Book Title: Abhidhan Chintamani
Author(s): Hemchandracharya, Nemichandra Siddhant Chakravarti, Hargovind Shastri
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan
View full book text
________________
अभिधानचिन्तामणिः १ जातेः स्वमृदुहित्रात्मजाग्रजावरजादयः २ आश्रयात् सद्मपर्यायशयवासिसदादयः
॥६॥ ।
यान, आसन' आदि शब्द रहें तो वे उन वाह्य (वाहन )वालेके पर्यायवाचक होते हैं । ( क्रमशः उदा०-वृषगामी (- मिन् ), वृषयानः, वृषासनः' श्रादि शब्द 'वृष' अर्थात् बेल वाहनवाले शिवजीके पर्याय हैं । क्योंकि वृषभ (बैल) शिवजीका वाहन है, ऐसी रूढि है ।
विमर्श-'यादि' शब्दसे 'वाहन, रथ' आदि शब्दका ग्रहण होनेसे 'गरुडवाहनः, पत्ररथः......'आदि शब्द विष्णु के पर्यायवाचक हैं। यहां भी कवि-रूढिसे प्रसिद्ध शब्दोंका ही ग्रहण होनेसे जिस प्रकार 'कुबेर के वाहनभूत 'नर' शब्दके बादमें 'वाहन' शब्द रहनेपर 'नरवाहनः' शब्दका अर्थ कुबेर होता है, उसी प्रकार 'नर' शब्दके बादमें वाहन के पर्यायभूत ‘गामिन् , यान' शब्द जोड़कर बने हुए 'नरगामी, नरयानः' शब्द भी कुंबेरके पर्यायवाचक नहीं होते हैं ।
१. 'जाति' अर्थात् स्वजन (भाई, बहन, पुत्री, पुत्र आदि)के वाचक शब्दके बादमें 'स्वसा, दुहिता, आत्मज, अग्रज, अवरज' आदि शब्द रहें तो वे स्वजनवालोंके पर्यायवाचक होते हैं । (क्रमशः उदा०-यमस्वसा (-स), हिमवद्दुहिता (-४), 'चन्द्रात्मजः, गदाग्रजः, इन्द्रावरजः' आदि शब्दोंमें प्रथम तीन शब्द क्रमश: 'यमुना, पार्वती, बुध' के तथा अन्तिम दो शब्द कृष्णजी (विष्णु भगवान् ) के पर्यायवाचक हैं; क्योंकि यमुना यमराजको स्वसा (वहन ), पार्वती हिमवान् (हिमालय पर्वत )की दुहिता (पुत्री), बुध चन्द्रमाके आत्मज (पुत्र ), कृष्णजी (विष्णु भगवान् ) 'गद'के अग्रज ( बड़े भाई ) तथा 'इन्द्र'के अवरज ( छोटे भाई ) हैं, ऐसी रूढि है ।
विमर्श-'आदि' शब्दसे 'सोदर, अनुज' आदि शब्दका ग्रहण होता है; अत एव 'कालिन्दीसोदरः' शब्दका अर्थ 'यमराज' और 'रामानुजः' शब्दका अर्थ 'लक्ष्मण' होता है, एवं अन्यत्र भी समझना चाहिए । यहाँ भी कविरूढिके अनुसार प्रसिद्ध शब्दोंका ही ग्रहण होनेके कारण जिस प्रकार 'यमुना'को 'यम' ( यमराज ) की बहन होनेसे 'यमस्वसा (-स)' शब्द 'यमुना' का पर्याय होता है, उसी प्रकार शनिकी बहन होनेपर भी 'शनिस्वसा' शब्द यमुनाका पर्याय नहीं होता।
२. आश्रय अर्थात् निवासस्थान-वाचक शब्दोंके बादमें 'समन्' ( गृह ). के पर्यायवाचक ( सदन, श्रोक, वसति, आश्रय,........... ) शब्द तथा 'शय, वासी, सत् (-द् ),.........'शब्द रहें तो वे उन ( श्राश्रयवालों )के पर्यायवाचक