Book Title: Adi Puran Part 2
Author(s): Jinsenacharya, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith
________________
विशिष्ट शब्द-सूची
लोग
चोलिक = चोलदेशके
२९।९४
५४१ स्वच्यम् = त्वचापर काम देने
वाली ३५।१४ सरु = तलवार आदिको मठ
तके= कुत्सिता : ते तके ३४।६३ तदातना = तत्कालसम्बन्धी
२९।१०७ तनुत्राण = कवच ३७।१५९ तनुभूषा = शरीररूपी साँचा
३४।२१२ तनुभृत = कृश ३४।२०८ तनुत्रक= कवच ३६।१४ तन्त्र = स्वराष्ट्र चिन्ता ४१।१३७ तन्त्रभूयस्त्व = सेनाकी अधिकता
३६।३० तपस्तनूनपात् = तपरूपी अग्नि
३६।११३ तपात्यय = वर्षा ऋतु ३७१३१ तमिस्रा = अँधेरी रात ३४।१८४ तमामुख = रात्रिका प्रारम्भ
त्विष = कान्ति ३८? त्रिक = नितम्ब ३८।३२ त्रिपथगा = गङ्गा ३७।२५ त्रिदिवौकस =देव ३५।६९ विधात्मक युद्ध = १ दृष्टियुद्ध,
२ जलयुद्ध, ३ मल्लयुद्ध
३६।४२ त्रियामा=रात्रि ३४११६०
जगदजगदगार = लोक और ___ अलोकरूपी भवन ३५।२४० जडप्रिय = मोंके प्यारे, (पक्ष
में जलप्रिय, जिन्हें जल प्रिय
है ) २६।१९ जयसाधन = विजयी सेना
३५१७५ जयाङ्ग = विजयका साधन
३६।३० जलवाहिन् = मेघ ३४।१५६ जलार्दा = पंख ३५।१९३ जातकर्म = जन्मसंस्कार . २६॥४ जातरूप = नग्नमुद्रा ३९१७८ जातरूप = सुवर्ण ४५।१७२ जाति = जन्म ४६।३३५ जात्यश्व = उच्च जातिके घोड़े
३०।१०५ जलाशय = जलका आधार,
जड़बुद्धिवाला २८।१७२ जलोत्पीड = जलका समूह
२८।११० जिस्वरी =जीतनेवाली ३७।६१ जिनवृष = जिनेन्द्र ३४।२२३ । जिनार्चा=जिनप्रतिमा ३८.७१ जिनास्थानभूमि = समवसरण
भूमि ४१।१८ जिष्णु = विजयी ३६।५४ जीमूतदन्तिन् = मेघरूपी हाथी
तमोऽवगुण्ठिता = अन्धकार समूह
से आच्छादित ३५।१७० तरणि = सूर्य २७।१०० तरणाङ्गोपीविन = नाव चला
कर ६।५७ तके = कुत्सित आजीविका करने
वाला ३५।१८० तलवर = कोतवाल ४६।३०४ ।। तारकित = ताराओंसे व्याप्त
२६।२६ तितिक्षा = क्षमा ३६।१२९ तिग्मांशु = सूर्य ३५।१५२ तिरीट = मकुट २८।१५८ तिमिरकरिन् = अन्धकाररूपी
हाथी ३५।२३२ तुज = पुत्र ४५।६७ तुरुष्क = तुर्की घोड़े ३०।१०६ तेजः=भामण्डल ३५।२४४ तैतिल = तैतिल देशके घोड़े
३०।१०७ तोक = पुत्र ४५।६७ त्वदुपकमम् = तुम्हारे-द्वारा प्रब
तित ३४।३४
दक्षिणापरदिग्भाग = नैऋत्य
दिशा ३०११ दण्ड =दण्डरत्न अथवा सेना
३५।१२६ दरी = पर्वतको गुफा ३४।१८६ दरोद्भिन्न = कुछ-कुछ प्रकट
३७१५१ दर्भशय्या = कुशाकी शय्या
३५।१२५ दशनच्छद = ओठ ३५।२१४ दाक्षिणात्य = दक्षिणदिशा
सम्बन्धी २९७७ दानव = भवनबासी देव ४१।२६ दिगिभवदन = दिग्गजका मुख
३५।२३४ दिधक्षु = जलानेका इच्छुक
४४।११ दिविजनाथ = इन्द्र ३५।२३८ दुष्कलत्रवत् = खोटी स्त्रीके
समान ३६७१ दुःश्रुति = खोटे शास्त्र ४११४९ दीक्षा = व्रत धारण करना ३९।३ दुरारोह = जिनपर चढ़ना कठिन
है ऐसे पर्वत २९।७२ दुरापा = दुष्प्राप्य ३४।१६८ दुर्ललित = गवित मस्त ३४।१०४ दूना = दुःखी होती , हुई
३५।१९०
जीवकाय = जीवोंका समूह
३४।१९४ जुहूषति = बुलाना चाहता है
३४।१०३ जैत्र = विजयी ३४॥३७ ज्यायस = अत्यन्त श्रेष्ठ
३०४।१२४
हुण्डम = पनया साँप ३५।११३
Page Navigation
1 ... 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566