बन्ध = बन्धन ३६।९७ यन्धूक = लाल रंगके पुण्यविशेष जिन्हें दुपहरिया के फूल कहते हैं । २६।२१ बलपरिवृढ = सेनापति ३५।२४९ बलाम्भोधि = सेनारूपी समुद्र ३५॥१ बाणासन = पुष्पविशेष जिन्हें झिण्टि कहते हैं २६।२४ बाणासन = धनुष ३६।२४ बालार्क = प्रातः कालका सूर्य ३५।२३५ = बालिश मूर्ख ४६।१९२ बाल्हीक = बाल्हीक देशके घोड़े ३०|१०७ बाह्यालिकास्थल = खेलका मैदान ३७/४७ वृंहित हाथियोंकी = चिग्धाड़ ३४।१८५ = आत्मतेज ३९।१०१ ब्रह्मसूत्र = जनेऊ २६/६३ ब्राह्मण = एक वर्ण ३८ ४६ भ भग्नरद = जिसका दाँत टूट गया है ३५।११५ भटब्रुव = मटव अपनेको मूठ-मूठ योद्धा कहनेवाला २८।१३१ भवदेव पर भवदेवके जीव ( भूतपूर्वो भवदेवो भवदेवचरः ) ४६ । १४४ भर्मकुम्भ: = स्वणकलश ४३।२१० भास्वत् = सूर्य ३५।२३३ भिदा = भेद ३५।११५ भूध = पर्वत ३६।२१० भूभृत् = पर्वत, राजा ३५।१५७ भूति = सम्पत्ति ३५।११४ भृगुपात = पर्वतोंके ऊपरी भागसे नीचे गिरकर मरना ३०/७० भेरुण्ड = एक पक्षी ४७।४४ भोग = साँपका फन ३६ । १०८ भोगिन् ३६०१७१ भ्रातृजाया = भाईकी ३५।१३४ भ्रातृमाण्ड = भाईरूप मूलधन ३४।५९ स्त्री म मकरकेतन = कामदेव ३५।१८४ मकरालय = समुद्र ३५/६८ मगधावास = मगध नामक देव का निवासस्थान ३५/७१ मधु = वसन्त ऋतु ३७।१२० मधुकरव्रज = भ्रमरसमूह २६।६ मन्त्रविद्याचण = मन्त्रविद्या के प्रसिद्ध विद्वान् ३५।१० मन्दसान = हंस २६।१८ मनोभू काम ३५१८६ मन्दाक्रान्ता = मन्द गमन करने. बाली २८।१९२ = = मन्दुरा = घुड़साल २९।१११ मन्यु क्रोध ३५।१९२ महानक = बड़े-बड़े नगाड़े ३७।७ महापितृवन = महाश्मशान ३४।१८२ : = महाभिजन महाकुल ४२३७ | महाहव = महायुद्ध ३७।१५९ महास्थान = सभामण्डप ४१।१५ महीक्षित् = = राजा ३७।३२ महीयस् अत्यन्त महान् = १४।२१८ मागधायितम् = स्तुति पाठकोंके समान आचरण किया २९।३९ मातृकल्प = माताके समान ३४।१९१ माधवी = वसन्त ऋतु सम्बन्धो २०४६

Loading...

Page Navigation
1 ... 560 561 562 563 564 565 566