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मर्यकाण्ड: ३] मणिप्रभा'व्याख्योपेतः
२२६ .. -१कौटतक्षोऽनधीनकः । २वृक्षभृत्तक्षणी वासी ३क्रकचं करपत्रकम् ॥ ५८२ ॥ ४स उद्धनो यत्रकाले काष्ठं निक्षिप्य तक्ष्यते । ५वृक्षादनो वृक्षभेदी ६टङ्कः पाषाणदारण: ।। ५८३ ।। ७व्योकारः कर्मारो लोहकारः ८कूटं त्वयोधनः । ६व्रश्चनः पत्रपरशु१०रीपीका प्लिकेपिका ।। ५८४॥ ११भक्ष्यकारः कान्दविकः १२कन्दुस्वेदनिके समे। १३रङ्गाजीवस्तौलिकिकश्चित्रकृच्चा१४थ तूलिका ।। ५८५ ॥ कूचिका
१. 'स्वतन्त्र, रहकर काम करनेवाले बढ़ईका १ नाम है-कौटतक्षः (+ कूटतक्षः)॥
२. 'बसूला'के ३ नाम हैं -वृक्षभित् ( - द्), तक्षणी, वासी ।।
३. 'आरा, साह, श्रारी'के २ नाम हैं-क्रकचम् (पु न ), करपत्रकम् (+करपत्रम् )।
४. 'ठेहा (जिस काष्ठ पर रखकर दूसरे काष्ठ आदि. को छीलते हैं, उस नीचेवाले काष्ठ )का १ नाम है-उद्घनः। ( उपचारसे 'निहाय' जिस ठोस लोहे पर रखकर दूसरे लोहेको पीटते हैं, उस नीचेवाले लोहे )को भी 'उद्घनः' कहते हैं)॥
. . . ५. 'कुल्हाड़ो; या-बड़ा कुल्हाड़ा ( या-वसूला )'के २ नाम हैंवृक्षादनः, वृक्षभेदी ( - दिन् )॥
६. 'छेनी, छेना (पत्थर तोड़नेवाले औजार )के २ नाम हैं-टङ्कः (पु न ), पाषाणदारणः ।।।
७. 'लोहार के ३. नाम है-व्योकारः, कर्मारः, लोहकारः ॥ ८. 'लोहेके घन'के २ नाम हैं-कूटम् (पु न), अयोधनः ॥
६. 'सोना-चांदी काटनेको छेनी, या-छोटी आरो'के २ नाम हैंवश्चनः, पत्रपरशुः ॥ .
१०. 'लकड़ी या लोहेकी शलाका-सोक'के ३ नाम हैं-ईषीका, तूलिका, ईषिका ॥
११. 'हलवाई के २ नाम हैं-भक्ष्यकारः, कान्दविकः ॥ १२. 'भट्ठा, भाड़'के २ नाम है-कन्दुः (पु स्त्री), स्वेदनिका ॥
१३. 'चित्रकार, रंगसाब'के ३ नाम हैं-रङ्गाजीवः, तौलिकिकः, चित्रकृत् +चित्रकरः, चित्रकारः)॥
१४. 'कूची, रंग भरनेके ब्रस'के २ नाम है-तूलिका, कूचिका ॥