Book Title: Abhidhan Chintamani
Author(s): Hemchandracharya, Nemichandra Siddhant Chakravarti, Hargovind Shastri
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan

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Page 403
________________ ३५८ अभिधानचिन्तामणि १परस्परं स्यादन्योन्यमितरेतरमित्यपि । २आवेशाटोपौ संरम्भे ३निवेशो रचना स्थितौ ।। १३५ ।। ४निर्बन्धोऽभिनिवेशः स्यात् ५प्रवेशोऽन्तर्विगाहनम् । गतौ वीजा विहारे-परिसर्पपरिक्रमाः ।। १३६ ॥ ७व्रज्याऽटाट्या पर्यटनं ८चर्या त्वीर्यापथस्थितिः। व्यत्यासस्तु विपर्यासो वैपरीत्यं विपर्ययः ॥ १३७ ।। व्यत्यये१०ऽथ स्फातिवद्धौ १५प्रीणनेऽवनतर्पणे। . १२परित्राणन्तु पर्याप्तिहस्तधारणमित्यपि ॥ १३८.।। १३प्रणतिः प्रणिपातोऽनुनये१४ऽथ शयने क्रमान् । विशाय उपशायश्च १. 'परस्पर ( आपसमें ) के ३ नाम हैं-परस्परम्, अन्योन्यम्, इत. रेतरम् ॥ २. 'संरम्भ, तेजी, तीब्रता' के ३. नाम है-श्रावेशः, अाटोपः, संरम्भः ॥ ३. 'रचना, बनावट'के.३ नाम है-निवेशः, रचना, स्थितिः ।। ४. 'निर्बन्ध, अाग्रहके २ नाम हैं-निर्बन्धः, अभिनिवेशः (+ श्राग्रहः)॥ ५. प्रवेश करने ( नदी या घर आदि में घुसने ) के २ नाम हैंप्रवेशः, अन्तर्विगाहनम् ॥ ६. 'गमन, जाने के ६ नाम हैं-गतिः, वीजा, विहारः, ईर्ष्या, परिसर्पः परिक्रमः ।। ७. 'घूमने, टहलने'के ३ नाम हैं-व्रज्या , अटाट्या (+श्रदाटा, अट्या), पर्यटनम् ॥ ८. 'ईर्यापथ में रहने ( मुनियोंके ध्यान-मौन श्रादि नियत तोका पालन करने )के २ नाम है-चर्या, ईर्ष्यापथस्थितिः ॥ ६. 'विपरीतता, उलटफेर'के ५ नाम है-व्यत्यासः, विपर्यास:, वैपरीत्यम्, विपर्ययः, व्यत्ययः ।। १०. 'बढ़ने, वृद्धि होने के २ नाम हैं-स्फातिः, वृद्धिः (+वद्धनम् ) ११. 'तृप्त करने के ३ नाम हैं-प्रीणनम्, अवनम्, तर्पणम् ॥ १२. सहारा देने, रक्षा करने के ३ नाम है-परित्राणम्, पर्याप्तिः, इस्तधारणम्॥ १३. 'प्रणाम करने के ३ नाम हैं-प्रणतिः, प्रणिपातः, अनुनयः (+प्रणामः, प्रणमनम् , नमस्कारः, नमस्कृतिः, नमस्करणम् ) ॥ १४. क्रमशः (बारी-बारी से ) पहरेदारी आदि के लिए सोने, शयन करने के २ नाम है-विशायः, उपशायः ॥

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