Book Title: Aadhunik Vigyan Aur Ahimsa Author(s): Ganeshmuni, Kantisagar, Sarvoday Sat Nemichandra Publisher: Atmaram and Sons View full book textPage 4
________________ सम्मति प्रस्तुत कृति के लेखक साहित्यरत्न शास्त्री श्री गणेश मुनि जी महाराज हैं । दिनांक 31 8 1000 ई० को व्यावर श्री मघ द्वारा मेरे श्रद्धय गुरु व ० दौलतसिंह जी कोठारी, वैज्ञानिक सलाहकार भारत सरकार व अध्यक्ष विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की सेवा में उनके अवप्रेषित की गई थी। में अपना परम सौभाग्य समझता है कि मेरे गुरुदेव ने मुझे इमे अवलोकन की श्राप प्रदान की। मैंने इसे याद्योपान्त पवार अनुभव किया कि सिह आधुनिक विज्ञान और महिमा वे लेख मुनिराज यो न क्वन विमान में रुचि ही है अपितु धम गास्त्रो के साथ साथ वनानि साहित्य या भी सुन्दर श्रव्ययन है । प्रस्तुत कृति भावी महिमा विश्वविद्यालय के विद्यार्थियो के पाठ्यक्रम म उपयोगी सिद्ध होगी। श्री गणेग मुनि जी महाराज के विचार हमारे विश्व धम सम्मलन के उत्प्रेख मुनिश्री मुगीलकुमार जी महाराज के अनु रूप हैं । मुझे पूर्ण धाता है गणेश मुनिजी और सुशीलकुमार जी महाराज से विश्व मे धम और ग्रहिसा वे प्राधार पर शान्ति स्थापनाथ ऐसी भय कृतिया का भजन पर सरस्वती वा भण्डार भरगे । भारत की राजधानी दिल्ली में निकट भविष्य म ही श्रहिंसा विश्वविद्यालय बनने जा रहा है, तदथ भारत सरकार ने पर्याप्त भूमि भी प्रदान पर दो है । लामो रुपये दान द्वारा भी एकत्र विय जा रह है। प्रश्न रह जाता है पाठ का सो मुझे इस वृति का देवर प्रातरि प्रमाद हुआ वि हमार मुनिराजा का ध्यान भी इस महत्त्वपूर्ण विषय की ओर श्राष्ट हुआ है और साहित्य वा निर्माण भी होने लगा है | मुळे भाषा ही नही पर पूरा विश्वास है रि "श्रापुनिर विनान और महिमा 'मे प्रबुद्ध पाठव ग्यास्सादा पर श्रेयाभिमुस बनेगे । भावारी टा० डी० वी० परिहार M Sc, PhD ( Delhi ), PhD (Cantab) Senior Scientific Officer Government of India, New Delhi सम्मितिPage Navigation
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