Book Title: Abhidhan Chintamani
Author(s): Hemchandracharya, Nemichandra Siddhant Chakravarti, Hargovind Shastri
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan
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माला का नाम वालपाश्या आया है। इसी प्रकार कान, कण्ठ, गर्दन, हाथ, पैर, कमर आदि विभिन्न अङ्गों में धारण किये जानेवाले आभूषणों के अनेक नाम आये हैं। इन नामों से अवगत होता है कि आभूषण धारण करने की प्रथा प्राचीन समय में कितनी अधिक थी। मोती की सौ, एक हजार आठ, एक सौ आठ, पाँच सौ चौअन, चौअन, बत्तीस, सोलह, आठ, चार, दो, पाँच एवं चौसठ आदि विभिन्न प्रकार की लड़ियों की माला के विभिन्न नाम आये हैं। वस्त्रों में विभिन्न अङ्गों पर धारण किये जानेवाले रेशमी, सूती एवं ऊनी कपड़ों के अनेक नाम आये हैं । संस्कृति और सभ्यता की दृष्टि से यह प्रकरण बहुत ही महत्वपूर्ण है।
विभिन्न वस्तुओं के व्यापारियों के नाम तथा व्यापार योग्य अनेक वस्तुओं के नाम भी इस कोश में संग्रहीत हैं। प्राचीन समय में मद्य-शराब बनाने की अनेक विधियों प्रचलित थीं। इस कोश में शहद मिलाकर तैयार किये गये मद्य को मध्वासव, गुड़ से बने मद्य को मैरेय, चावल उबाल कर तैयार किये गये मद्य को नग्नहू कहा गया है । ___ गायों के नानों में बकेना गाय का नाम वकयणी, थोड़े दिन की ब्यायी गाय का नाम धेनु, अनेक बार ब्यायी गाय का नाम परेष्टु, एक बार ब्यायी गाय का नाम गृष्टि, गर्भग्रहणार्थ वृषभ के साथ संभोग की इच्छा करनेवाली गाय का नाम काल्या, सरलता से दूध देनेवाली गाय का नाम सुव्रता, बड़ी कठिनाई से दूही जानेवाली गाय का नाम करटा, बहुत दूध देनेवाली गाय का नाम वज़ुला, एक द्रोण-आधा मन दूध देनेवाली गाय का नाम द्रोणदुग्धा, मोटे स्तनों वाली गाय का नाम पीनोनी, बन्धक रखी हुई गाय का नाम धेनुष्या, उत्तम गाय का नाम नैचिकी, बचपन में गर्भधारण की हुई गाय का नाम पलिक्नी, प्रत्येक वर्ष में ब्यानेवाली गाय का नाम समांसमीना, सीधी गाय का नाम सुकरा, एवं स्नेह से वत्स को चाहनेवाली गाय का नाम वत्सला आया है। गायों के इन नामों को देखने से स्पष्ट अवगत होता है कि उस समय गोसम्पत्ति बहुत महत्त्वपूर्ण मानी जाती थी।
विभिन्न प्रकार के घोड़े के नामों से भी ज्ञात होता है कि प्राचीन भारत में कितने प्रकार के घोड़े काम में लाये जाते थे। सुशिक्षित घोड़े को साधुवाही,
१ देखें-कांड ३ श्लोक ३१४-३२१ २ देखें-काण्ड ३ श्लो० ३२२-३४० ३ देखें-का० ३ श्लो० ५६४-५६९ ४ देखें-का० ४ श्लो० ३३३-३३७