Book Title: Adhyatmasara
Author(s): Yashovijay Upadhyay, Bhadrankarvijay
Publisher: Bhuvan Bhadrankar Sahitya Prachar Kendra

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Page 589
________________ सार ॥५५३॥ (२८) ग्थेयं वृद्धानुवृत्त्या च'आप्तवृद्धपुरुषमार्गदर्शनानुसारेण प्रवर्तितव्यं 'महाजनो येन गतः स पन्थाः' इत्यभियुक्तोक्तेः (२९) साक्षात्कार्य तत्व आत्मादि तत्वं प्रति स्वसंवेदनकझीकर्त्तव्यं - मानसप्रत्यक्षीकार्यम् (३०) निद्रुपाऽऽनन्दमेदुरै भर्भाव्यम्-चिदेव रूपं यस्य तेन चिद्रूपानन्देन दृढपुष्टैरात्मभिर्भाव्य-भावना विषयीकर्तव्यम् , अथवा चिद्रूपानन्दविषयकपुष्टानुभूतिपरे र्भाव्यम् , अयं प्रकारो ज्ञानवतामनुभववेद्यो हितकारी ॥४१-४२-४३-४४॥४५॥ इत्याचार्यश्रीमद्विजयलब्धिमूरीश्वरपट्टधराचार्यश्रीमद्विजयभुवनतिलकसूरीश्वरपट्टधराचार्यभद्रकरसूरिणाकृताया मध्यात्मसारग्रन्थे भुवनतिलकाख्यागा टीकायामनुभव स्वरूपो विंशतितमोऽधिकारः समाप्तः॥९३३।। ॥५५॥ lain Education Interational For Private & Personal use only www.jainelibrary.org

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