Book Title: Abhidhan Chintamani
Author(s): Hemchandracharya, Nemichandra Siddhant Chakravarti, Hargovind Shastri
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan
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तिर्यक काण्ड: ४ ] . मणिप्रभा'व्याख्योपेतः
३१३ -मुसली गाधिकागोलिके गृहात् ।। ३६३ ।। माणिक्या भित्तिका पल्ली कुडयमत्स्यो गृहोलिका । २स्यादअनाधिका हालिन्यजनिका हलाहलः ॥ ३६४ ॥ ३स्थूलाञ्जनाधिकायान्तु ब्राह्मणी रक्तपुच्छिका । ४कृकलासस्तु सरटः प्रतिसूर्यः शयानकः ॥ ३६५ ॥ पमूषिको मूषको वज्रदशनः खनकोन्दुरौ । उन्दुरुष भाखुश्च सूच्यास्यो वृषलोचने ॥ ३६६ ॥ ६छुच्छन्दरी गन्धमूष्यां गिरिका वालमूषिका।।
विडाल ओतुर्मार्जारो होकुश्च वृषदंशकः ।। ३६७ ॥ ६जाहको गात्रसङ्कोची मण्डली १०नकुलः पुनः। पिङगलः सपेहा बभ्र:
१. छिपकिली, विछुतिया के ८. नाम हैं-मुसली, गृहगोधिका, एहगोलिका, माणिक्या, भित्तिका, पल्ली, कुख्यमत्स्यः, गृहोलिका ॥
२. 'बड़ी जातिकी छिपकिली के ४ नाम हैं-अञ्जनाधिका, हालिनी, अञ्जनिका, हलाहलः ॥
३. 'ओटनी, लहटन' (एक कीड़ा, जो आकारमें छिपकिलीके समान, परन्तु उससे.छोटा होता है उसकी पूछ बहुत लाल होती है और शरीर सांपके समान चिकना तथा चमकीला होता है और वह छिपकिलीके समान दिवालों पर नहीं चलती, किन्तु प्रायः समतल भूमिपर ही चलती है ) के २ नाम हैब्राह्मणी, रक्तपुच्छिंका ॥
४. 'गिर्गिट के ४ नाम हैं-कृकलासः, सरटः, प्रतिसूर्यः, शयानकः (+प्रतिसूर्यशयानक:)॥
५. 'चूहे' मूस'के १०. नाम हैं-मूषिकः ( पु न), मूषकः, क्नदशनः, खनकः, उन्दुरः, उन्दुरुः (+उन्दरः),वृषः, आखु:, (पु स्त्री), सूच्यास्यः, वृषलोचनः ।। .
६. 'छुछुन्दरके २ नाम हैं-छुच्छुन्दरी, गन्धमूषी ॥ ७. 'चूहिया'के २ नाम है-गिरिका, बालमूषिका ॥ ८. 'बिलाव'के ५ नाम हैं-विडालः, मोतुः, मार्जारः, हीकुः, वृषदंशकः॥ विमर्श-कुछ लोगोंने 'हीकुः'को 'वन बिलाव'का पर्याय माना है ।
६. 'एक प्रकारके बड़े बिलाव'के ३ नाम हैं-जाहकः, गात्रसंकोची (-चिन् ), मण्डली (-लिन् ।
१०. 'नेक्ले'के ४ नाम हैं-नकुलः, पिङ्गलः, सर्पहा (-हन् ), बभ्रुः॥