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भरत चरित
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११. आकाश में बार-बार देवता नाच रहे हैं। हमें पता नहीं है, पर कुछ बुरा हाल होने वाला है?।
१२,१३. इस प्रकार के सैकड़ों बुरे-बुरे संकेत प्रकट हुए हैं। इससे पहले इस देश में ऐसे उत्पात कभी नहीं देखे गए। गिनती के दिनों में ही कुछ बुरा घटित होने वाला है।
१४. जिसके जिस दिशा में बुरा होता है वह पहले ही लक्षित हो जाता है। वही योग हमारे यहां मिल रहा है। इसका कोई उपाय करना चाहिए।
१५. हमारे देश में कोई बड़ा उपद्रव होने वाला है। उससे बड़ा कष्ट होने वाला लगता है। इसे दूर करने का कोई उपाय दिखाई नहीं देता।
१६. उनका मन आहत हो गया। संकल्प-विकल्प उठने लगे। वे चिंता रूपी सागर में प्रवेश कर गए।
१७. हथेलियों पर मुख स्थापित कर राजे आर्तधान करने लगे। भूमि पर दृष्टि गाड़कर वे चिंता करने लगे।
१८. वे अत्यधिक विलाप करने लगे। सोचने लगे, न जाने क्या हाल होने वाला है? इस बुरे विनाशकाल के सामने कोई ढाल सुरक्षा खड़ी नहीं दिखाई दे रही है।
१९. अनेक उत्पात देखकर वे अत्यंत दुखी हो गए। अब उसका किस तरह बिगाड़ होता है वह बात सुनें।
२०. उसी समय चक्ररत्न तथा भरतजी की सेना सिंहनाद करती हुई गुफा से बाहर निकली।