Book Title: Adi Puran Part 2
Author(s): Jinsenacharya, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 555
________________ विशिष्ट शब्द-सूची अधित्यका = पर्वतका ऊपरी अकथन = स्वयं अपनी प्रशंसा मैदान ३३।३१ करनेवाला ३५।२३. अधीयान = पढ़ता हुआ। अकामसायक= कामबाण ४७.८० ३९।१०३ अकालचन्द्र = अपमृत्यु ३४।११ अर्धती = अध्ययनकुशल अकृतकस्नेह = वास्तविक प्रेम ३६।१०५ ३५।२१७ अध्यध्वम् = मागमें ३१५ अक्षरपद = अविनाशी पद मोक्ष अनगार = मुनि ३८७ ३४।१९७ अनन्यज = काम ३५।१९२ अक्षरम्लेच्छ = हिंसादिमें प्रवृत्ति अनन्तुकामाः= नमस्कार करनेकरनेवाला ४२।१८४ के अनिच्छुक ३४।२२० अङ्गसाद = शरीरपोड़ा ३६।८७ अनंशुक = किरणरहित, नग्न अग्रेसर - प्रधान ३४।२२३ ३५।१५७ अगोष्पद = जहाँ गायोंका भी अनाविल = निर्दोष ३९।९ प्रवेश असम्भव है - अत्यन्त अनाश्वान् = उपवास करनेवाला निर्जन २७।३३ ३६।१०७ भग्रज = बड़े भाई भरत चक्रवर्ती अनिकेत = निवासरहित मुनि ३६९१ ३४।१७४ अग्रजन्मा = ब्राह्मण ४०।९० अनुदात्तता = निकृष्टता, नीचता अग्निकार्य = होम ३९।१११ ३६१९१ अचेलता = नग्नता ३६।१३३ अनुदन्ति = हाथियों के पीछे अजयूथ = बकरोंका समूह ४४।७९ ४११६८ अनुद्विग्न = उद्वेगरहित अञ्जसा = यथार्थ ३४।१३७ ३४।१८३ अतन्द्रालु = प्रमादरहित ३९।१०० अनुपानत्क = जूतासे रहित अतन्द्रित =आलस्यरहित ३८।१५५ ३९।१९३ अतिकम =दोष - अतिचार अनुशय = पश्चात्ताप ३५॥१९८ ३१११३५ अनूचान = शास्त्रका सांगोपांग अतिगृध्नुता = अत्यासक्ति अध्ययन करनेवाले ३४।२१७ ३५।११० अनेकपेङ्गित = हाथीकी चेष्टा अतितिक्षा = अक्षमा, क्रोध ३४।१२० ४६।३१२ अतिरेकिणी = अधिक ३४।२११ अन्तर = स्थान ३४।१८५ अतिबालिश्य = अतिमूर्खता अन्तर = भेद ३५।११ ४११३२ अन्तःप्रकृतिज = मूलवर्गमें उत्पन्न अद्रीन्द्र = मेरुपर्वत ३७३३२ हुआ ३५।१८ अद्रीश = सुमेरु पर्वत २६।७२ - अन्वीय = अनुकूल ३५।२३ अन्दुतनतुक = बाँधने की साँकल २९।१३७ अन्धतमस = गाढ़ अन्धकार ३५।१७१ अन्यपुष्ट = कोयल ३७.१२० अपक्षपतित = पक्षपातसे रहित ४२१२०० अपराग = द्वेषरहित ३५।२३८ अपदान = पराक्रम ३२१७४ अपध्वान्त = अन्धकारसे रहित ३५।७४ अपचिति = पूजा ४२।२०७ अपवर्ग = मोक्ष ३४॥२१६ अपत्रपा = लज्जा ३६।२०५ अपाय =विघ्न ३४।१९४ अप्रतिष्कश = असहाय-अकेला ३५।६८ अप्रतिशासन =प्रतिद्वन्द्वीसे रहित शासनवाला ३४।१४ अप्सव्य = जलमें होनेवाला २८।१९३ अप्सुज = जलमें उत्पन्न होने वाला मत्स्य २८।१९४ अब्दकाल = वर्षाऋतु ३६।२११ अभिगम्य = आराध्य ३६।२०२ अभिचार किया = मारणक्रिया २६४ अमिसारिका = व्यभिचारके लिए पतिके घर जानेवाली वेश्या ३५।१७० अभ्यग्नि = अग्निके सन्मुख ४४।१८६ अभ्यवकाश = खुला आकाश ३४।१५८ अभवनि = अजन्म २८।१३१ अमिज्ञ = जानकार ३४।३३ अभ्यर्ण = निकट ४११४७ अमत्र = पात्र ३४।१९८ ..

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