Book Title: Acharya Bhikshu Aakhyan Sahitya 01
Author(s): Tulsi Ganadhipati, Mahapragya Acharya, Mahashraman Acharya, Sukhlal Muni, Kirtikumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 460
________________ ४४८ भिक्षु वाङ्मय-खण्ड-१० ८. श्री आदेसरजी मुगत गयांने, पांच लाख पूर्व हुआ जांण बे। जब भरत नरिंद आरीसा भवण में, पांम्यों केवल नांण बे।। ९. एक लाख पूर्व वर्सी लग, भरत दीपायों जिण धर्म बे। ॲ पिण अनेक जीवां ने तारे, मुगत गया तोडे कर्म बे।। १०. श्री आदेसर तेंहनें लारें, मोख गया असंख्याता पाट बे। सासता सुखा में जाय विराज्या, कर्म तणी जड काट बे।। ११. चिरत कीयो भरतेसर केरों, जंबूदीप पंनती सूं जांण बे। वळे कथा अनुसारें कह्यों छे, जे ग्यांनी वदे ते प्रमाण बे।। १२. भव जीव समझावण काजें, जोड कीधी माधोपुर मझार बे। संवत अठारे वरस अडतालें, आसोज सुदि बीज गुरवार बे।। १३. रिणत भमर किला री तलहटी, ते देस ढुंढाड में जांण बे। तिहां नवो सहर माधोपुर वाजें, जोड कीधी छे तेह ठिकाण बे।।

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