Book Title: Acharya Bhikshu Aakhyan Sahitya 01
Author(s): Tulsi Ganadhipati, Mahapragya Acharya, Mahashraman Acharya, Sukhlal Muni, Kirtikumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 455
________________ दोहा १. आवागमन का निवारण कर भरतजी मोक्ष में पधार गए। इनके परिवार में भी कौन-कौन मोक्ष गया यह चित्त लगाकर सुनें। २. ऋषभदेवजी उनके अंगजात बेटा-बेटी आदि परिवार का विस्तार इस प्रकार ढाळ : ७३ १. सबसे पहले तो मोरादेवी माता आठ कर्मों को क्षीण कर मोक्ष में पधारे। शाश्वत निश्चल सुखों को प्राप्त किया। २. ऋषभदेवजी के सौ पुत्रों ने मुक्ति से तार जोड़कर कठोर साधना कर अनुपम सुखों को प्राप्त किया। ३. जो भी मोरादेवी माता की कुक्षि में आया वह साधना कर आठों कर्मों को शेष कर मुक्ति में गया। फिर संसार में नहीं आया। ४. ब्राह्मी और सुंदरी दोनों बहनों ने संयम लेकर ही चैन लिया। उन्होंने सवाये तप-तेज का प्रयोग कर, बाहुबल को समझाया। ५. सालवृक्ष का परिवार भी शाल ही होता है। उनका सुयश संसार में फैलता है। लड़ाई-झगड़ों को छोड़ दिया उनका खेवा पार हो गया। ६. आमवृक्ष के आम ही चखने को मिलते हैं। इसमें कोई दोष नहीं कह सकता। यदि आम के कैर लगता है तो बात बहुत अन्यथा हो जाती है।

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