Book Title: Adi Puran Part 2
Author(s): Jinsenacharya, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 556
________________ ५३८ अमा = साथ ४५।७ अमुत्र = परलोकमे ३४०११० अमोघपाती = अवपाती ३५॥७२ अम्बर = आकाश, वस्त्र ३६।२२ अम्बरमणि सूर्य ३४।१० = अरत्नि = मुट्ठी बंधा हुआ हाथ ३५।१३१ अररीपुट किवाड़ोंकी जोड़ी : = ३१।१२४ भरण्यानी- भयंकर अटवी ३६।८१ = अर्क - सूर्य ३५ १६९ अर्ककान्त सूर्यकान्तमणि = ३४।४२ अलक = केश, आगेके बाल २६६ अलिनी = भ्रमरी ३५।२३५ अल्पदर्क = मोड़े फलवाला ३५।१४४ अवष्टम्भयष्टिका = सहारेको लकडी ३७१४३ अवन्ध्य = अव्यर्थ ३५।८६ अवश्याय बर्फ, ओसकी बूंदे = २७।१०३ अवस्कराशन = विष्टाका भोजन ४६।२८१ = परराष्ट्रचिन्ता अवाय = ४१।१३८ अवारपारीण दोनों पार, तटोंमें होनेवाले २९॥७४ अन्यध्या= पीड़ासे ३४।१५६ अशन = आहार ३४।१९२ अशनीयित = वज्रके ਹਿਰ समान आचरण करनेवाला ३७।१६६ अश्वीय = घोड़ोंका समूह ३६।३ अंशुमत् = सूर्य ३८|१ अशाश्वत = भंगुर, नाशशील 1 ३४।१२१ अशिव = अमांगलिक ३४।१८२ आदिपुराणम् असन सहजनाके वृक्ष २६/५२ असाध्वंस = निर्भय ३४१७९ असंस्कृत = संस्काररहित ३५६३ असिपुत्रिका = छुरी ३७।१६५ असुमति = मूर्ख, दुर्बुद्धि २८।१८२ अस्मदुपज्ञम् = मेरे द्वारा प्रारम्भित ४१।१२ अत्र = आँसू ३५।२३१ अहः = दिन ३५।१५१ अंहस् पाप ४४।६७ = अहिमत्विष् = सूर्य ३५।१६० श्रा = अकम्पन के आकम्पनि : पुत्र हेमांगद आदि ४३ । २३१ आकाशवाराशि= आकाशरूपी समुद्र ३५।१६३ आकालिकी = अस्थिर २९।१०७ आकुलाकुल = अत्यन्त आकुल २८।१२४ आगःपराग = अपराधरूपी धूलि ३५।१२७ = आगाढ = प्रविष्ट ३६।५३ आजि युद्ध ४४।११९ आजीमुख रणाग्रभाग ३७।१६८ आजानेय उच्चजातिके घोड़े = = ३०।१०८ आत्रिक = इसलोक ३८।२७१ आचून बहुत खानेवाला २८।७६ आध्यानमात्रम् = स्मरण करते - ही ३६।६६ आपूर्ति = अकम्पन ३५।१४० आधोरण = हाथी के महावत - सम्बन्धी ४४।२०५ आनन्द = हर्ष ३४/५५ आनाय = जाल ३५।११ आनुषत्रिणी- गौण ४१।११९ आपाटल = कुछ-कुछ गुलाबी = ३७/९० - आप्तीय = आप्त-जिनेन्द्र सम्बन्धी वचन ३९।२ आमिष = मांस ३९।२७ आमुत्रिक = परलोकसम्बन्धी ३८ २७१ आमुष्यायण = प्रसिद्ध पितासे उत्पन्न पुत्र ३९।१०९ आयुरालानक- आयुरूपी सम्भा ३६।८८ = आयुधालय = शस्त्रागार ३७।८५ आयुधः = युद्धपर्यन्त ४५।३ आयति = उत्तरकाल ४१।५४ आयुष्मन् हे चिरंजीव ३५४८८ आरसित = शब्द ३४।१७८ आरट्ट = आरट्ट देश के ३०।१०७ आरेका = शंका ३९/१४३ आर्जुनम् = चाँदीका ३३।९६ आर्षभी = भगवान् सम्बन्धी ३४।२१६ घोडे ऋषभदेव आलष्ट = कुपित ३४।१८६ आलान = हाथी बाँधनेका स्तम्भ २९/१३६ आवर्जित = वशीकृत ३७१८७ आवसथ = स्थान ३४ । १९२ आवान् = आता हुआ २९।१६४ आविष्ट = प्रविष्ट, घुसा हुआ ३५११० आशा = दिशा और अभिलाषा २६।२२ आशितम्भव = सन्तोष, ३४११८ भारत निष्ठिति = तृप्ति शास्त्रकी समाप्ति पर्यन्त ३८।१६१ आशु = शीघ्र ३९ । २१० आसन्नभव्य = निकटभव्य ३९।८२ आसिस्वादयिषु = स्वाद लेनेका इच्छुक ४३।४७ आसेतुहिमाद्रि = लेकर ३७।२०३ सेतुबन्धसे हिमगिरि तक आस्माकी मेरी ३८५ आस्थायिका = सभा ४६।२९९ आहव = युद्ध ३५।१२९

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