Book Title: Acharya Bhikshu Aakhyan Sahitya 01
Author(s): Tulsi Ganadhipati, Mahapragya Acharya, Mahashraman Acharya, Sukhlal Muni, Kirtikumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 452
________________ भिक्षु वाङ्मय-खण्ड - १० १७. श्रवण नखत्र आयां थकों, चंद्रमा साथे पांम्यां थकें जोग हो । वेदनी आउखों नाम गोत नें, त्यांरो खय कर मेट्यों संजोग हो । ४४० १८. जब आउखो पूरों कीयों, काल कीयों तिण ठांम जनम मरण सर्व छेंदनें, साया आत्म कांम १९. भरत जी हुआ सिध सासता, सर्व दुखां रो तिहां सुख अनोपम पांमीया, त्यां पूरी मन हो । हो ।। करे अंत हो। री खांत हो || २०. तिहां अजरामर सुख सासता, सदा अविचल रहणों तिण ठांम हो । तीन काल रा सुख देवतां तणा, त्यांसूं अनंत गुणा छें तांम हो ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464