Book Title: Abhidhan Chintamani Author(s): Hemchandracharya, Nemichandra Siddhant Chakravarti, Hargovind Shastri Publisher: Chaukhamba VidyabhavanPage 12
________________ ( ११ ) नाममाला छात्रोपयोगी सरल और सुन्दर शैली में लिखा गया कोश है। इसमें व्यावहारिक समानार्थक शब्द संगृहीत किये गये हैं। कोशकार ने २०० श्लोकों में ही संस्कृत भाषा की आवश्यक शब्दावली का चयन कर गागर में सागर भर देने को कहावत चरितार्थ की है। शब्द से शब्दान्तर बनाने की प्रक्रिया इस कोशग्रन्थ की निराली है। अमरकोश, वैजयन्ती प्रभृति किसी भी कोशकार ने इस पद्धति को नहीं अपनाया है। यथा-पृथ्वी के नामों के आगे धर शब्द या धर के पर्यायवाची शब्द जोड़ देने से पर्वत के नाम, पति शब्द या पति के समानार्थक स्वामिन् आदि शब्द जोड़ देने से राजा के नाम एवं रुह शब्द जोड़ देने से वृक्ष के नाम हो जाते हैं। इस पद्धति से सबसे बड़ा लाभ यह है कि एक प्रकार के पर्यायवाची शब्दों की जानकारी से दूसरे प्रकार के पर्यायवाची शब्दों की जानकारी सहज में हो जाती है । इस कोश में कुल १७०० शब्दों के अर्थ दिये गये हैं। इस पर १५ वीं शती के अमरकीर्ति का भाष्य भी उपलब्ध है। अनेकार्थ नाममाला में ४६ पद्य हैं। इसमें एक शब्द के अनेक अर्थों का प्रतिपादन किया गया है। अघ, अज, अंजन, अथ, अदि, अनन्त, अन्त, अर्थ, इति, कदली, कम्बु, चेतन, कीलाल, कोटि, क्षीर प्रभृति सौ शब्दों के नाना अर्थों का संकलन किया गया है। . ___ अनेकार्थ निघण्टु में २६८ शब्दों के विभिन्न अर्थ संग्रहीत हैं। इसमें एकएक शब्द के तीन-तीन, चार-चार अर्थ बताये गये हैं। ___ कोश साहित्य की समृद्धि की दृष्टि से बारहवीं शताब्दी महत्वपूर्ण है। इस शती में केशवस्वामी ने 'नानार्णवसंक्षेप' एवं 'शब्दकल्पद्रुम' की रचना की है। नानार्थार्णव कोश में एक शब्द के अनेक अर्थ दिये गये हैं और शब्दकल्पद्रुम में शब्दों की व्युत्पत्तियाँ भी निहित हैं। महेश्वर ने विश्वप्रकाश नामक कोशग्रन्थ की रचना की है। इनका समय ई० ११११ के लगभग माना गया है। अभयपाल ने 'नानाथरत्नमाला' नामक एक नानार्थक कोश लिखा है। इस शताब्दी में आचार्य हेमचन्द्र ने अभिधान चिन्तामणि, अनेकार्थसंग्रह, निघण्टुशेष एवं देशी नाममाला कोशों की रचना की है। इस शताब्दी में भैरवकवि ने अनेकार्थ कोश का भी निर्माण किया है। इस ग्रन्थ पर उनकी स्वयं की टीका भी है, जिसमें अमर, शाश्वत, हलायुध और धन्वन्तरि का उपयोग किया गया है।Page Navigation
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