Book Title: Aagam Manjusha 41A Mulsuttam Mool 02 A OhNijjutti
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ _ नमो नमो निम्मलदंसणस्स पूज्य आनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरूभ्यो नमः On Line -आगममंजूषा [४१/१] ओहनिज्जुत्ति * संकलन एवं प्रस्तुतकर्ता * मुनि दीपरत्नसागर M.Com. M.Ed. Ph.D.] Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ || किंचित् प्रास्ताविकम् || ये आगम-मंजूषा का संपादन आजसे ७० वर्ष पूर्व अर्थात् वीर संवत २४६८, विक्रम संवत-१९९८, ई.स.1942 के दौरान हुआ था, जिनका संपादन पूज्य आगमोद्धारक आचार्यश्री आनंदसागरसरिजी म.सा.ने किया था| आज तक उन्ही के प्रस्थापित-मार्ग की रोशनी में सब अपनी-अपनी दिशाएँ ढूंढते आगे बढ़ रहे हैं। हम ७० साल के बाद आज ई.स.-2012,विक्रम संवत-२०६८,वीर संवत-२५३८ में वो ही आगम-मंजूषा को कुछ उपयोगी परिवर्तनों के साथ इंटरनेट के माध्यम से सर्वथा सर्वप्रथम “ OnLine-आगममंजूषा ” नाम से प्रस्तुत कर रहे हैं। * मूल आगम-मंजूषा के संपादन की किंचित् भिन्नता का स्वीकार * [१]आवश्यक सूत्र-(आगम-४०) में केवल मूल सूत्र नहीं है, मूल सूत्रों के साथ नियुक्ति भी सामिल की गई है। [२]जीतकल्प सूत्र-(आगम-३८) में भी केवल मूल सूत्र नहीं है, मूलसूत्रों के साथ भाष्य भी सामिल किया है। [३]जीतकल्प सूत्र-(आगम-३८) का वैकल्पिक सूत्र जो “पंचकल्प” है, उनके भाष्य को यहाँ सामिल किया गया tic [४] “ओघनियुक्ति”-(आगम-४१) के वैकल्पिक आगम “पिंडनियुक्ति” को यहाँ समाविष्ट तो किया है, लेकिन उनका मुद्रण-स्थान बदल गया है। [५] “कल्प(बारसा)सूत्र” को भी मूल आगममंजूषा में सामिल किया गया है। -मुनि दीपरत्नसागर मुनि दीपरतसागर : Address: Mnui Deepratnasagar, MangalDeep society, Opp.DholeshwarMandir, POST:- THANGADH Dist.surendranagar. Mobile:-9825967397 jainmunideepratnasagar@gmail.com Online-आगममंजूषा Date:-12/11/2012 Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नमो अरहताणं णमो सिदाणं णमो आयरियाणं णमो उवज्झायाणं णमो लोए सबसाहूर्ण ' एसो पंचनमुक्कारो, सबपावप्पणासणो । मंगलाणं च सवेसि, बाजामा पढम हबइ मंगलं ॥१॥ (दुविहोवकमकालो सामायारी अहाउयं चेव । सामायारी तिविहा ओहे दसहा पयविभागे॥१॥ नवमयपच्चक्खाणाभिहाणपुवस्स तइयवस्थूओ। वीसइमपाहुडाओ तओ इहानीणिया जइया ॥२॥ सो उ उवक्कमकालो तयत्यनिविग्यसिक्खणत्थं च । आईय कयं चिय पुणो मंगलमारंभये तं च ॥३॥प्र.) अरहते वंदिता चउदसपुत्री नहेब दसपुत्री। एकारसंगसुत्तत्वधारए सव्वसाहू य॥१॥ ओहेण उ निजुत्ति वुच्छं चरणकरणाणुओगाओ । अप्पक्खरं महत्थं अणुग्गहत्थं सुविहियाणं ॥२॥ जम्म। ओहे पिंड समासे संखेवे चेव होति एगट्ठा। निजुत्तत्ति य अत्था जं बद्धा तेण निजुत्ती ॥१भाष्यं ॥ वय समणधम्म संजम वेयावचं च बंभगुत्तीओ। नाणाइतियं तव कोहनिम्गहाई चरणमेयं ॥२॥ पिंडविसोही समिई भावण पडिमा य ईदियनिरोहो। पडिलेहण गुत्तीओ अभिग्गहा चेव करणं तु ॥३॥ चोदगवयर्ण छट्ठी संबंधे कीस न हबह विभत्ती?। तो पंचमी उ भणिया किमस्थि अनेऽवि अणुओगा? ॥४॥ चत्तारि उ अणुओगा चरणे धम्म गणियाणुओगे य। दवियाणुजोगे य तहा अहकम ते महिड्ढीया ॥५॥ सविसयबलवत्तं पुण जजइ तहविअ महिड्ढिों चरणं। चारित्तरक्खणट्ठा जेणिअरे तिन्नि अणुओगा ॥६॥ चरणपडिवत्तिहेउं धम्मकहाकालदिक्खमाईआ। दविए दंसणसुद्धी दंसणसुद्धस्स चरणं तु ॥७॥जह रण्णो विसएसुं वयरे कणगे अ रयय लोहे अ। चत्तारि आगरा खलु चउण्ह पुत्ताण ते दिन्ना ॥ ८॥ चिता लोहागरिए पडिसेहं सो उ कुणइ लोहस्स । वयराईहि अगहणं करिति लोहस्स तिन्नियरे ॥९॥ एवं चरणमि ठिओ करेइ गहणं विहीइ इयरेसि। एएण कारणेणं हवइ उ चरणं महड्ढीअं ॥१०॥ अप्पक्खरं महत्थं महक्खरऽप्पत्थ दोसुऽवि महत्थं। दोसुऽवि अप्पं च तहा भणि सत्यं चउविषयं ॥१॥ सामायारी आहे नायज्झयणा य दिडिवाओं या लोइअकप्पासाई अणुकमा कारगा चउरो॥२॥ बालाईणऽणुकंपा संखडिकर. | कमि होअगारीणं । ओमे य बीयभरण्णा दिगंजणवयस्स ॥३॥ भाग एवं बेरोहिं इमा अपावमाणाण पविभागं तु साहुणऽणुकंपट्ठा उपाइहा ओहनिज्जुत्ती॥४ाभाष्य॥पाडलहणं चार पिंडं उवहिपमाणं अणाययणवज। पडिसेवणमालोअण जह य विसोही सुबिहियाणं ॥३॥ आभोग मग्गण गवसणा य ईहा अपोह पडिलेहा। पेक्खण निरिक्खणाविय आलोय पलोयणेगट्ठा ॥४॥ पडिलेहओ य पडिलेहणा य पडिलेहियचयं चेव । कुंभाइसु जह तितर्य परूवणा एवमियपि ॥५॥ एगो व अणेगो वा दुविहा पडिलेहगा समासेणं । ते दुविहा नाया निकारणिआ य कारणिआ॥६॥ असिवाई कारणिआ निक्कारणिआ य चक्क)भाई। तत्थेगं कारणिअं वोच्छं ठप्पा उ तिन्नियरे ॥७॥ असिवे ओमोयरिए रायभए खुहिअ उत्तमढे अ। फिडिअ गिलाणाइसए(म० णे असेस) देवया चेव आयरिए ॥८॥ संवच्छरबारसएण होही असिवंति ते तओ णिति। सुत्तत्थं कुवंता अइसयमाईहि नाऊण ॥१५॥ भा०। अइसेस देवया वा निमित्तगहणं सर्य व सीसो वा। परिहाणि जाव पत्तं निग्गमणि गिलाणपडिबंधो॥६॥ संजयगिहितदुभयभहिआ य तह तदुभयस्सवि अ पंता। चउवजण वीसुं उवस्सए य तिपरंपराभत्तं ॥७॥ असिवे सदसं वत्वं लोहंलोणं च तहय बिगईओ। एयाई बजिजा चउबज्जणयंति जं भणिअं॥८॥ उब्वत्तण निल्लेवण बीहंते अणमिओगऽभीरूय। अगहिअकुलेसु भत्तं गहिए दिहिँ परिहरिजा ॥९॥ पुष्वाभिग्गहवुड्ढी विवेग संभोइएसु निक्खिवणं । तेऽविय पडिबंधठिआ इयरेसु बला सगारदुर्ग ॥२०॥ कूयंते अम्भस्थण समत्थभिक्खुस्स णिच्छ तदिवस । जइ विदघाइभेओ ति दुवेगो जाव लाउवमा ॥१॥ संगारो रायणिए आलोयण पुष्व पत्त पच्छा था। सोममुहिकालरत्तच्छऽणंतरे एको दो विसए ॥२॥ एमेव य ओमम्मिबि भेओ उ अलंभि गोणिदिह्रतो । रायभयं च चउद्धा चरिमदुगे होइ गणभेओ॥३॥ निविसऊत्तिय पढ़मो बिइओ मा देह भत्तपाणं तु (प.से)। तइओ उवगरणहरो जीवचरित्तस्स वा भेओ ॥४॥ अहिमर अणिट्ठ दरिसणवुग्गाहणया तहा अणायारे। अवहरण दिक्खणाए व आणालोवे व कुष्पिज्जा ॥५॥ अंतेउरप्पवेसो वायणिमित्तं व सो पउ. स्सेजा। खुभिए मालुजेणी पलायणं जो जओ तुरियं ॥ ६॥ तस्स पंडियमाणिस्स, बुद्धिल्लस्स दुरप्पणो। मुद्धं पाएण अकम्म, वाई बाउरिवागओ ॥ ७॥ निजवगस्स सगासं असई एगाणिओ व गच्छिजा। सुत्तत्यपुच्छगो वा गच्छे अहवाऽवि पडिअस्चेिं ॥८॥ फिडिओ व परिरएणं मंदगई वावि जाय न मिलिजा। सोऊणं व गिलाणं ओसहकजे असई एगो॥९॥ अइसेसिओ व सेह असई एगाणियं पठावेजा (प० पयट्टेजा)। देवय कलिंग रुवणा पारणए खीर रुहिरं च ॥३०॥ चरिमाए संदिट्ठोओगाहेऊण मत्तए गंठी। इहरा कयउस्सग्गो परिच्छ आमंतिआ सगणं ॥१॥ गच्छेज को णु? सोऽवऽणुग्गहो कारणाणि दीविंता। अमुओ एत्थ समत्थो अणुग्गहो उभय किइकम्मं ॥३२॥ भाष्य। पोरिसिकरणं अहवावि अकरणं दोच्च. अच्छणे दोसा । सरण सुय साहु सन्ती अंतो बहि अन्नभावणं ॥९॥ बोहण अप्पडिबुद्धे गुरुवंदण घट्टणा अपडिबुद्धे । निच्चलणिसण्णझाई बढुं चिद्वे चलं पुच्छे ॥१०॥ (३०५) २२.योपनियक्तिः मुनि दीपरनसागर | Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Harp4 अप्पाहि अणुनाओ ससहामो नीइ जा पहायति। उपओगं आसणे करेइ गामस्स सो उमए ॥१॥ हिमतेणसावयभया दारा पिहिया पहं अयाणतो। अच्छह जाव पभायं वासियभनं च से वसभा ॥२॥ठवणकुल संखडीए अणहिंडते सिणेहपयवर्ज। भत्तढिअस्स गमणं अपरिणए गाउयं वहइ॥३॥ अत्थंडिलसंकमणे चलवक्खित्तऽणुवउत्तसागरिए। पडिवखेसु उ भयणा इयरेण विलंबणं लोग ॥४॥ पुच्छाए तिणि तिआ उके पढम जयणा तिपंचविहा । आउम्मि दुविह तिबिहा तिविहा सेसेसु काएसु ॥५॥ पुरिसो इथि नपुंसग एकेको थेर मज्झिमो नरुणो। साहम्मिअन्नधम्मिअगिहत्यदुग अप्पणा तइओ ॥ ६॥ साहम्मिअपरिसासइ मज्झिमपुरिसं अणुण्णविअ पुच्छे। सेसेमु होति दोसा सविसेसा संजईवम्गे ॥७॥ थेरो पहं न याणइ बालो पवंचे न याणई वादि। पंडिस्थिमज्म संका इयरें नयाणति संका य॥८॥ पासडिओ य पुच्छेज बंदमाणं अवंदमाणं वा। अणुवइऊण व पुच्छे तुहिक मा य ता॥९॥ पंचम्भासे य ठिओ गोवाई मा य दुरि पुच्छिजा। संकाईया दोसा बिराहणा होइ दुविहा उ॥२०॥ असई मज्झिमधेरो दढस्सुई भदओय जो तरुणा। एमेव इत्यिवम्गे द्रा नपंसवम्गे य संजोगा ॥१॥ एत्वं पण संजोगा हाँति अणेगा विहाणसंगणिआ। परिसित्थिनपंसेसं मजिमम तह थेर तरूणेसं ॥२॥तिविही पदविकाओ सचित्तो मीसओ अ अचित्तो। एकेको पंचविहो अच्चित्तेणं तु गंताई ॥३॥ सुक्कोल इगमणे विराहणा दुविह सिग्गखुप्पते। सुक्कोवि य धूलीए ते दोसा भट्ठिए गमणं ॥४॥ तिविहो उ होइ उडो महुसित्यो पिंडओ य चिक्वाडो। लत्तपहलित्त उड्डुअ खुप्पिजइ जत्थ चिकिवालो ॥३३॥ भाष्य । पञ्चावाया वालाइ सावया तेण कंटगा मेच्छा। अर्कतमणकंते सपच्चवाएयरे चैव ॥५॥ तस्सासद धूलीए अकंत निरच्चएण गंतई। मीसगसच्चित्तेसुऽवि एस गमो सुकउडाइं ॥६॥ उडुबद्धे स्यहरणं वासावासासु पायलेहणिआ। वड उंबरे पिलंवू तस्स अलंभंमि चिचिणिआ ॥७॥ बारसअंगुलदीहा अंगुलमेगं तु होइ विच्छिमा। घणमसिणनिव्वणाविअ पुरिसे पुरिसे य पत्तेयं ॥८॥ उमओ नहसंठाणा सचित्ताचित्तकारणा मसिणा। आउकाओ दुविहो मोमो तह अंतलिक्खो य॥९॥ महिआवासं तह अंतरिक्खिों दठु तं न निग्गच्छे। आसनाओं नियत्तइ दूरगओं परं च रुक्खं वा ॥३०॥ सभए वासत्ताणं अचुदए मुक्खककखचडणं वा। नइकोप्परवरणेणं भोमे पडिपुच्छिा गमणं ॥१॥ नेगंगिपरंपर(चलचिर)पारिसाडिसालंबवजिए सभए। पडिवखेण उ गमणं तज्जाइयरे व संडेवा ॥२॥चलमाणमणकंते सभए परिहरिज गच्छ इयरेणं। दगसंपट्टणलेबो पमज पाए अदूरंमि ॥३॥ पाहाणे महुसित्थे वालुअ तह कहमे य संजोगा। अकंतमणकते सपच्चवाएयरे चेव ॥४॥ जंघदा संघवो नाभी लेबो परेण लेखुवरि । एगो जले घलेगो निप्पगले तीरमुस्सग्गो ॥ ३४॥ भा०। निभएऽगारित्थीणं तु मग्गओ चोलपट्टमुस्सारे । सभए अत्यग्घे वा ओइण्णेमुं घणं प१ ॥५॥ दगतीरे ता BI चिट्टे निप्पगलो जाव चोलपहो उसमए पलबमाणं गच्छा कारण अफ़संतो॥६॥ असइ गिहि नालियाए आणखे पुणोऽवि पडियरण। एगाभोग पडिग्रह के सवाणि न यह पुरओ॥आ सागारं संवरणं ठाणतिर्ज परिहरिनुऽनाचाहे (नावाए)।ठाइनमोक्कारपरो तीरे जयणा इमा होइ ॥८॥ नवि पुरओ नवि मग्गओं मजो उस्सम्म पण्णवीसाउ। दइउब(ड)यतुंचे अणुलोमे पडिलोमऽदेसु ठाइ तणरहिए। असई य गत्तिर्णतगउछतलिगाइडेवणया ॥४०॥ जह अंतरिक्खमुदए नवरि निअंबे य वणनिगुंजे य। ठाणं सभए पाउण घणकप्पमलंबमाणं तु ॥१॥तिविहो वणस्सई खलु परित्तऽणतो पिराधिरेक्केकको । संजोगा जह हेवा अर्कताई तहेब इह ॥२॥ निविहा बेइंदिय खलु घिरसंघयणेयरा पुणो दुविहा। अकंताई य गमो जाव उ पंचिदिआ नेआ॥३॥ पुढविदए य पुढविए उदए पुढवितस वाल कंटा या पुढविवणस्सइकाए ते चेव उपदविए कमणं ॥४॥ पुढवितसे तसरहिए निरंतरतसेसु पुढविए चेव । आउवणस्सइकाए वणेण नियमा वर्ण उदए ॥५॥तेऊवाउविहूणा एवं सेसावि सबसंजोगा। नचा विराहणदुर्ग वर्जनो जयसु उवउत्तो ॥६॥ सवत्व संजमं संजमाउ अप्पाणमेव रक्खिजा (प० खंतो)। मुच्चइ अइवायाओ पुणो विसोही न याविरई ॥ ७॥ संजमहेउं देहो धारिजइ सो कओ उ तदभावे ?। संजमफाइनिमित्तं च देहपरिपालणा इट्ठा ॥८॥ पिक्सलवालसावयसरेणुकंटयतणे बहुजले अ। लोगोऽवि नेच्छइ पहे को णु विसेसो भयंतस्स १ ॥९॥ जयणमजयण च गिही सचित्तमीसे परित्तऽणते य। नवि जाणंति न यासि अवहपाइण्णा अह विसेसो ॥५०॥ अविज जणो मरणभया परिस्समभया व ते विवजेइ। ते पुण दयापरिणया मोक्सत्यमिसी-परिहरति ॥१॥ अविसिटुंमिवि जोगंमि बाहिरे होइ विदुरया इहरा। मुदस्स उ संपत्ती अफला जे देसिआ समए॥२॥ एकमिवि पाणिवहमि देसिनं सुमहदंतरं समए। एमेव निजरेफला परिणामक्सा बहुविहीआ॥३॥ जे जत्तिा य हेऊ भवस्स ते पेव तत्तिा मुक्खे। गणणाईया लोगा दुष्हवि पुण्णा भवे तुला ॥४॥ इरिआवहमाईआ जे चेच हवंति कम्मपंचाय। अजयाणं | ते चेव उ जयाण निशाणगमणाय ॥५॥ एगतेण निसेहो जोगेसु न देसिओ विही वाचि। दलिय पप्प निसेहो होज विहीवा जहा रोगे ॥६॥ जंमि निसेविजते अइजारो होज कस्सइ कियाइ। तेणेव य तस्स पुणो कयाइ सोही हवेजाहि ॥ ७॥ अणुमित्तोऽवि न कस्सइ बंघो फरवत्युपच्चओ भणिओ। तहविय जयंति जइणो परिणामविसोहिमिच्छता ॥८॥जो पण १२२१ ओघनियुक्तिः - मुनि दीपरत्नसागर Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हिसाययणेसु बट्टई नम्स नणु परीणामो। दुट्टो न य ते लिंग होइ विसुदस्स जोगस्स ॥ ९॥ तम्हा सया विसुदं परिणामं इच्छया सुविहिएणं। हिसाययणा सवे परिहरिया पयत्तेणं ॥ वजेमिनि परिणओं संपत्तीए विमुथई वेरा। अविहंतोऽविन मुजइ किलिट्ठभावोत्ति वा तस्स ॥१॥ पदमबिया गिलाणे नइए सण्णी चउत्थ साहम्मी। पंचमियमि य बसही 18 छटे ठाणदिओ होइ॥२॥ एहिअपारनगुणा दुन्नि य पुच्छा दुवे य साहम्मी। तत्येकका दुबिहा चउहा जयणा दुहेकेका ॥३॥ पटिदारगाहा। इहलोइआ पविनी पासणया तेसि E संखी सदो। परलोइआ गिलाणे चेइय वाई य पहिणीए ॥ ४॥ अविहीपुच्छा अन्थिन्थ संजया ? नन्धि. तत्थ समणीओ। समणीसु अता नत्थी संका य किसोरवडवाए ॥५॥ सड्ढेसु चरिअकामो संकाचारी य होइ सढीसुं । चेइयघरं व नन्थिह नम्हा उ विहींइ पुच्छेजा ॥६॥ गामवार-भासे अगडसमीवे महाणमझे वा। पुच्छेज सयंपक्वा विआलणे नम्स परिकहणा ॥७॥ निम्संकि यूभाइसु काउं गच्छेज चेइअघर तु। पच्छा साहुसमीवं नेऽवि अ संभाइया तस्स ॥८॥ निक्सिविकिइकम्मं दीवणऽणाबाह पुच्छण सहाओ। गेरपण विसजणया अविसजुवएस दावणया ॥९॥ पुणरवि अयं बुभिजा अयाणगा मो स भणिज संचिरसे। उभओऽवि अयाणंना वेज पुच्छंति जयणाए ॥७॥ गमणे पमाण उवगरण सउण वावार ठाण उचएसो। आणण गंधुदगाई उट्ठमणुढे अजे दोसा ॥ १॥ पढमावियारजोगं नाउँ गच्छे बिडजए दिण्णे। एमेव अण्णसंभोइयाण अण्णाइ वसहीए॥२॥ णगधुवणऽत्थर तस्स नियग वा ॥३॥ सारवण साहाय पागड धुवण य सुइ समायारा। अहावभल समाहा सहम्स आसास पडिअरणं ॥४॥ सयमेव दिट्ठपाडी करेइ पुच्छद अयाणओ वेनं। दीवण दवाइंमि अ उवएसो जाव लंभो उ॥५॥ कारणि हट्ट पेसे गमणऽणुलोमेण नेण सह गच्छे। निकारणि खरंटण बिडज संघाडए गमणं ॥६॥ समणिपवेसि निसीहिअ नुवावजण अदिट्ठ परिकहणं । थेरीतमणिविभासा निमंतऽणाबाहपुच्छा य॥ ७॥ सिटुमि सह पहिणीयनिग्गह अब अपणहि पेसे। उबएसो दावणया गेलन्ने वेजपुच्छा अ॥८॥ तह चेव दीवण चउक्कएण अन्नत्थ वसहि जा पढमा। नह चेवेगाणीए आगाढे चिलिमिली नवरं ॥९॥ निकारणि चमढण कारणिों नेइ अहव अप्पाहे । गमणित्थि मीससंबंधिवजिए असइ एगागी ।। ८०॥ एगबहू समणुण्णाण वसहीए जो य एग अमणुनो। अमणुन्नसंजईण य अण्णहिं एक चिलिमिलीए ॥१॥ विहिपुच्छाएं पवेसो सण्णिकुले चेइ पुच्छ साहम्मी। अन्नत्थ अस्थि इह ते गिलाणकजे अहिवडंनि ॥२॥ सबंपि न घेत्त निमंतणे जं नहि गिलाणम्स। कारणि ज्म य विउलं दवं तु पाउगं ॥३॥ जाएं दिसाए गिलाणो ताएं दिसाएउ होइ पडियरणा। पुत्रभणिों गिलाणो पंचण्हवि होइ जयणाए॥८४॥ नेसि पडिछण पुच्छण सुठुकर्य अन्थि नत्थि वा लंभो । खम्गूडे विलओलणदाणमणिच्छे तहिं नणं ॥३५॥ भावा पंतं असर करिना निवेयण गहण अहव समणुन्ना। खम्गूड देहि नं चित्र कमढग तम्स - प्पणो पाए॥६॥ कि कीरउ ? जं जाणसि अतरंति सढेत्ति वच तं भंते!। निम्मा न करेंती करणमणालोइय सहाओ॥७॥ उभओ निम्मेसुं फासुपडोआर इयरपडिसेहो। परिमिअदाण विसजण सच्छंदोद्धसणा गमणं ॥८॥ एस गमो पंचण्हवि होइ नियाइण गिलाणपडियरणे। फासुअकरण निकायण कहण पडिकामणा गमणं ॥९॥संभावणेऽविसहो देउलि. अखरंट जयण उपएसो। अविसेस निण्हगाणवि न एस अम्हं तो गमणं ॥४०॥ तारेहि जयणकरणे अमुर्ग आणेहऽकप्प जणपुरओ। नवि एरिसया समणा जयणाएं नओ अवक्कमण डेआ तेर्ण। साहम्मिअकजबहुत्तया य सुचिरेणविन गच्छे ॥२॥ तित्यगराणा चायग! दिट्टनो भोइएण नरवडणा। जनुग्गय भोडअ दंडिए अ घरदार पुषकए ॥३॥रण्णो तणघरकरणं सचिलकम्मं तु गामसामिस्स । दोहंपि दंडकरणं विवरीयऽण्णेणवणओ उ ॥४॥ जह नरवहणो आणं अहकमंता पमायदोसणं । पार्वति बंधवहरोहछिनमरणावसाणाई ॥५॥ तह जिणवराण आणं अइक्कर्मता पमायदोसेणं। पार्वति दुग्गइपहे विणिवायसहस्सकोडीओ ॥६॥ तित्थगरवयणकरणे आयरिआणं कयं पए होइ। कुजा गिलाणगस्स उ पढमालिय जाव बहिगमणं ॥७॥ जइ ता पासस्थोसण्णकुसीलनिण्हवगाणंपि देसिअं करणं । चरणकरणालसाणं सम्भावपरंमुहाणं च ॥८॥ किं पुण जयणाकरणुजयाण दंतिदिआण गुत्तार्ण ?। संविग्गविहारीणं सवपयत्तेण काय ॥४९॥ भाष्यं । एवं गेलनट्ठा वाघाओ अह इयाणि भिक्खट्ठा। बइयग्गामे संखडि सनी दाणे य भद्दे य ॥८५॥ उच्चत्तणमप्पत्तं च पडिच्छे खीरगहण पहगमणे। वोसिरणे छक्काया धरणे मरणं दवविरोहो॥६॥ खदादाणिअगामे संखडि आइन्न सद्ध गेलन्ने । सपणी दाणे भहे अप्पत्तमहा. निनादेसु॥७॥ पडच्छिखीर सतरं घयाइ तकस्स गिण्हणे दीहं । गेहि विगिंचणियभया निसट्ट सुवणे य परिहाणी॥८॥गामे परितलिअगमाइमरगणे संखड़ी छणे विरूवा। सण्णी दाणे भहे जेमण विगई गहण दीहं ॥९॥ अह जग्गइ गेलन्नं अस्संजयकरण जीववाघाओ। इच्छमणिच्छे मरणं गुरुआणा छड्रडणे काया॥९॥तकोयणाण गहणे गिलाण आणा(बाला)इया जढा होति। अप्पत्तं च पडिच्छे सोचा अहवा सयं नाउं ॥१॥ दूरुट्ठिअखुड्डलए नव भड अगणी अ पंन पडिणीए। अप्पत्नपडिच्छण पुच्छ चाहिं अंतो पविसिअयं ॥२॥ कक्खडखे. १२२२ ओघनियुक्तिः - मुनि दीपरत्नसागर Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नचुत्रो वा दुव्बल अदाण पविसमाणो वा। वीराइगहण दीहं बहुं च उवमा अयकडिले ॥३॥ जे चेव पडिच्छणदीहखदमुवणेसु वणिआ दोसा । ते पेव सपडिवक्ता हाँति इहं कारणजाए ॥९४॥ विहिपुच्छाए सण्णी सोउं पविसे न बाहि संचिक्खे। उम्गमदोसभएणं चोयगवयर्ण बहिं ठाउं ॥५०॥ भा०। सोचा दठूर्ण वा बाहितिअं उम्गमेगयर कुजा। अप्पन्न पविट्ठो पुण चोयग! द; निवारेजा ॥५१॥ भा०। उग्गमदोसाईणं कहणा उप्पायणेसणाणं च। तत्थ उ नत्थी मुझे चाहिं सागार कालदुवे ॥९५॥ फेडेज व सइकालं संखडि पेनूण वा पए गच्छे। सुण्णघराइपलोयण चेहय आलोयणाऽचाई ॥५२॥ भा०। उम्गमएसणकर्ण न किंचि करणिज अम्ह विहिदाणं । कस्सऽट्ठा आरंभो तुनोसो ? पाहुणा डिंभा ॥३॥ रसवापविसण पासण मिअममिअमवक्खडे तहा गहणं। पजते तस्येव उ उभएगयरे य ओयविए॥४॥ असइ अपजते बा सुष्णपराईण बाहिं संसटे। लट्टीइ दारघट्टण पविसण उस्सग्ग आसत्थे ॥ ५॥ आलोअणमालावो अहिट्ठमिवि तहेव आलायो। किं उलार्य न देसी ? अदिट्ठ निस्संकिअं भुंजे ॥ ६॥ दिट्ट असंभम पिंडो तुजमविय इमोत्ति साह वेउची। सोषि अगारी दोचा नीड पिसाउत्तिकाऊणं ॥७॥ निषेण व मालेण व वाउपवेसेण अहव सढयाए। गमणं च कहण आगम दूरम्भासे विही इणमो ॥८॥ यो भुंजह बहुअं विर्गिचई परमपत्तपरिगणणं। पत्तेसु कहिं भिक्खं? विट्ठमदिढे विमासा उ॥९॥ अहिडे किं वेला? तेसि निबंधमि दायणे खिसा। ओहामिओ उ बडुओ वण्णो य पहाविओतहि ॥६०॥ सुण्णघरासइ बाहिं देवकुलाईमु होइ जयणा उ। तेगिच्छियाउखोभो मरणं अणुकंप पडिअरणं ॥१॥ इरियाइ पडिकतो परिगुणणं संधिआ भि का गुणिआ ?। अम्हं एमुवएसो धम्मकहा विहपडिवत्ती ॥२॥ पंडितासइ चीर निवायसंरक्षणाइ पंचेव । सेसं जा पंडिाई असईए अण्णगामंमि ॥ ३॥ अपहुपते काले तं चेव दुगाउयं नइकामे। गोमुत्तिजदइदाइसु मुंजा अहवा पएसेमुं॥६४॥ मा० । दिद्वमदिट्ठा दुविहा नायगुणा चेव हुंति अनाया। अहिट्ठावि य दुविहा मुअमसुञ पसत्थमपसत्था ॥९६॥ दिट्ठा व समोसरणे न य नायगुणा हवेज ने समणा । सुअगुण पसत्य इयरे समणुनिअरे य सचेवि ॥ ७॥ जइ सुद्धा संवासो होइ असुद्धाण दुविह पडिलेहा। अम्भितरवाहिरिआ दुविहा ने य भावे य॥८॥ घट्ठाइतलिअदंडग पाउय संलग्गिरी अणुवओगो। दिसि पवण गाम सूरिय वितह अच्छोलणा दो॥९॥ विकहा हसिउग्गाइय भिनकहाचकवालछलिअकहा। माणुसतिरिआवाए दायणआयरणया भावे HI ॥१०॥ बाहि जारि असुदा तहावि गंतूण गुरुपरिक्सा उा अहव विसुद्धा तहवि उ अंतो दुविहा उ पडिलेहा ॥१॥ पविसंत निमित्तमणेसणे व साहहन एरिसा समणा। अम्हंपिते कहती कुकुडखरियाइठाणं च ॥२॥ दमि ठाणफलए सेजासंधारकायउचारे। कंदप्पगीयविकहाचुग्गहकिड्डा य भावमि ॥३॥ संविग्गेमु पवेसो संवियाऽमणुन वाहि किहकम। ठवणकुलापुच्छणया एत्तोचिय गच्छ गविसणया ॥४॥ संविग्गसंनिभदग सुने निइयाइ मोतुहाछंदे। वचंतस्सेतेसुं वसहीए मम्गणा होइ ॥५॥ वसही समणुण्णेमुं निइयादमणुण्ण वेए। संनिगिहि इस्थिरहिए सहिए वीमुं घरकुडीए॥६॥ अहणवासि सकवाड निञ्चिले निचले वसह सुण्णे। अनिवेडएयरेसिं गेलने न एस अम्हंति ॥७॥नीयाइअपरिमुत्ते सहिएयर पक्खिए व सझाए। कालो सेसमकालो वासो पुण कालचारीम् ॥८॥ तेण परं पासत्याइएस न य बसइऽकालचारीमु। गहिआवासगकरणं ठाणं गहिएणऽमहिएणं ॥९॥ निसिअ तुयण जग्गण विराहणभएण पासि निक्खिवइ । पासत्याईणेवं निइए नवरं अपरिभुत्ते ॥११०॥ एमेव अहाउंदे पडिहणणा माण अज्झयण कना। ठाणडिओ निसामे मुवणाहरणा य गहिएणं ॥१॥ असिवे ओमोयरिए रायडुढे भए नदुद्दाणे। फिडिअगिलाणे कालगवासे ठाणडिओ होइ॥२॥ तत्थेच अंतरा वा असिवादी सोउ परिस्यम्सऽसई। संचिक्खे जाव सिर्व अहवावी ते तओ फिडिआ ॥३॥ पुण्णा व नई चउमासवाहिणी नवि य कोइ उत्तारे। तत्यंतरा व देसो व उहिओं न यलम्भइ पबत्ती ॥६५॥ भा०। फिडिएमुजा पवित्ती सयं गिलाणो परं व पडियरइ। कालगया व पवत्ती ससंकिए जाव निस्संकं ॥६६॥ मा०। वासासु उम्भिण्णा बीयाई तेण अंतरा चिट्ठे। तेगिच्छि भोइ सारक्खणहट्टे ठाणमिच्छति ॥४॥ संविम्गसंनिभग अहप्पहाणेसु भोइयघरे वा। ठवणा आयरियस्सा सामायारी पउंजणया ॥५॥ एवं ता कारणिओ दूइजइ जुत्त अप्पमाएणं। निक्कारणि एनो चइओ आहिंडिओ चेव ॥६॥ जह सागरंमि मीणा संखोहं सागरस्स असहंता। निति तओ मुहकामी निम्गयमित्ता विनस्संति ॥ ७॥ एवं गच्छसमुहे सारणवीइंहिं चोइया सना। निति तओ सुहकामी मीणा व जहा विणस्सति ॥८॥ उवएस अणुवएसा दुविहा आहिंडआ समासेणं। उवएस देसदसण अणुवएसा इमे होति ॥९॥ चके यूभे पडिमा जम्मण निक्खमण नाण निवाणे। संखडि विहार आहार उवहि तह दसणवाए ॥१२०॥ एते अकारणा संजयस्स असमत्ततदुभयस्स भवे। ते चेव कारणा पुण गीयत्वविहारिणो भणिआ ॥१॥ गीयत्यो य विहारो बिइओ गीयत्थमीसिओ भणिओ। एतो तइअविहारो नाणुनाओ जिणवरेहिं ॥२॥ संजमआयविराहण नाणे तह दसणे चरित्ने य। आणालोव जिणाण कुबइ दीहं तु संसारं ॥३॥ संजमओ उकाया आयाकंटऽद्विजीरगेलने। नाणे नाणायारो देसण चरगाइ बुग्गाहे ॥६७॥ भा०। गावि हॉति दुविहा कारणनिकारणे दुविहभेओ। जं १२२३ओघनियुक्तिः - मुनि दीपरत्नसागर Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एन्धं नाणनं तमहं वोच्छं समासेणं ॥४॥ जयमाणा खलु एवं तिविहा उ समासओ समक्खाया। विहरताविय दुविहा गच्छगया निग्गया चेव ॥४॥५०जयमाणा विहरंता ओ. हाणा हिंडगा चउदा उ। जयमाणा तत्थ तिहा नाणट्ठा दसणचरिते ॥५॥ पत्तेयबुद्ध जिणकप्पिया य पडिमासु चेव विहरता। आयरिअथेरवसभा भिक्खू खुड्डा य गच्छंमि ॥६॥ ओहावंता दुविहा लिंग विहारे य होति नायत्रा। लिंगेणऽगारवासं नियया ओहावण विहारे ॥७॥ उवएस अणुवएसा दुविहा आहिंडया मुणेयवा। उवएस देसदसण थूभाई हुंतिणुवएसा ॥८॥ पुण्णमि मासकप्पे वासावासासु जयणसंकमणा । आमंतणा य भावे सुत्तत्थ न हायई जत्थ ॥९॥ अप्पडिलेहियदोसा वसही भिक्खं च दुाडहं होना। मालामंगलाणाण व पाउमगं अहव सझाओ ॥१३॥ तम्हा पुर्व पडिलेहिऊण पच्छा विहीएँ संकमणं । पेसेइ जइ अणापुच्छिउँ गणं तत्थिमे दोसा ॥१॥ अइरेगोवहिपडिलेहणाएँ कत्यवि गयत्ति तो पुच्छे। खेने पडिलेहेङ अमुगस्थ गयत्ति तं दुढें ॥२॥ तेणा सावय मसगा ओमऽसिवे सेह इस्थि पडिणीए। थंडिल्ड अगणि उट्ठाण एवमाई भवे दोसा ॥३॥ पश्चंति तावसीओ साक्यदुभिक्खनेणपउराई। णियगपट्ठाणे फेडणहरियाइ(हरिहरिय) पण्णीए ॥४॥ सीसे जइ आमंतइ पडिच्छगा तेण वाहिरं भावं। जइ इयरे तो सीसा तेवि सममि गच्छंति ॥५॥ नरुणा बाहिरभावं न य पडिलेहोवही न किइकम्म। मूलयपत्तसरिसया परिभूया पश्चिमो थेरा ॥ ६॥ जुण्णमएहि विहूर्ण जं जूहं होइ सुवि महालं। तं तरुणरहसपोइयमयगुम्मइअं सुहं हंतुं ॥७॥ थुइमंगलमामंतण नागच्छद जो य पुच्छिओ न कहे। तस्सुवरि ते दोसा तम्हा मिलिएसु पुच्छेजा ॥८॥ केई भणति पुर्व पढिलेहिअ एवमेव गंतवं । तं च न जुजब बसही फेडण आगंतु पडिणीए॥९॥ कयरी दिसा पसत्था ? अमुई सोसि अणुमई गमणं। चउदिसि ति दु एग वा सत्तग पणगं तिग जहण्णं ॥१४०॥अणभिग्गहिए वावारणा उ तत्य उ इमे न बावारे।बालं बुढ़मगी जोगिं वसहं तहा खमगं ॥१॥ हीलेज व खेलेज व कजाकजं न याणई बालो । सो वाऽणुकंपणिजो न दिति वा किंचि बालस्स ॥६८॥ भाप्यं । बढोऽणकंपणिजो चिरेण न य मग्गथंडिले पेहे। अहवावि बालबुड्ढा असमत्था गोयरतियस्स ॥९॥ पंथं च मासवासं उवस्सयं एचिरेण कालेणं। एहामात्तिन याणहर पण ठाणं च ॥ ७॥ तूरंतो य ण पेहे पंथं पाढडिओ न चिर हिंडे। विगई पडिसेहेइ तम्हा जोगिन पेसेन्जा ॥१॥ठवणकुलाणि न साहे सिट्ठाणि न देंति जा विराहणया। परितावण अणुकंपण तिण्हऽसमत्थो भये खमगो ॥७२॥ भा०। एए चेव हवेजा पडिलोमेणं तु पेसए विहिणा। अविही पेसिजते ते चेव तहिं तु पडिलोमं ॥२॥ सामायारिमगीए जोगमणागाढ खवग पारावे। वेयावच्चे दायण जुयलसमत्थं वसहियं वा ॥३॥ पंधुच्चारे उदए ठाणे भिक्खंतरा य वसहीओ। तेणा सावय वाला पच्चावायाय जाण विही ॥४॥ सो चेव उनिम्गमणे विही उ जो बनिओ उ एगस्स। दवे खेत्ते काले भावे पंथं तु पडिलेहे ॥७३॥भा०। कंटग तेणा वाला पडिणीया सावया य दवंमि। समविसमउदयथंडिल भिक्खायरि अंतरा खेत्ते ॥४॥ दियराउऽपञ्चवाए य जाणई सुगमदुग्गमे काले। भावे सपक्खपरपक्खपेडणा निण्हगाईया ॥७५॥ भाष्य। सुत्तत्थं अकरिता भिक्खं काउंअइंति अबरण्हे। विइयदिणे सज्झाओ पोरिसिअद्धाइ संघाडो ॥५॥ खेतं तिहा करेत्ता दोसीणे नीणिअंमि अ वयंति । अण्णो लदो बहुओ थोवं दे मा य रूसेजा ॥६॥ अहव ण दोसीणं चिझ जायामो देहि दहि घयं खीरं। खीरे घयगलपेजा थोवं थोवं च सपथ ॥७॥ मज्झण्हि पउरभिक्खं परिताविअपिजजूसपयकढिअं। ओभट्ठमणोभहूँ सम्भाइ जं जत्थ पाउम्गं ॥८॥ चरिमे परितावियपेजजस आएस अतरणहाए। एकेकगसंजुत्तं भत्त₹ एकमेकस्स ॥९॥ ओसह भेसज्जाणि य कालं च कुले य दाणमाईणि। सग्गामे पेहिता पेहति ततो परम्गामे ॥१५०॥ चोयगवयणं दी पणीयगहणे य नणु भवे दोसा। जुजइ तं गुरुपाहुणगिलाणगट्ठा न दप्पट्ठा ॥१॥ जइ पुण खदपणीए अकारणे एकसिपि गिण्हेजा। तहि दोसा तेण उ अकारणे खदनिहाई ॥२॥ एवं-रुइए थंडिल क्सही देउलिअसुण्णगेहमाईणि। पाओगमणुण्णवणा वियालणे तस्स परिकहणा ॥३॥ सिंगक्खोडे कलहो ठाणं पुण नेव (प० नस्थि) होइ चलणेसुं। अहिठाणि पोट्ट रोगो पुच्छमि य फेडणं जाण ॥७६॥ भा० मुहमूलंमि य चारी सिरे य कउहे य पूयसकारो।खंधे पट्टीएँ भरो पोइंमि य धावओ वसहो ॥७७॥ उद्देसणुपुबीए वुच्चत्यं पेहमाणिणो दोसा। जे य गुणा पढमाए ते वाघायंमि सेसासु ॥प्र०५॥ पउरन्न पाण पढमा बीयाए भत्तपाण न लहति। तइआ उवगरणहरी नत्यि चउत्थीइ सज्झाओ॥६॥ पंचमिआए संखडि छट्ठीइ गणस्स भेयर्ण जाण । सत्तमिआ गेलन्नं मरणं पुण अट्ठमी चिंति ॥७॥ बुद्धीए पुत्रमुहं वसहमिओ गंतु उत्तरे पासे। एवं पुवुत्तरओ वसहिं गिव्हिज निहोसं ॥८॥ रुद्दए महर्षडिहं पेहिजा चोयगो भणइ एवं । ठायंतञ्चिय तुझ य अमंगलं कुबहा भंते! ॥९॥ आहायरिओ लोए नगरनिवेसंमि पढमवत्थुमि। सीयाणं पेहिजइ न य दि8 तं अमंगलयं॥१०॥ दिसा अवरदक्षिणा दक्खिणा य अवरा य दक्षिणापुछा । अवरुत्तरा य पुछा उत्तरपुत्रुत्तरा चेव ॥११॥ उहिट्ठकमेणासिं पढम पडिलेहिऊण वाघाए । बीयं पडिलोहिजा एवं उद्देस ओऽहाणी ॥१२ प्र०॥ दशे तणडगलाई अच्छणभाणाइधोवणा खेत्ते। काले उच्चाराई भावेण गिलाणकूरुवमा ॥७८॥ भा०। जाव गुरूण य तुज्झ य केवइया ? तत्थ सागरेणुवमा। केवइकालेणेहिह ? सागार ठवंति अण्णेवि ॥४॥ पुत्रुदिढे इच्छइ अहव भणिजा हवंतु एवइया। तत्थ न कप्पइ वासो असई खेत्ताणऽणुन्नाओ ॥५॥ सकारो सम्माणो (३०६) १२२४ ओपनियुक्तिः - मुनि दीपरत्नसागर IA Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भिक्खरगहणं च होड पाहणए। जइ जाणउ वसह तहिं साहम्मिअवच्छऽऽणाई ॥६॥ जइ तिमि सागमणं एसुन एसुत्ति दोसुविय दोसा। अण्णपहेणऽगुर्णता निययावासोऽह मा गुरुणो ॥७॥ गंतॄण गुम्समीवं आएत्ता कहेंति खेतगुणा । न य सेसकहण मा होज संखडं रत्ति साहेति ॥८॥ पढमाएँ नत्थि पढमा तत्थ उ पयस्वीरकूरदहिलंभो। बिइयाए विड्तइयाएं दोषि तेसिं च धुवलंभो ॥९॥ ओहासिअघुवलंभो पाउम्गाणं चउत्थिए नियमा। इहावि जहिच्छाए तिकालजोगं च सधेसि ॥ १६०॥ मयगणं आयरित्रो कत्थ वया मोनि? तन्य आयरित्रो (जागरिया) बुभिआ भणति पदमंतं चित्र अणुओगततिला ॥१॥ विइयं च मुत्तगाही उभयग्गाही अतइययं खेत्तं । आयरिओ अचउत्थं सो उ पमाणं हाइ तत्य ॥२॥ मोहम्भवो उबलिए दुबलदेहो न साहए जोए। तो मज्झवला साहू दुट्टऽस्सेणेत्य दिटुंतो ॥३॥ पणपण्णगस्स हाणी आरेणं जेण तेण वा धरइ । जइ तरुणा नीरोगा वच्चंति चउत्थगं नाहे ॥४॥ अह पुण जुण्णा घेरा रोगविमुकाय असहुणो तरुणा। ते अणुकुलं लेतं पेसंति न यावि स्वम्गृडे ॥५॥ एगपणअदमासं सट्ठी सुणमणुयगोणहत्यीणं । राइंदिएण उबलं पणर्ग नो एक दो तिमि ॥६॥ सागारिऽपुच्छगमणे माहिरा मिच्छ छेय कयनासी। गिहि साहू अभिधारण तेणगसंकाइ जं चण्णं ॥७॥ अविहीपुच्छा उग्गाहिएण सिज्जातरी उ रोएगा। सागारियम्स संका कलहे य सएजिआ खिसे ॥१६८॥ वसहीए वोच्छेओ अभिसंधारितयाण साहणं । पुणरावत्ती होज पाजा उजुअमईणं ॥१३॥पका हरिअच्छेयण उपाय पञ्चणं किच्चणं च पोताणं। उपणेयरं च पगयं इच्छमणिच्छे य दोसा उ॥९॥ जइआ चेव उ खेत्तं गया उपडिलेड्गा तओ पाए। सागारियस्स भावं तणुएंति गुरू इमेहिंतु ॥१७॥ उच्छू वोटिंति वई तुंबीओ जायपुत्तमंडा य। वसभा जायत्थामा गामा पवायचिक्खडा ॥१॥ अप्पोदगा य मग्गा वसुहावि य पकमहिआ जाया। अण्णकता पंथा साहूर्ण विहरिउं कालो ॥२॥ समणाणं सउणाणं भमरकुल्लाणं च गोउलाणं च। अनियाओ बसहीओ सारइयाणं च मेहाणं ॥३॥ आवस्सगकयनियमा का गच्छाम तो उ आयरिओ । सपरिजर्ण सागारिअ वाहरि दिति अणुसिढिापाज सावओ वा दसण भहो जहण्णय वसहिं। जोगंमि वट्टमाणे अमुगं वेलं गमिस्सामो॥५॥तदुभय मुलं पडिलेहणा य उम्मयमणुग्गए वावि। पडिछाहिगरणतेणे नहे(ह)सम्ड संगारो॥१७६॥ पडिलेहंतचिटियाउ काऊण पोरिसि करिति । चरिमा उग्गाहेउ सोचा मज्झण्हि बच्चति ॥७९॥ भा०ा तिहिकरणंमि पसन्थे नक्खने अहिवहस्स अणुकूले। पेनूण निति यसभा अक्खे सउणे परिक्खंता ॥८०॥ वासस्स य आगमणे अवसउणे पट्ठिआ निवत्तंति। ओभावणा पश्यणे आयरिआ मग्गओ तम्हा ॥१॥ महल कुचेले अभंगिएलए साण खुज पडभे या। एए उ अप्पसत्या हवंति खित्ताउ निंताणं ॥२॥ नारी पीवरगम्भा बड्डकुमारी य कलुभारो य। कासायवत्य कुमचंधरा य कर्ज न साहति ॥३॥ चकयरंमि भमाडो भुक्खामारोय परंगमि । तच्चन्नि रुहिरपडणं बोडियमसिए धुर्व मरणं ॥१०१४॥ जंबु य चासमऊरे भारदाए तहेव नउले या सणमेव पसत्यं पया. हिणे सबसंपत्ती ॥४॥ नंदी नूरं पुण्णस्स दंसणं संखपडहसहो या भिंगारछत्तचामर घयप्पडागा पसत्थाई ॥५॥समणं संजय दंत, सुमणं मोयगा दहिं । मीणं घंटे पढार्ग च. सिद्धमत्थं विगरे ॥ ६॥ सेजातरेऽणुभासह आयरिओ सेसगा चिलिमिलीए। अंतो गिण्हन्तुवहिंसारविअ पडिस्सया पुचि ॥७॥बालाई उवगरणं जावइयं तरति तत्तिर्य गिण्हे । जहणेण जहाजायं सेसं तरुणा चिरिचिति ॥८॥ आयरिओपहि पालाइयाण गिण्हंति संघयणजुत्ता। दो सोत्ति उण्णिसंथारए य गहणेकपासेणं ॥९॥ आउज्जोवण वणिए अगणि कुहुंची कुकम्म कम्मरिए। तेणे मालागारे उम्भामग पंथिए जंते॥१०॥भाग संगार बीय वसही तइए सण्णी चउत्थसाहम्मी। पंचमगंमि य वसही छढे ठाणडिओ होति॥१७॥दारा। आओसे संगारो अमुई केलाएं निग्गए ठाणं । अमुगत्य पसहि भिक्खं बीओ खग्गूड संगारो॥९१॥ भा० रतिं न चेव कप्पइ नीयदुवारे विराहणा दुविहा । पण्णवणे बहुयरगुणे अणिच्छ बीओ व उपही वा॥२॥ मुवणे वीसुवघातो पडिबजरंतो य जो उन मिलेगा। जग्गण अप्पडिबझण जइवि चिरेणं न उवहम्मे ॥९३॥ भा०। पुरओ मज्झे तह मग्गओ य ठायंति खिनपडिलेहा । दाईतुच्चाराई भावासण्णाइस्क्खट्ठा ॥८॥डहरे भिक्खग्गामे अंतरगामंमि ठावए तरुणे । उवगरणगहण असहू व ठावए जाणगं चेगं ॥९॥ दूरहिअ सुइडलए नव भड अगणी य पंत परिणीए। संघाडेगो धुवकम्मिओ व मुण्णे नवरि रिक्खा ॥१८०॥ जाणंतठिएं ता एउ वसहीए नस्थि कोइ पडियरइ। अण्णाएऽजाणतेसु वावि संघाड धुवकम्मी ॥१॥ जइ अम्भासे गमण दूरे गंतुं दुगाउयं पेसे। तेचि असंथरमाणा इंती अहवा विसर्जति ॥२॥ पढमबियाए गमर्ण गहर्ण पडिलेणा पवेसो उ।काले संघाडेगो वसंघरंताण तह चेव ॥ ३॥ पढमचिनियाएं गमर्ण बाहिं ठाणं च चिलिमिणी दोरे। पितॄण इंति बसहा वसहि पडिलेहिउँ पुषि ॥१४॥ भागवाघाए अण्णं मग्गिऊण चिलिमिणि पमजणा वसहे। पत्ताण भिक्सवेलं संघाडेगो परिणओ वा॥४॥ सधे वा हिंडता वसहि मम्गति जह व समुयाण। लदे संकलियनिवेयर्ण तु तत्येव उ नियट्टे ॥५॥एको घरेइ भाणं एको दोण्हवि पवेसए उवहिं। सबो उबेद गच्छो सवार वुड्ढाउलो ताहे ॥६॥ योयगपुच्छा दोसा मंडलिबंधमि होइ आगमण । संजमायविराहण वियालगहणे य जे दोसा ॥७॥ अइभारेण उ इरियं न सोहए कंटगाइ आयाए। भन्नट्टिय - १२२५ ओघनियुक्तिः - मुनि दीपरत्नसागर Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 बोसिरिया अतु एवं जढा दोसा ॥ ८ ॥ आयरियवयण दोसा दुबिहा नियमा उ संजमायाए। वचह न तुज्झ सामी असंखर्ड मंडलीए वा ॥ ९ ॥ कोऊहल आगमणं संखोभेणं अकंठ गमणाई । ते चैव संखडाई बसहिं व न दंति जं वनं ॥ १९० ॥ भारेण वेयणाए न पेहए थाणुकंट आयाए। इरियाइ संजमंमि य परिगलमाणेण छकाया ॥ १ ॥ सावयतेणा दुविहा विराहणा जाय उबहिणा उ विणा तणअग्गिगहणसेवण वियालगमणे इमे दोसा ॥ २ ॥ पविसणमग्गणठाणे वेसित्थिदुर्गुछिए य बोद्धवे सज्झाए संचारे उच्चारे चेव पासवणे ॥ ३ ॥ साव या दुविहा चिराहणा जा य उबहिणा उ विणा । गुम्मियगहणाऽऽहणणा गोणाईचमढणा चैव ॥ ४ ॥ फिडिए अण्णोष्णारण तेण य राजो दिया य पथमि। साणाइ बेसकुत्थिअ तवोवणं मूसिआ जं च ॥ ५ ॥ अप्पडिलेहिअकंटाविलंमि संथारगंमि आयाए। छकायसंजमंमि य चिलिणे सेहऽमहाभावो ॥ ६ ॥ कंटगथाणुगवालाविलंमि जइ बोसिरेज्ज आयाए। संजमओ उक्काया गमणे पत्ते अहंते य ॥ ७॥ मुत्तनिरोहे चक्खू वचनिरोहेण जीवियं चयइ उड्ढनिरोहे कोट्टं गेलनं वा भवे तिसुवि ॥ ८ ॥ जइ पुण वियाल पत्ता पए व पत्ता उवस्सय न लभे । सुनघरदेउले वा उज्जाणे वा अपरिभोगे ॥ ९ ॥ आवाय चिलिमिणीए रण्णे वा निम्भए समुद्दिसणं सभए पच्छनासइ कमढ्य कुरुया य संतरिआ ॥ २०० ॥ कोट्ठग सभा व पुवि काले वियाराइभूमिपडिलेहा पच्छा अइति रत्ति पत्ता वा ते भवे रन्ति ॥ १ ॥ गुम्मियभेसण समणा निष्भय बहिठाण वसहिपडिलेहा। सुन्नघर पुत्रभणिअं कंचुग तह दारुदंडेणं ॥ २ ॥ संथारगभूमितिगं आयरियाणं तु सेसगाणेगा। रुंदाऍ पुप्फइन्ना मंडलिजा आवली इयरे ॥ ३ ॥ संथारम्गहणाए बेंटिअउक्रखेवणं तु कायां संथारो घेत्तो मायामयविष्यमुक्केणं ॥ ४ ॥ पोरिसिपुच्छणया सामाइय उभय कायपडिलेहा साहणिये दुवे पट्टे पमज्ज भूमिं जओ पाए ॥ ५ ॥ अणुजाणह संथारं बाहुबहाणेण वामपासेणं कुकुडिपायपसारण अंतरंत पमज्जए भूमिं ॥ ६ ॥ संकोए संडास उवत्तंते य कायपडिलेहा दवाईउवओगं णिस्सासनिरंमणाऽऽलोयं ॥ ७ ॥ दारं जा पडिलेहे तेणभए दोण्णि सावए तिष्णि ज य चिरं तो दारे अण्णं ठावेत्तु पडिअरइ ॥ ८ ॥ आगम्म पडिकतो अणुपेहे जाव चोद्दसवि पुढे परिहाणि जा तिगाहा निधपमाओ जदो एवं ॥ ९॥ अतरंतो व निवजे असंथरंतो य पाउने एक गद्दभदिते दो तिष्णि बहू जह] समाही ॥२१०॥ वसहित्तिदारं । दुविहो य बिहरिया विहरिओ उ भयणा उ विहरिए होइ। संदिट्ठो जो विहरितो अविहरिअविही इमो होइ ॥ १॥ अविहरिअ विहरिओ वा जइ सड्ढो नत्थि नत्थि उ निओगो। नाए जइ ओसण्णा पविसंति तओ य पण्णरस ॥ ९५ ॥ मा० संविग्गमणुष्णाए अइंति अहवा कुले विरंचति । अण्णाउंछं व सहू एमेव य संजईवग्गे ॥ ६ ॥ एवं तु अण्णसंभोइयाण संभोइयाण ते चैव जाणित्ता निब्बंधं वत्यवेणं स उ पमाणं ॥ ७ ॥ असइ बसहीऍ बीसुं राइणिए वसहि भोयणागम्म । असहू अपरिणया वा ताहे वीसुं सहूवियरे ॥ ८ ॥ तिष्हं एकेण समं भत्तट्ठो अप्पणो अवढं तु पच्छा इयरेण समं आगमणविरेगु सो चेव ॥ ९ ॥ चेइयवंद निमंतण गुरूहिं संदिट्ट जो वऽसंदिsो । निब्बंध जोगगहणं निवेय नयणं गुरुसमासे ॥ १०० ॥ अविहरियमसंदिट्ठी चेइय पाहुडियमेत्त गेव्हंति पाउग्गपउरलंभे नऽम्हे किं वा न भुंजति ? ॥१॥ गच्छस्स परीमाणं नाउं घेत्तुं तओ निवेयंति। गुरुसंघाडग इयरे लद्धं नेयं गुरुसमीचं ॥ २ ॥ भा० मा वञ्चह गिव्ह गुरुजोगं ॥ एवइमं वा गिण्हह पज्जन्तं वा नियत्तह य भंते! अणिवेइए अ गुरुणो हिंडंताणं इमे दोसा ||१० १५॥ दरहिंडिय बुड्ढाई आगंतु समुद्दिस्संति जं किंचि । दवविरुद्धं च कयं गुरूहिं जंकिंचि वा भुत्तं ॥ १६५० ॥ एगागिसमुद्दिसगा भुत्ता उ पहेणएण दितो। हिंडणदडविणासो निद्रं महुरं च पुत्रं तु ॥ ३ ॥ भा० । सन्नित्ति भत्तट्टिय आवस्सग सोहेउं तो अइंति अवरण्हे अन्मुट्ठाणं दंडाइयाण गहणेकवयणेणं ॥ २ ॥ खुड्डलविगट्ठतेणा उन्हं अवरण्हि तेण उ पएवि । पक्खित्तं मोत्तूणं निक्खिवमुक्खित्तमोहेणं ॥ ३ ॥ अप्पा मूलगुणेसुं विराहणा अप्प उत्तरगुणेसु । अप्पा पासत्याइस दाणम्गहसंपओगोहा ॥ ४॥ भुंजह भुत्ता अम्हे जो वा इच्छे अभुत सहभोजं । स च तेसि दाउ अन्नं गेव्हंति वत्थष्वा ॥ ५॥ तिष्णि दिणे पाहुअं सबेसिं असइ बालबुड्ढाणं । जे तरुणा सग्गामे वत्यवा बाहि हिंडंति ॥ ६ ॥ संघाडगसंजोगो आगंतुगभ एयरे बाहिं । आगंतुगा व चाहिं वत्यवगभदए हिंडे ॥ ७ ॥ वित्थिष्णा खुड्डलिआ पमाणजुत्ता य तिविह वसहीओ पढमबिइयासु ठाणे तत्थ य दोसा इमे होंति ॥ ८ ॥ खरकम्मि वाणियगा कप्पडिअ सरक्वगा य बंठा य। संमीसावासेणं दोसा य हवंति णेगविहा ॥ ९॥ आवासगअहिकरणे तदुभय उच्चारकाइयनिरोहे। संजम आयविराण संका तेणे नपुंसित्थी ॥२२० ॥ आवासयं करिते पवंचए झाणजोगवाघाओ। असहण अपरिणया वा भायणभेओ य छक्काया ॥ १ ॥ सुत्तत्थऽकरण नासो करणे उचगाइ अहिगरणं। पासवणिअरनिरोहे गेलन्नं दिट्ठि उड्डाहो ॥ २ ॥ मा दच्छिहिंति तो अप्पडिलिहिए (थंडिले) दूर गंतु वोसिरति । संजम आयविराहण महणं आरक्खितेणेहिं ॥ ३ ॥ ओणयपमजमाणं द तेणेत्ति आहणे कोई। सागारिअसंघट्टण अपुमित्थी गेव्ह साहइ वा ॥ ४ ॥ ओरालसरीरं वा इत्थि नपुंसा बलावि गेच्हति। सावाहाए ठाणे निंते आवडणपढणाई ॥ ५॥ तेणोति मण्णमाणो इमोबि तेणोत्ति आवडइ जुद्धं । संजमआयविराहणभायणभेयाइणो दोसा ॥ ६ ॥ तम्हा पमाणजुत्ता एकेकस्स उ तिहत्यसँथारो भायणसंथारंतर जह बीसं अंगुला हुंति ॥ ७॥ मज्जा१२२६ ओघनिर्युक्तिः मुनि दीपरत्नसागर 1 394 Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रमसगाइ यनवि वारे नवि य जाणुपट्टणया।दो हत्या य अबाहा नियमा साहुस्स साहो ॥८॥ भुत्ताभुत्तसमुत्था भंडणदोसा य वजिआ एवं। सीसंतेण व कुड्डं तु हत्यं मोत्तूण ठायंति | ॥९॥ पुष्वृदिडो उ विही इहवि वसंताण होइ सो चेव । आसज तिथि वारे निसन आउंटए सेसा ॥२३०॥ आवस्सिअमासजं नीइ पमजंतु जाच उच्छ। सागारिय तेणुब्भामए य संका नउ परेणं ॥१॥नस्थि उ पमाणजुत्ता खुइडलिया चेव वसति जयणाए। पुरहत्य पच्छ पाए पमज्ज जयणाए निग्गमणं॥२॥ उस्सीस भायणाई मजो विसमे अहाकडा उवरि। ओवग्गहिओ दोरो तेण य हासिलवणया॥३॥ सुड्डलियाए असई विच्छिन्नाए उमालणा भूमी। पिलधम्मो चारभहा साहरणेगंतकडपोती॥४॥ असई य चिलिमिलीए भए व पच्छन्न भूइए लक्खे। आहारा नीहारो निग्गमणपवेस बजेह ॥५॥ पिंडेण मुत्तकरणं आसज निसीहियं चन करिति । कासण न पमजणयानय हत्यो जयण वेरति॥६॥वसहित्ति। पत्ताण खेत्त जयणा काऊणावस्सयं तत्तो ठवणाापडणीयपत्त(सम्मत्त)मामगभग सबे य अचियत्ते॥आचाहिरगामे बुच्छा उजाणे ठाणवसहिपडिलेहा। इहरा उ गहिअभंडा बसही वाघाय उइडाहो ॥१०४ाभा०। मइल कुचेले अभंगिएडए साण सुज वडमे या। एए उ अप्पसत्या हवंति खित्ताउ निंताणं ॥५॥ नारी पीवरगम्भा वड्डकुमारी य कट्ठभारो य। कासा न साहेति॥६॥ चक्रयरंमि भमाडो भक्खामारो य पंडुरंगमि। तच्चभिरुहिरपडणं चोडियमसिए धुर्व मरणं॥७॥ जंबुज चास मउरे भारदाए तहेव नउले य। दंसणमेव पसथं पयाहिणे सवसंपत्ती ॥८॥ नंदी तुरं पुण्णस्स दंसर्ण संखपडहसहो या भिंगार छत्त चामर धयप्पडागा पसत्थाई ॥९॥ समणं संजय दंत, सुमणं मोयगा दहिं । मीणं घंटं पडागं च, सिद्धमत्यं विआगरे ॥११०॥ तम्हा पडिलेहिल दीवियंमि पुगय असइ सारविए । फड्डयफापवेसो कहणा न य उट्ट इयरेसिं ॥१॥ आयरियअणुट्टाणे ओहावण बाहिरा यऽदक्खिण्णा। साहणय वंदणिजा अणालचंतेऽचि आलावो ॥२॥ वुड्ढा निरोक्यारा अग्गहणमलोगजत्त बोच्छेओ। तम्हा खलु आलवणं सयमेव उ तत्थ धम्मकहा ॥३॥ वसहिफलं धम्भकहा कहणअलबी उ सीस वावारे। पच्छा अईति वसहिं तत्य य भुजो इमा जयणा ॥४॥ पडिलेहण संघारग आयरिए तिण्णि सेस उ कमेण । विटिअउक्खेवणया पविसइ ताहे य धम्मकही ॥५॥ उबारे पासवणे लाउय निावणे य अच्छणए। पुट्ठिय तेसि कहेऽकहिए आयरणवोच्छेओ॥६॥ भत्तहिआ व खवगा अमंगलं चोयए जिणाहरणं । जइ खमगा बंदता दायंतियरे विहिं वोच्छं ॥७॥ सवे दटुं उग्गाहिएण ओयरिअ भयं समुप्पजे। तम्हा विदु एगो वा उम्गाहिअ चेइए वंदे ॥८॥ सदाभंगोऽणुम्गाहियंमि ठवणाइया य दोसा उ । घरचेइअ आयरिए कइवयगमणं च गणं च ॥९॥ खेत्तंमि अपुर्वमी तिट्ठाणट्ठा कहिति दाणाई। असई य चेइयाणं हिंडता चेव दायंति ॥१२०॥ दाणे अभिगमसद्धे सम्मत्ते खलु तहेव मिच्छत्ते। मामाए अचियत्ते कुलाई दायंति गीयत्या ॥१॥ कयउस्सग्गामंतण पुच्छणया अकहिएगयरदोसा। ठवणकुलाण यठवणा पविसइ गीयत्यसंघाडो॥२॥ गच्छंमि एस कप्पो वासावासे तहेव उडुबुद्ध। गामागरनिगमेसुं अइसेसी ठावए सड्ढी ॥३॥ मा० किं कारणं चमढणा दवखओ उग्गमोऽविय न सुज्झे। गच्छमि निययकजे आयरियगिलाणपाहुणए ॥२३८॥ पुधिपि वीरसुणिया छिका छिक्का पहावए तुरियं । सा चमढणाएं सि(खि)मा संतंपिन इच्छए घेर्नु॥४ाभा०ाएवं सड्ढकुलाई चमढिजताई ताई अण्णेहिं । निच्छंति किंचि दाउं संतंपि तयं गिलाणस्स ॥५॥दवखएण पंतो इत्थिं घाएज कीस ते दिण्णं ?। महो हट्टपहट्टो करेज अनंपि समणट्ठा ॥६॥ आयरिअणुकंपाए गच्छो अणुकंपिओ महाभागो। गच्छाणुकंपयाए अयोच्छित्ती कया तित्थे ॥७॥ परिहीणं तं दवं चमढिजंतं तु अण्णमण्णेहिं। परिहीणमि य दवे नत्थि गिलाणस्स जं जोगं ॥८॥चत्ता होंति गिलाणा आयरिया बालवुड्ढसेहा या समगा पाहुणगाविय मजायमइक्कमंतेणं ॥९॥ सारक्खिया गिलाणा आयरिया बालबुड्ढसेहा या खमगा पाहुणगाविय मजायं ठाययंतेणं ॥१३०॥ मा०।जड्डे महिसे चारी आसे गोणे अतेसि जावसिआ। एएसि पडिवक्से चत्तारि उसंजया हुंति॥२३९॥जड्डोज वातं वा समारं महिसिओ महरमासो।गोणो सुगंधद इच्छह एमेव साहवि ॥१॥भा०। एवं च पुणो ठविए अप्पविसंते भवे इमे दोसो। वीसरण संजयाणं विसुक्ख गोणो अ आरामो ॥२॥अलस घसिरं सुविरं खमगं कोहमाणमायलोहिाई। कोऊहलपडिबद्धं वेयावर्च न कारिजा ॥१३३॥ भागता अच्छइ जा फिडिओ सइकालो अलस सोविरे दोसा। गुरुमाई तेण विणा विराहणुस्सक ठवणाई ॥०१७॥ अप्पत्ते अविलंभो हाणी ओसकणाइ अइभद्दे । अणहिंडतो अचिरं न लहड जंकिंचि वा इ॥१८॥ गिण्हामि अप्पणो ता पजत्तं तो गुरूण पच्छा उ। चित्तूण तेसि पच्छा सीअलओसक्कमाईओ॥१९॥ परिआविजइ खवगो अह गिण्हइ अप्पणो इअरहाणी ॥ अविदिन्ने उमपाणाइ बद्धो न उ गच्छई पुणो जं च। माई भगभोई पतेण उ अप्पणी छाए ॥२०॥ ओहासह खीराई विजंतं वा न वारई लुद्धो। जे अगवेसणदोसा एगस्स य ते उलुद्धस्स ॥२१॥ नडमाई पिच्छतो ता अच्छद जाव फिट्टई वेला।सुत्तत्थे पडिबद्धो ओसवणुसकमाईआ॥१०२२॥ एयदोसविमुकं कड जोगिं नायसीलमाया गरुमत्तिमं विणीय वेयावर्चतुकारेजा॥१३४॥ भासाहतिय पिअधम्मा एसणदोसे अभिग्गहबिसेसे। एवं तु विहिम्हणे दर्ष वदति गीयत्या ॥५॥ दाप्पमाण51 १२२७ ओघनियुक्तिः - मुनि दीपरत्नसागर Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 5 गणणा खारिज फोडिअ नहेब अदा य। संविग एगठाणे जगलासु पन्नरस ॥६॥ संघाडेगो ठवनाकुलेसु सेसेसु बालवुड्ढाई । तरूणा बाहिरगामे पुच्छा विद्वैतऽगारीए ॥१३७॥ | मा०। पुच्छा गिहिणो चिंता दिटुंतो नत्थ कुजबोरीए। आपुच्छिऊण गमणं दोसा य इमे अणापुच्छे ॥२४०॥ परिमिअमनगदाणे नेहादवहरह योव थोवं तु। पाहण वियाल आगम विसन आसासणा दाणं ॥८॥ भा०ा एवं पीइविवुड्ढी विवरीयऽज्येण होइ दिद्वैतो। लोउत्तरे विसेसो असंचया जेण समणा उ॥९॥ जणलाबो परगामे हिंडिन्ताऽऽणेति वसह इह गामे। दिनह वालाईणं कारणजाए य सुलभ तु॥१४०॥ पाहुणविसेसदाणे निजर कित्ती य इहर विवरीयं। पूर्व चमढणसिम्गा न देति संतपि कजेसु ॥१॥ गामम्भासे बयरी नीसंतकडुप्फला य खुजा य । पक्कामालसडिंभा घा(खा)यंति घ(य)रे गया दूरे॥२॥ गामम्भासे बयरी नीसंदकडुप्फला य कुजा या पक्कामारसहिमा खायंनियरे गया दूरं ॥३॥ सिग्घयरं आगमणं नेसिऽण्णेसि च देंनि सयमेव । खायंती एमेव उ आयपरहिआवहा तरुणाम४॥ खीरदहिमाझ्याण लंभो सिग्यतरगं च आगमणं । पडरिक उम्गमाई विजढा अणुकंपिआ इयरे ॥५॥ आपुचिम उम्माहिअ अण्णं गामं वयं तु वचामो। अण्णं च अपजते होंति अपुच्छे इमे दोसा ॥६॥ तेणाएसगिलाणे सावय इत्थी नपुंस मुच्छा य। आयरिअचालवुड्ढा सेहा लमगा य परिचत्ता ॥१४७॥ भा०। आयरिए आपुच्छा तस्संदिढे व तमि उपसंते। चेइयगिलाणकजाइएसु गुरुणो य निग्यमणं ॥२४१॥ भण्णइ पुरनिउत्ते आपुच्छिता वयंति ते समणा। पाहुण च अप्पाहा असईदूरगओऽविय नियत्त इहराउतदासा ॥३॥ अण्ण गाम चवए इमाई कजाई तत्य नाऊणं । नत्यवि अप्पाहणया नियत्तई वा सईकाले ॥४॥ दुरहिअ खुइडलए नव भड अगणी य पंत पडिणीए । पाओग्गकालऽइकम एकगलंभो अपज्जतं ॥५ गमसई संविगं सण्णिमाइ अप्पाहे। जइ य चिरं तो इयरे ठवित्तु साहारणं मुंजे ॥६॥ जाएँ दिसाए उ गया भत्तं घेर्नु तओ पडियरंनि । अणपुच्छनिग्गयाणं चउहिसं होइ पडिलेहा ॥७॥ पंवेणेगो दो उप्पहेण सह करेंति वचंता। अक्खरपडिसाडणया पडियरणिअरेसि मग्गेणं ॥८॥ गामेव गंतु पुच्छे घरपरिवाडीएं जन्य उन दिहा। तत्येव बोलकरणं पिंडियजणसाहणं चेव ॥९॥ एवं उम्गमदोसा विजढा पइरिकया अणोमांणं। मोहतिगिच्छा य कया विरियायारो य अणुचिण्णो ॥२५० ॥ अणुकंपायरियाई दोसा पइरिकजयणसंस? । पुरिसे काले खमणे पढमालिय तीस ठाणेसु ॥१॥ चोयगवयणं अप्पाऽणुकंपिओ ते य मे परिचत्ता। आयरियअणुकंपाए परलोए इह पसंसणया ॥८॥ भा०। एवंपि अपरिचना काले खवणे य असहुपुरिसे य। कालो गिम्हो उ भवे खमगो वा पढमबिइएहिं ॥९॥ जद्द एवं संसट्ठ अप्पत्ते दोसिणाइणं गहणं । लंचणभिक्खा दुविहा जहण्णमुकोस तिअपणए॥१५०॥ भाग एगत्य होइ भत्तं बिइयंमि पडिग्गहे दवं होइ। पाउम्गायरियाई मत्ते बिइए उ संसत्तं ॥२॥ जइ रित्तो तो दव मत्तगंमि पढमालियाएं करणं तु। संसत्तगहण दवदुलहे य नत्येव जं पत्नं ॥३॥ अंतरपल्लीगहियं पढमागहियं व सत्र भुजेजा। धुक्लंमसंखडीयं वजं गहियं दोसिणं बावि ॥४॥ दरहिंडिए व भाणं भरियं भोच्चा पुणोवि हिंडिजा। कालो वाऽजकमई मुंजेजा अंतरा सधं ॥५॥ एसो उ विही भणिओ तंमि वसंताण होइ खेत्तंमि । पडिलेहणंपि इत्तो वोच्छं अप्पक्खरमहत्थं ॥६॥ दुविहा खलु पडिलेहा छउमत्थाणं च केवलीणं च। अभिनेर चाहिरिआ दुविहा दवे य भावे य॥७॥ पाणेहि उ संसत्ता पडिलेहा होइ केवलीणं तु । संसत्तमसंसत्ता छउमस्थाणं तु पडिलेहा ॥८॥ संसज्जइ धुवमेअं अपेहियं तेण पुष्व पडिटेहे। पडिले मेव जिणा ॥ ९॥ नाऊण वेयणिज अइबहुअं आउजं च थोबागं । कम्म पडिलेहेउं वचंति जिणा समग्घायं ॥२६०॥ संसत्तमसंसत्ता छउमस्थाणं न होह पडिलेहा। चोयग जह आरक्खी हिंडिताहिंडिया चेव ॥१॥ तित्थयरा रायाणो साहू आरक्खि भंडगं च पुरं । तेणसरिसा य पाणा तिगं च स्यणा भवो दंडो॥२॥ किं कय किं वा सेसं किं करणिज तवं च न करेमि ? । पुषावरत्तकाले जागरओ भावपडिलेहा॥३॥ ठाणे उबगरणे या थंडिलउवयंभमग्गपडिलेहा । किमाई पडिलेहा पुषण्हे चेव अवरण्हे ॥२६४॥ ठाणनिसीयतुयहणउवगरणाईण गहणनिक्लेवे। पुर्व पडिलेहे चक्सुणा उ पच्छा पमज्जेजा ॥१५१॥ भा० उड्दनिसीयतुयट्टण ठाणं निविहं तु होइ नायई। उइदं उच्चाराई गुरुमूलपडिकमागम्म ॥२॥ पक्खे उस्सासाई पुरतो अविणीय मम्गओ वाऊ। निक्खम पवेसवजण भावासण्णो गिलाणाई ॥३॥ भारे वेयणखमगुण्हमुच्छपरियावछिंदणे कलहो। अबाचाहे ठाणे सागारपमजणा जयणा ॥४॥ संडास पमजित्ता पुणोषि भूमि पमजिआ निसिए। राओ य पुत्रमणि तुयद्गुणं कप्पई न दिवा ॥५॥ अडाणपरिस्संतो गिलाणबुड्ढा अणुण्णवेताणं । संथारुत्तरपट्टो अत्थरण निवजणाऽऽलोगं ॥६॥ उवगरणाईयाणं गहणे निक्खेवणे य संकमणे । ठाण निरिक्वपमजण काउं पडिलेहए उवहिं॥७॥ उवगरण वत्थपाए वन्थे पडिलेहणं तु वोच्छामि । पुषण्हे अवरण्हे मुहर्णतगमाइ पडिलेहा ॥१५८॥ भाष्यं । उड्ढे चिरं अतुरिअं सर्व ता वत्थ पुत्र पडिलेहे। तो बिइ पप्फोडे तइयं च पुणो पमजेजा ॥५॥ बत्थे काउड्दमि य परवयण ठिओ गहाय दसियते। तं न भवति उकुडुओ तिरिअं पेहे जह विलित्तो ॥१५९॥ भाग घेनुं थिरं अतुरिअं तिभाग बुद्धीय चक्षुणा पेहे। तो चियं पप्फोडे तइयं च पुणो पमजेजा ॥१६॥ भा०। अणच्चावि अवलिअं अणाणुबंधि अमोसलिं चेव । छप्पुरिमा नव खोडा पाणी पाणपमजणं ॥ ६॥ वत्थे अप्पाणंमि य चउह (३०७) | १२२८ओघनियुक्तिः - मुनि दीपरत्नसागर का Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अणचावि अवलिअंचा अणुबंधि निरंतरया तिरिउड्ढा य पट्टणा मुसली ॥१६१॥ मा०। आरभडा सम्महा वजेयचा य मोसली तइया। पप्फोडणा पउत्थी विक्खित्ता वेड्या उट्ठा ॥ ७॥ विनहकरणे चतुरिजं अण्णं अण्णं वगेष्हणाऽऽरमडा। अंतो व होज कोणा निसियण तत्येव संभहा ॥२॥भा०। मोसलि पुवुट्टिा पप्फोडण रेणुगुंडिए थेष। विक्वेवं तुक्खेवो वेश्यपणगं च रहोसा ॥३॥ भा०। पसिदिल पलंग लोला एगामोसा अणेगरूवधुणा। कुणइ पमाणपमायं संकियगणणोवर्ग कुजा ॥८॥ पसिढिलमघणं अतिराइयं च विसमगहर्ण व कोणं वा । भूमीकरलोलणया कढणगहणेकामोसा ॥१६४॥ भा०। धुणणा तिण्ह परेणं बहूणि वा घेत्तु एकई धुणह। खोडणपमजणासु य संकियगणणं करि पमाई ।। १६५॥ भा। अणूणाइरिनपडिलेहा, अविवञ्चासा तहेव य। पदम पयं पसत्थं, सेसाणि य अप्पसत्याणि ॥२६९॥ नवि ऊणा नवि रित्ता अविवच्चासा उ पढमओ सुद्धो। सेसा होइ असुद्धा उव रिडा सत्त जे भंगा ॥१६६॥ भाग खोडपमजणवेलाउ चेव ऊणाहिया मुणेयवा। अरुणावासग पुर्व परोप्परं पाणिपडिलेहा ॥२७॥ एते उ अणाएसा अंधारे उग्गएविहु न दीसे। द मुहरयनिसिजचोले कप्पनिग दुपट्ट युद्ध सूरो॥१॥ पुरिसुचहिविवचासो सागरिए करिज उवहिवञ्चासं। आपुच्छित्ताण गुरुं पहुचमाणेयरे वितहं ॥२॥ पडिलेहणं करेंनो मिहो कहं कुणइ जणवयकह वा। देव व पचक्खाणं वाएइ सयं पडिच्छ वा ॥३॥ पुढवीआऊक्काएतेऊवाऊवणस्सइतसाणं। पडिलेहणापमत्तो उहपि विराहओ होइ॥४॥ घडगाइपोहणया मट्टिय अगणी य पीय कुंथाई। उदगगया व तसेयर ओमय संघट्ट प्रावणया ॥५॥ इय दवओ उ छष्हपि विराहओ भावओ इहरहावि। उवउत्तो पुण साह संपत्तीए अवहओ अ॥२३५०॥ पुढवीआउकाएनेऊबाऊवणस्सइतसाणं। पडिलेहणमाउत्तो छण्हंऽपाराहओ होइ ॥६॥ जोगो जोगो जिणसासणंमि दुक्खक्खया पउंजने। अण्णोण्णमचाहाए असवनो होइ कायको ॥७॥ जोगे जोगे जिणसासणमि दुक्खक्खया पउंजंते। एकेकंमि अर्णता वटुंता केवली जाया ॥८॥ एवं पडिलेहंता अईयकारे अर्णनगा सिद्धा। चोयगवयणं सययं पडिलेहेमो जओ सिद्धी॥९॥ सेसेसु अवटुंती पडिलेहंतोचि देसमाराहे। जइ पुण सबाराहणमिच्छसि तो णं निसामेहि ॥२८०॥ पंचिदिएहिं गुत्तोमणमाईतिविहकरणमाउत्तो। तवनियमसंजमंमि अ जुत्तो आराधओ होई ॥१॥ इंदियविसयनिरोहो पत्तेसुचि रागदोसनिग्गहणं । अकसलजोगनिरोहो कसलोदय एगभावो वा ॥१६७॥ भाका अम्भितरवाहिरगं तवोवहाणं दुवालस विहं तु। इंदियतो पुत्रुत्तो नियमो कोहाइओ बिइओ ॥८॥ पुढविदगअगणिमारुअवणस्सइबितिचउक्कपंचिंदी। अज्जीव पोत्थगाइसु गहिए असंजमो जेणं ॥ ९॥ पेहेत्ता संजमो युनो, - उपेहित्तावि संजमो । पमजेना संजमो वुत्तो, परिट्ठावेत्तावि संजमो ॥१७०॥ ठाणाइ जत्थ चेए पुर्व पडिलेहिऊण चेएज्जा। संजयगिहिचोयणऽचोयणे य वाचारओवेहा ॥१॥ उवगरणं अइरेगं पाणाई वाऽवहद संजमणं । सागारिएऽपमजण संजम सेसे पमजणया ॥२॥ जोगतिगं पुवमणि समतपडिलेहणाए सज्झाओ। चरिमाएँ पोरिसीए पडिलेह ना उ पाय दुगं ॥१७३॥ भा०। पोरिसि पमाणकालो निच्छयववहारिओ जिणक्खाओ। निच्छ्य ओ करणजुओ ववहारमतो परं वोच्छ ॥२८२॥ अयणाईयदिणगणे अट्ठगुणेगट्ठिभाइए लद। A उत्तरदाहिणमाई पोरिसि पयसुज्मपक्खेवा ॥३॥ अद्वेगसविभागा खयपुढी होइ जं अहोरत्ते। तेणट्ठगुणकारो एगट्ठी सूरतेएणं ॥१०२४॥ आसाढे मासे दो पया, पोसे मासे चउका प्पया। चित्तासोएस मासेस, तिपया हवह पोरिसी॥४॥ अंगुलं सत्तरतेणं, पक्खेणं तु दुअंगलं । वड्ढए हायए पावि, मासेर्ण पाउरंगलं ॥५॥ आसाढबहुलपक्से भरवाए कत्तिए य पोसे य। फग्गुणवइसाहेसु य बोदवा ओमरत्ताओ॥६॥ जेट्ठामूले आसाढसावणे छहिं अंगुलेहि पडिलेहा। अट्टहिं बीअतिमि य नइए दस अट्टहिं चउत्थे ॥ ७॥ उवउजिऊण पुर्व :तावेसो जइ करेइ उपओगे। सोएण चक्सुणा घाणओ य जीहाएं फासेणं ॥८॥ पडिलेहणियाकाले फिडिए कालाणगं तु पच्छिल। पायम्स पासु बेट्टो सोयादुवउत्त नातेसो॥१७४॥ भा०। मुहर्णतएण गोच्छ गोच्छगगहिअंगुलीहिं पडलाई। उक्कुडयभाणवत्थे पलिमंचाईसुतं न भवे ॥९॥ चउकोण भाणकर्ण पमज पाएसरीय तिगुणं तु । भाणस्स पुष्फगं तो इमेहि कजेहिं पडिलेहे ॥२९० ॥ मूसयरयउकेरे, घणसंताणए इय। उदए मट्टिा चेव, एमेया पडिवत्तिओ॥१॥ नवगनिवेसे दूराउ उक्केरो मूसएहि उकिण्णो । निलमहि हस्तणू वा ठाणं भेत्तृण पविसेना ॥२॥कोत्थलगारिअघरगं पणसंताणाइया व लग्गेजा। उक्करं सट्टाणं हस्तणु संचिट्ठ जा सुको ॥३॥ इयरेसु पोरिसितिगं संचिक्खावेत्तु तत्तिअं जिंदे । सर्व वावि विगिंचइ पोराण महिलं ताहे॥४॥ पत्तं पमजिऊणं अंतो बाहिं सई तु पष्फोडे। केइ पुण तिष्णि वारा चउरंगुल भूमि पडणभया ॥५॥ विटिअबंधणधरणे अगणी तेणे य दंडियक्षोभे। उउबद्ध धरणपंधण वासासु अबंधणा ठवणा ॥२९६ ॥ रयताण भाण धरणा उउबद्धे निक्खिकेज वासासु। अगणीतेणभएण व रायक्वोभे विराहणया॥१७५॥ मा०। परिगलमाणा हीरेज डहणा मेया तहेव उकाया। गुत्तो व सयं डझे हीरेज वजं च तेण विणा ॥६॥ वासासु नस्थि अगणी नेव य तेणा उ दंडिया सत्था। तेण अपंधणठवणा एवं पडिलेहणा पाए ॥७॥ भा०। अणावायमसलोए अणवाए चेव होइ संलोए। आवायमसलोए आवाए चेव संलोए ॥७॥ तस्थावायं दुविहं सपक्सपरपक्खओ य णायम्। दुविहं होइ सपक्खे संजय १२२९ ओघनियुक्तिः - मुनि दीपरत्नसागर Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तह संजईणं च ॥८॥ संविम्गमसंविग्गा संविग्ग मणुण्णएयरा चेव । असंबिम्मावि दुविहा तप्पक्खियएअरा चेव ॥९॥ परपक्खेविय दुविहं माणुस तेरिच्छिअंच नाया। एकेकंपिय तिविहं पुरिसिस्थिनपुंसगे चेव ॥३०॥ पुरिसावायं तिविहं दंडिअ कोडुंबिए य पागइए। ते सोयऽसोयवाई एमेविस्थी नपुंसा य ॥१॥ एए चेव विभागा परतित्थीणंपि होइ मणुयाणं। तिरिआणपि विभागा अओ पर कित्तहस्सामि ॥२॥ दित्तादित्ता तिरिआ जहण्णमुक्कोसमज्झिमा तिविहा। एमेबिस्थिनपंसा गंछिअदगंछिआ नेया ॥३॥ गमण मणण्णे इयरे वित. हायरणमि होइ अहिंगरणं । पउरदवकरण दटूटं कुसील सेहऽण्णहाभावो ॥४॥ जत्थऽम्हे बच्चामो जत्थ य आयरह नाइवम्गो णे। परिभव कामेमाणा संकेयगदिनया बावि ॥५॥ दव अप्प कलुस असई अवण्ण पडिसेह विप्परीणामो। संकाईया दोसा पंडित्थिगहे य जं चण्णं ॥ ६॥ आणणाई दित्ते गरहिअतिरिएसु संकमाईया। एमेव य संलोए निरिए वज्जेनु मणुयाणं ॥ ७॥ कलुसदवे असई य व पुरिसालोए हवंति दोसा उ। पंडित्थीसुवि एए खढे वेउवि मुच्छा य॥८॥ आवायदोस तइए बिइए संलोयओ भवे दोसा। ते दोवि नस्थि पढमें तहिं गमणं तस्थिमा मेरा॥९॥ कालमकाले सण्णा कालो तइयाइ सेसयमकालो। पढमा पोरिसि आपुच्छ पाणगमपुफियऽण्णदिसि ॥३१०॥ अरेगगहण उम्गाहिएण आलोय पुच्छिउँ गच्छे। एसा उ अकालंमी अणहिंडिय हिंडिया कालो ॥१॥ कप्पेऊणं पाए एकेकस्स उ दुवे पडिग्गहए। दाउं दो दो गच्छे तिहट्ट दवं तु घेत्तूर्ण ॥२॥ अजुगलिया अतुरंता विकहारहिया वयंति पढमं तु । निसिइत्तु उगलगणं आवडणं वचमासज्ज ॥३॥ अणावायमसंलोए, परस्सणुवघाइए। समे अज्झुसिरे यावि, अचिरकालकयंमि य॥४॥ विस्थिपणे दुरमो बिलपज्जिए । तसपाणचीयरहिए, उच्चाराईणि वोसिरे ॥५॥ एगद्गतिगचउकगपंचकसत्तट्टनवगदसगेहिं । संजोगा कायवा भंगसहस्सा चउबीसं॥६॥ उभयमुहं रासिदुर्ग हेविडाणतरेण भय पढमं । लदहरासिविभत्ते तस्सुवरिगुणं तु संजोगा। २५५०। आयापवयणसंजम तिविहं उग्घाइमं तु नायचं । आरामं वच्च अगणी पिट्टण असुई य अन्नत्थ ॥१७८॥ भाका विसम पलोट्टण आया इयरस्स पलोणमि छकाया। झुसिरंमि विच्छुगाई उभयकमणे तसाईया ॥९॥जे जंमि उउंमि कया पयावणाईहि थंडिला ते उ। होतियरेमि चिरकया वासा वुच्छेय बारसगं ॥१८०॥ हत्थायामं चउरस्स जहण्णं जोयणे बिछक्कियरं। चउरंगुलप्पमाणं जहण्णयं दूरमोगाढं ॥१॥ दव्यासण्णं भवणाइयाण तहियं तु संजमा याए। आयापवयणसंजमदोसा पुण भावआसपणे ॥२॥ होति चिले दो दोसा तसेसु बीएसु बावि ते चेव । संजोगओ अ दोसा मूलगमा होति सविसेसा ॥१८३॥ भाग दिसिपवण8 गामसुरियछायाएँ पमजिऊण तिक्खुत्तो। जस्सोग्गहोत्ति काऊण वोसिरे आयमेजावा ॥३१७॥ उत्तरपुवा पुज्जा जम्माएँ निसियरा अहिवडंति।घाणाऽरिसा य पक्षणे सरियगामे अवष्णो 5 उ॥४॥ भा०। संसत्तरगहणी पुण छायाए निग्गयाए वोसिरइ । छायासइ उण्हमिवि वोसिरिय मुहुत्तयं चिट्टे ॥१८५॥ भा० उवगरणं वामे ऊरुगंमि मत्तं च दाहिणे हत्थे। तत्थऽ. जत्थ व पुंछ तिहि आयमणं अदूरंमि ॥८॥ पढमासइ अमणुचेयराण गिहियाण वावि आलोए। पत्तेयमत्त कुरुकुय दवं च पउरं गिहस्थेसु ॥९॥ तेण परं पुरिसाणं असोयवाईण बच्च आवायं। इस्थिनपुंसालोए परंमुहो कुरुकुया सा उ ॥३२०॥ तेण परं आवायं पुरिसेअरइत्थियाण तिरियाणं । तत्थविध परिहरेजा दुगुछिए दित्तचित्ते य॥१॥ तत्तो इस्थिनपुंसा तिबिहा तस्थवि असोयवाईसु। तहिअंतु सद्दकरणं आउलगमणं कुरुकुया य ॥२॥ अवोच्छिन्ना तसा पाणा, पडिलेहा न सुज्झई । तम्हा हट्ठपहट्ठस्स, अबटुंभो न कप्पई ॥३॥ संचर कुंथुदेहि अलूयावेहे तहेब दाली अ। घरकोइलिआ सप्पे विस्संभर उंदुरे सरडे ॥४॥ संचारगा चउदिसि पुश्विं पडिलेहिएवि अन्नति । उद्देहि मूल पडणे विराहणा तदुभए भेओ ॥१८६॥ भा० लूयाइचमढणा संजमंमि आयाए विच्छुगाईया। एवं घरकोइलिआ अहिउंदुरसरडमाईसु ॥१८७॥ भा०ाअतरंतस्स उ पासा गाढं दुक्खंति तेणऽवटुंभे। संजयपट्टी थंभे सेलछुहाकुड्डविट्टीए ॥५॥ पंथं तु पचमाणा जुगंतरं चक्खुणा व पडिलेहा। अइदूरचक्खुपाए मुहुमतिरिच्छागय न पेहे ॥६॥ अच्चासन्ननिरोहे दुक्खं दटुंपि पायसंहरण । छक्कायविओरमणं सरीर तह भत्तपाणे य ॥७॥ उड्ढमुहो कहरत्तो अवयक्खंतो पियक्खमाणो याचातरकाए वहए तसेतरे संजमे दोसा ॥८भा०ानिरवेक्खो वच्चंतो आवडिओ खाणुकंटविसमेसु। पंचण्ह इंदियाणं अन्नतरं सो विराहेजा ॥९॥ भत्ते वा पाणे वा आवडियपढियस्स भिन्नपाए वा। छक्कायविओरमणं उड्डाहो अप्पणो हाणी ॥१९०॥ दहि घय तक पयमंचिलं व सत्थं तसेतराण भवे । सबंमि य जणवाओ बहुफोडोजं च पारिहाणी ॥१९१॥ मागपत्तं च मग्गमाणे हवेज पंथे विराहणा दुविहा। दुबिहा य भवे तेणा परिकम्मे सुत्तपरिहाणी ॥८॥ एसा पडिलेहणविही कहिया भे धीरपुरिसपनत्ता। संजमगुणड्ढगाणं निम्गंथाणं महरिसीणं ॥९॥ एवं पडिलेहणविहिं जुजता चरणकरणमाउत्ता। साहू खवंति कम्मं अणेगभवसंचियमर्णतं ॥३३०॥ पिंड व एसणं वा एत्तो वोच्छं गुरूबएसेणं । गवेसणगहणघासेसणाए तिबिहाए बिसुद्धं ॥१॥ पिंडस्स उ निक्खेबो चउकओ छक्कओ य कायो। निक्खेवं काऊणं परूवणा तस्स कायथा ॥२॥ नाम ठवणापिंडो दवपिंडो य भावपिंडो य। एसो खलु पिंडस्स उ निक्लेवो चउविहो होइ ॥३॥ गोण्णं समयकयं वा जं वावि हवेज तदुभएण कयं। तं चिंति १२३ ओघनियुक्तिः - मुनि दीपरत्नसागर Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नामपिंडं ठपणादिं अओ बोच्छ॥४॥ अक्से वराडए वा कद्वे पोत्ये व चित्तकम्मे वा। सम्भावमसम्भावा ठवणापिंड वियाणाहि ॥५॥ तिविहो य दवपिंडो सचित्तो मीसओ य अचित्तो। अचित्तो य दसविहो सचित्तो मीसओ नवहा ॥६॥ पुढवी आउकाए तेऊवाऊवणस्सई चेव । पिअतिअचठरो पंचिंदिया य लेबो य दसमो उ॥७॥ पुढविकाओ तिविहो सचित्तो मीसओ य अचित्तो। सचित्तो पुण दुविहो निच्छयववहारिओ चेव ॥ ८॥ निच्छयओ सचित्तो पुढविमहापचयाण बहुमज्झे। अचित्तमीसक्जो सेसो ववहारसचित्तो ॥९॥ खीरदुमहेट्ट पंथे कट्ठोडा इंधणे य मीसो या पोरिसि एगदुगतिगं बहुइंधणमझथोवे अ॥३४०॥ सीउण्डसारखत्ते अग्गीलोणूस अंबिले नेहे। वकंतजोणिएणं पओयणं तेणिमं होति ॥१॥ अवरदिग विसबंधे लवणेण व सुरभिउक्लएणं च। अञ्चित्तस्स उ गहणं पओयणं होइ जं चऽनं ॥२॥ ठाणनिसीयतुयट्टण उच्चाराईणि चेव उस्सग्गो। घट्टगडगलगलेवो एमाइ पओयणं बहुहा ॥३॥षणउदही घणवलया करगसमुदहाण बहुमहो। अह निच्छयसञ्चित्तो ववहारनयस्स अगडाई ॥४॥ उसिणोदगमणुवत्ते दंडे वासे य पडिअमेत्ते य। मोतुणाएसतिगं चाउल उदगं बहु पसन्न ।।५।। आएसतिगं पुच्चुय बिन्दू तह चाउलान सिझंति। मोनूण तिषिणऽवेए चाउलउदगं बहु पसण्णं ॥६॥ सीउण्हखारखत्ते अम्गीलोणूस अंपिले नेहे। वकंतजोणिएणं पोयणं तेणिमं होति ॥७॥ परिसेयपियणहत्याइधोयणा चीरधोयणा चेव । आयमण भाणधुवणे एमाइ पओयणं बहहा ॥८॥ उउबधुवण बाउस बंभविणासो अठाणठवणं चा संपाइमवाउवहो पलवण आतोपधातो य॥९॥ अइभार चुडण पणए सीयल पावरण अजीर गेलने। ओभावण कायवहो वासामु अधोवणे दोसा॥३५०॥ अप्पत्ते चिय बासे सर्व उपहिं धुवंति जयणाए। असइए पदवस्स उ जहन्नओ पायनिजोगो॥१॥ आयरियगिलाणाणं मइला मइला पुणोवि धोवंति। माहु गुरूण अवन्नो लोगंमि अजीरणं इयरे |॥२॥ पायस्स पडोयारं दुनिसज तिपट्ट पोत्ति स्यहरणं । एते ण उ विस्सामे जयणा संकामणा धुवणा ॥३॥ अभितरपरिभोग उपरि पाउणइ णातिदुरे य। तिनि य तिमि य एक निसिङ काउं पडिच्छेजा ॥४॥ केई एकेकनिसि संवासेडं तिहा पडिच्छति। पाउणिय जहण लग्गति छप्पया ताहे घोवेजा ॥५४॥ निशोदगस्स गहणं केई भाणेसु असुइ पडिसेहो। गिहिभायणेसु गहणं ठिय वासे मीसिअंछारो॥६॥ गुरुपञ्चक्खाणगिलाणसेहमाईण धोवणं पुवं । तो अप्पणा पुषमहाकडे य इतरे दुवे पच्छा ॥७॥ अच्छोडपिट्टणासु त ण धुवे धावे पतावणं न करे। परिभोगमपरिभोगे छायातव पेह कहाणं ॥८॥ इगपागाईणं बहुमज्झे विजुयाइ निच्छइओ। इंगालाई इयरो मुम्मुरमाई य मिस्सो उ॥९॥ ओदणवंजणपाणगआयामुसिणोदगं च कुम्मासा। डगलगसरक्खसूई पिप्पलमाई य परिभोगो॥३६०॥ सवलयघणवणुवाया अतिहिमअतिदुहिणे य निच्छइओ।ववहार पाय(इ)माई अकंतादी य अचित्तो ॥१॥ हत्थसयमेग गंता दइउ अचित्तो बिय संमीसो। तइयंमि उ सचित्तो वत्थी पुण पोरिसिदिणेहिं ॥२॥ दइएण वस्थिणा वा पओयर्ण होज्ज वाउणा मुणिणो। गेलनंमि व होजा सचित्तमीसे परिहरेजा ॥३॥ सबो वऽणतकाओ सच्चित्तो होइ निच्छयनयस्स। ववहाराउ अ सेसो मीसो पवायरोहाई ॥४॥ संथारपायदंडगखोमिअकप्पाइ पीढफलगाई। ओसहभे. सजाणि य एमाइ पओयणं तरुम् ॥५॥ वियतियचउरो पंचिंदिया य तिप्पमिई जत्थ उसमेंति। सट्ठाणे सट्टाणे सो पिंडो तेण कजमिणं ॥६॥इंदियपरिभोगो अक्साण ससंख । तेइंदियाण उद्देहिगाइ जं वा वए विजो॥७॥चरिदियाण मक्खियपरिहारो आसमक्खिया चेव। पंचिंदिअपिंडमि उ अपवहारी उनेरइया ॥८॥चम्मट्ठिदंतनहरोमसिंगअमिलाइछगणगोमुत्ते। खीरदहिमाइयाणं पंचिंदिअतिरिअपरिभोगो॥९॥ सच्चित्तो पश्चावण पंथुवदेसे य भिक्खदाणाई। सीसट्ठिय अञ्चित्ते मीसट्टि सरक्खपहपुच्छा ॥३७०॥ समगाइकालकजातिएम पच्छेज देवयं किंचि। पंथे सुभासुभे वा पुच्छेज व दिवमुवओगो॥१॥ अह होह लेवपिंडो संजोगेणं नवण्ह पिंडाणं। नायबो निष्फन्नो परूवणा तस्स कायवा ॥२॥ अवकालिअलेवं भणंति लेवेसणा नवि अदिवा। ते बत्तबा लेवो दिट्ठो तेलुकदंसीहि ॥३॥ आयापवयणसंजमउवधाओ दीसई जओ तिविहो। तम्हा बदति केई न लेवगहणं जिणा चिति ॥१९२॥ भाग रहपडणउत्तिमंगाइभंजणं घट्टणे य करघाओ। अह आयविराहणया जक्खुलिहणे पवयणमि ॥ ३॥ गमणागमणे गहणा तिट्ठाणे संयमे पिराहणया। महिसरिउम्मुगहरिआ कुंथू वासं रओ व सिया ॥४॥ दोसाणं परिहारो चोयग! जयणाइ कीरई तेसिं। पाए उ अलिप्पते ते दोसा हुंति णेगगुणा ॥५॥ उड्ढाई विरसमी मुंजमाणस्स हुति आयाए। दुगंधि भायणमि य गरहद लोगो पवयर्णमि ॥६॥ पवयणघाया अन्नेवि होति जयणा उ कीरई तेसिं। आयमणभोयणाई लेवे तब मच्छरो कोण? ॥१९७॥ भा०। संडमि मग्गियमि य लोणे दिन्नंमि अवयवविणासो। अणुकंपाई पाणमि होइ उदगस्स उ विणासो॥४॥ पूर्वलिअलग्गजगणी पलीवणं गाममाइणो होजा। रोट्टपणगा तरमी भिग'थादी व छटुंमि ॥५॥ पायग्गहर्णमी देसियंमि लेवेसणावि खलु वुत्ता। तम्हा आणयणा लिंपणा य पायस्स जयणाए॥६॥ हत्थोवघाय गंतूण लिंपणा सोसणा यहत्यमि। सागारिए पभु जिंपणा य उकायजयणा य ॥७॥ चोदगवयर्ण गंतूण लिंपणा आणणे बहू दोसा। संपाइमाइघाओ अतिउचरिए य उस्सग्गो ॥१९८॥ भा०ा एवंपि भाणभेओ वियावडे अत्तणो १२३१ ओपनियुक्तिः - मुनि दीपरत्नसागर 151 5 Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 1 य उवधाओ। नीसंकियं च पायंमि गिण्हणे इहरहा संका ॥ ९॥ जइ ते इत्युवधाओ आणिजंतम्मि होइ लेबम्मि । पडिलेहणाइ चिट्ठा तम्हा उ न काइ कायशा ॥ २६ प्र० । चोएड पुणो लेवं आगेउं लिंपिऊण तो हत्थे। अच्छउ धारेमाणो सहवनिक्वेवपरिहारी ॥ २०० ॥ एवं होउवधाओ आताए संजमे पत्रयणे य। मुच्छाई पवडते तम्हा उन सोसए हत्थे ॥ १ ॥ भा० । दुविहाय होंति पाया जुन्ना य नवा य जे उ लिप्यंति जुने दाएऊणं लिंपइ पुच्छा य इयरेसिं ॥ ८ ॥ पाडिच्छगसेहाणं नाऊणं कोइ आगमणमाई। दढलेवेवि उ पाए लिंपइ मा एस देजेना ॥ ९॥ अहवावि विभूसाए लिंपइ जा सेसगाण परिहाणी अपडिच्छणे य दोसा सेहे काया अओ दाए ॥ २०२ ॥ भा० पुइण्ह लेवदाणं लेवम्ाहणं सुसंवरं काउं। लेवस्स आणणालिंपणे य जयणा विही वोच्छं ॥ ३८० ॥ पुण्ह लेवगणं कार्हति चउत्थगं करेजाहि असहू वासिअभत्तं अकारऽलंभे य दिंतियरे ॥३॥ भा०। कयकितिकम्मो छंदेण उंदिओ भणइ लेवऽहं घेत्तुं । तुमंपि अस्थि अट्टो ? आमं तं कित्तिअं किं वा ? ॥ १ ॥ सेसेचि पुच्छिऊ कय उस्सग्गो गुरुं पणमिऊणं । महगरूवे गिण्हद्द जइ तेसिं कपिओ होइ ॥ २ ॥ गीयत्थपरिग्गाहि अयाणओ रूवमलए घेतुं । छारं च तत्थ वच गहिए तसपाणरक्खट्टा ॥ ३ ॥ वचतेण य दिई सागारिदुचकगं तु अभासे । तत्थेव होइ गहणं न होइ सो सागरिअपिंडो ॥ ४ ॥ गंतुं दुचकमूलं अणुन्नवेत्ता पहुंति साहीणं एत्थ य पहुत्ति भणिए कोई गच्छे निवसमीवे ॥ ५ ॥ किं देमित्ति नरवई? तुझं खरमक्खिआ दुचकेति । सो अ पसत्थो लेबो एत्थ य भतरे दोसा ॥ ६ ॥ तम्हा दुचकत्रइणा तस्संदिट्टेण वा अणुन्नाए। कडुगंधजाणणट्टा जिंघे नासं तु अफुसंता ॥ ७॥ हरिए बीए चले जुत्ते, वच्छे साणे जलट्ठिए। पुढबी संपाइमा सामा, महवाते महियाऽमिए ॥ ८ ॥ हरिए बीएस तहा अणंतरपरंपरेविय चउक्को आया दुपयं च पतिट्टियंति एत्यंपि चउभंगो ॥ २०४ ॥ भा० दवे भावे य च दर्शमि दुपइट्टिअं तु जं दुपयं आया य संजमंमि अ दुविहा उ विराहणा तत्थ ॥ ५ ॥ भावचलं गंतुमणं गोणाई अंतराइयं तत्थ जुत्तेवि अंतरायं वित्तस चलणे य आयाए ॥ ६ ॥ वच्छो भएण नासइ मंडिक्खोमेण आयवावत्ती आया पत्रयण साणे काया य भएण नासंति ॥ ७ ॥ जो चेत्र य हरिए सो चेव गमो उ उदगपुढवी संपाइमा तसगणा सामाए होइ चउभंगो ॥ ८ ॥ वाउंसि वायमाणे संपयमाणे वा तसगणेसु नाणुन्नायं ग्रहणं अमियरस य मा विगिंचणया ॥ २०९ ॥ भा० एयहोसविभुकं घेत्तुं छारेण अकमित्ताणं। चीरेण बंधिऊणं गुरुमूल पडिकमालोए ॥ ९ ॥ दंसि अच्छंदिअगुस्सेसएस ओमस्थियस्स भाणस्स काउं चीरं उवरिं रूयं च भेज तो लेवं ॥ ३९० ॥ अंगुट्टपएसिणिमज्झिमाए घेत्तुं घणं तओ चीरं आलिंपिऊण भाणे एकं दो तिष्णि वा पट्टे ॥ १॥ अनोऽनं अंकमि उ अन्नं घट्टेइ वारवारणं । आणेइ तमेव दिणं दवं रएडं अभत्तट्टी ॥ २ ॥ अभट्टियाण दार्ड अनेसि वा अहिंडमाणाणं हिंडेज असंथरणे अस धेनुं अरइयं तु ॥ ३ ॥ न तरेजा जड़ तिष्णि हिंडावेउं तओ य छारेणं उच्चुण्णेउं हिंडइ अन्ने य द सि गेव्हंति ॥ ४ ॥ लेत्थारियाणि जाणि उ घट्टगमाईणि तत्थ लेवेणं। संजमफाइनिमित्तं ताई भूईइ गुडेजा ॥ ५ ॥ एवं लेवग्गणं आणयणं लिंपणा य जयणा य । भणियाणि अतो वोच्छं परिक्रम्मविहिं तु लेवस्स ॥ ६ ॥ लित्ते छगणिअछारो घणेण चीरेणऽवंघिउं उन्हे अंछण परियन्त्तण घट्टणे य धोत्रे पुणो लेवो ॥ ७ ॥ दाउँ सरयत्ताणं पत्ताबंधं अबंधणं कुज्जा। साणाइरक्खणट्टा पमज छाउण्डसंकमणा ॥ २१० ॥ तद्दिवसं पडिलेहा कुंभमुहाईण होइ काया छन्ने य निसं कुता कयकजाणं विउस्सग्गो ॥ २११ ॥ भा० अट्टगहेडं लेवाहियं तु सेसं सरूवगं पीसे अहवावि नत्थि कर्ज सरुवमुज्झे तओ विहिणा ॥ ८ ॥ पदमचरिमा सिसिरे गिम्हे अयं तु तासि वजेबा पायं ठवे सिणेहातिरक्खणडा पवेसो वा ॥ ९॥ उवओगं च अभिक्खं करेइ वासाइरक्खणट्टाए। वावारेइ व अन्ने गिलाणमाईसु कज्जेसु ॥ ४०० ॥ एको व जहस्रेणं दुग तिग चत्तारि पंच उकोसा। संजमहेउं लेबो बजित्ता गारवविभूसा ॥ १ ॥ अणुवर्द्धते तहवि हु सयं अवणिन्तु तो पुणो लिंपे। तजाय सचोप्पडगं घट्टगरइयं ततो धोवे ॥ २ ॥ तजायजुतिलेवो खंजणलेवो य होइ बोद्धशो मुद्दिअनावाबंधो तेणयबंधेण पडिकुट्टो ॥ ३ ॥ जुत्ती उ पत्थराई पडिकुट्टो सो उ सन्निही जे णं दय सुकुमार असन्निहि खंजणलेवो अओ मणिओ ॥ ४ ॥ संजमहेउं लेवो न विभूसाए वदंति तित्थयरा सइ असइ य दितो सद् साहम्मे उबणओ उ ॥ ५ ॥ भिजिज्ज लिप्यमाणं लित्तं वा असइए पुणो बंधो। मुद्दिअनावाचंधो न तेणएणं तु बंधिना ॥ ६ ॥ खरजयसिकुसुंभसरिसव कमेण उकोसमज्झिमजहन्ना नवणीए सप्पिवसा गुडेण लोणेणऽलेबो उ ॥ ७ ॥ पिंड निकाय समूहे संपिडण पिंडणा य समयाए । समोसरण निचय उपचय चए य जुम्मे य रासी य ॥ ८ ॥ दुविहो य भावपिंडो पसत्थओ होइ अप्पसत्यो य दुगसत्तट्टचउक्कग जेणं वा बज्झए इयरो ॥ ९ ॥ तिविहो होइ पसत्थो नाणे तह दंसणे चरिते य। मोत्तूण अप्पसत्ये पसत्यपिंडेण अहिगारो ॥ ४१० ॥ लित्तंमि भायणमि उ पिंडस्स उवम्गहो उ कायशो जुत्तस्स एसणाए तमहं वोच्छं समासेणं ॥ २१२ ॥ भा०| नामं ठवणा दविए भावंमि य एसणा मुणेयञ्वा दर्शमि हिरण्णाई गवेसगहभुंजणा भावे ॥ १॥ पमाण काले आवस्सए य संघाडए य उपकरणे। मत्तग काउसग्गो जस्स य जोगो सपडिवक्खो ॥ २ ॥ दुहिं होइ पमाणं कालं भिक्खा पवेसमाणं च सन्ना भिक्खायरिआ भिक्खे दो काल पढमदा ॥ २१३ ॥ भा० । आरेण भद्दपंता भदग उवण भंडण पदोसा दोसीणपउरकरणं ठवियगदोसा य भईमि ॥ ४॥ अदागऽमंगलं वा उम्भावण खिंसणा हृणण पंते फिडिउग्गमे य ठविया भदगचारी किलिस्सणया (३०८) १२३२ ओघनिर्युक्तिः 1 मुनि दीपरत्नसागर Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५ मिक्सम्सविय अवेला ओसरकाहिसक्कणे मवे दोसा। महगतातीया तम्हा पत्ते परे काले ॥६॥ आवस्सग सोहेउं पविसे मिक्लस्सऽसोहणे दोसा । उग्गाहिजबोसिरणे दवअ- | सईए य उडाहो ॥ ७॥ अदूरगमणफिडिओ अल्लहंतो एसणंपि पेहोजा। छड्डावण पंतावण धरणे मरणं च उकाया ॥२१८॥ भा० एगाणियस्स दोसा इत्यी साणे तहेव पडि. जीए। भिक्खऽविसोहि महाय नम्हा सबितिजए गमणं ॥४१३॥ संघाडगअग्गहणे दोसा एगस्स इत्थियाउ भवे। साणे भिक्खुवओगे संजमआएगयरदोसा ॥२१९॥ भा०। दोणि उ दुरिसतरा एगोनि हणे पदुट्टपडिणीए। तिघरगहणे असोही अग्गहण पदोसपरिहाणी ॥२२०॥ पाणियहो तिसु गहणे पउंजणे कॉटलस्स वितियं तु । तेणं उच्छृद्धाई परिग्गहोऽणे : सणग्गहणे ॥१॥ विहवा पउत्थवइया पयारमलमंति वठुमेगागि। दारपिहाणय गहणं इच्छमणिच्छे य दोसा उ ॥२२२॥ भा०। गारथिए काहीए माइते अलस लुद्ध निम्मे। दुलभ अत्ताहिडिय अमणुने वा असंघाडो ॥४१४ ॥संघाडगरायणिओ अलदि ओमो यलद्धिसंपनो। जेट्ठमा पडिग्गहगं मुह (य) गारवकारणा एगो॥२२३॥ भा० काहीउ कहेह कहं । शशिओ वारेह अहव गरुकहणं । एवं सो एगागी माइलो भहर्ग मुंजे ॥४॥ अलसो चिरं न हिंडड लदो ओहासए विगईओ । निद्धम्मोऽणेसणाई दलहभिक्ख व एगागी ॥५॥ अन्नाहिट्टियजोगी असंखडीओ वऽणि? सचेसि । एवं सो एगागी हिंडइ उवएसऽणुवदेसा ॥ ६ ॥ सधोवगरणमाया असहू आयारभंडगेण सह । नयणं तु मत्तगस्सा न य परिभोगो विणा कजे ॥ ७॥ आपुच्छणत्ति पढमा चिया पडिपुच्छणा य कायबा । आवस्सिया य तइया जस्स य जोगो कउत्यो उ ॥ २२८॥ भा०ा आयरियाईणऽट्ठा ओमगिल्याणट्टया य बहुसोऽवि। गेलन्नखमगपाहुण अतिप्पएऽतिच्छिए याचि ॥५॥ अणुकंपापडिसेहो कयाइ हिंडेज वा न वा हिंडे। अणभोगि गिलाणट्ठा आवस्सगऽसोहइत्ताणं ॥६॥ आसन्नाउ नियत्ने कालि पहुप्पंति दूरपत्तोवि। अपहुप्पते तो चिय एगु धरे बोसिरे एगो॥७॥ भावासन्नो समणुन अन्नओसन्नसड्ढवेजघरे। साइपरूवण वेजो तत्थेव परोहडे वाचि ॥८॥ एएसि असईए रायपहे दो घराण वा मजरे । हत्थं हत्थं मुत्तुं मज्झे सो नरखइस्स भवे ॥१०२७॥ उग्गह काइयवजं छंडण ववहारु लम्भए तत्थ । गारविए पन्नवणा तब चेव अणुग्गहो एस ॥९॥ जइ दोण्ह एग भिक्खा न य वेल पहुप्पए तओ एगो। सवेवि अत्तलाभी पडिसेमणुन पियधम्मे ॥४२०॥ अमणुन अन्नसंजोइया उ सविणेच्छण विवेगो। बहुगुणतदेकदोसे एसणवलच नउ विगिंचे ॥१॥ इत्थीगहणे धम्म कहेइ बयठवण गुरुसमीबंमि । इह चेवोबर रुजू भएण मोहोबसम तीए॥२॥साणा गोणा इयरे परिहरऽणाभोग कुड्डकडनीसा। वारद य दंडएणं वारावे वा अगारेहिं ॥३॥ पडिणीयगेहवजण अणभोगपविट्ठ पोलनिकखमणं । मज्झे तिण्ह घराणं उवओग करेउ गेण्हेजा॥४॥ वेंटल पुट्ठों न याणे आयनातीणि वजए ठाणे। सुदं गवेस उंछं पंचऽइयारे परिहरंतो ॥५॥ जहणेण चोलपट्टो वीसरणालू गहाय गच्छेजा। उस्सग्ग काउ गमणे मत्तयऽगहणे इमे दोसा ॥६॥ आयरिए य गिलाणे पाहणए दुहे सहसलाभे। संसत्तभत्तपाणे मत्तगगहणं अणुनायं ॥ ७॥ पाउम्गायरियाई कह गिण्हउ मत्तए अगहियमि। जा एसि विराहणया दवभाणे जं दवेण विणा ॥२२९ भादुडहदश्वं व सिया घयाइ गिण्हे उवम्गहकरं तु। पउरऽन्नपाणलंभो असंथरे कत्थ य सिया उ?॥२३०॥ संसत्तभत्तपाणे मत्त्म सोहेउ पक्खिवे उवरि। संसत्तगं च णाउं परिट्ठवे सेसरक्खट्टा॥२३॥ भा०। गेलन्नकजतुरिओ अणभोगेणं च लित्त अग्गहण । अणभोग गिलाणट्ठा उस्सग्गादीणि नवि कुजा ॥८॥ जस्स य जोगमकाऊण निग्गमो न लभई तु सच्चित्तं। न य वत्यपायमाई तेणं गहणे कुणसु तम्हा ॥९॥ सो आपुच्छि अणुन्नाओं सग्गामे हिंड अहव परगामे। सग्गामे सइकाले पत्ते परगामें बोच्छामि ॥४३०॥ पुरतो जुगमायाए गंतृणं अन्नगामचाहिठिओ। तरुणे मज्झिम थेरे नव पुच्छाओ जहा हेट्टा ॥१॥ पायपमजणपडिलेहणा उ भाणदुग देसकालंमि। अप्पत्तेऽविय पाए पमज पत्ते य पायदुर्ग ॥२॥ समणं समणिं साग साविय गिहि अन्नतित्यि पहि पुच्छे। अत्थीह समण सुविहिया सिट्टे तेसालयं गच्छे ॥३॥समणुष्णेसु पवेसो चाहिं ठविऊण अन्न किइकम्मं । खरगृडे सन्नेसं ठवणा उच्छोभवंदणयं ॥४॥ गेलन्नाइ अचाहा पुच्छिय सयकारणं च दीवित्ता। जयणाए ठवणकुले पुच्छइ दोसा अजयणाइ ॥५॥ दाणे अभिगमसड्ढे संमत्ते खलु तहेच मिच्छते। मामाए अचियत्ने कुलाई जयणाइदायति ॥६॥ सागारि वणिम सुणए गोणे पुन्ने दुगुंछियकुलाई। हिंसागं मामार्ग सवपयत्तेण बजेज्जा ॥७॥ चाहाए अं न दाएजा पञ्चावाया भवे दोसा ॥८॥ अगणीण व तेणेहि व जीवियववरोवणं तु पडिणीए। खरओ खरिया मुण्हा णट्टे वट्टक्खुरे संका ॥९॥ पडिकुडकुलाणं पुण पंचविहा धूभिआ अभिनाणं। भग्गघरगोपुराई रुक्खा नाणाविहा चेव ॥४४०॥ठवणा मिलक्सुनेड्ड अचियत्तघरं तहेव पडिकुहूं। एयं गणधरमेरं अइकमंतो विराहेज्जा ॥१॥ उकायदयावंतोऽपि संजओ दुातहं कुणइ बोहिं । आहारे नीहारे दुछिए पिंडगणे य॥२॥ जे जहिं दुगुछिया खलु पवावणवसहिभत्तपाणेसु। जिणवयणे पडिकुटा बजेयजा पयत्तेणं ॥३॥ अट्ठारस पुरिसेपे वीस इत्थीसु दस नपुंसेसुं। पचावणाएं एए दुछिया जिणवरमयंमि॥४॥ दोसेण जस्स अयसो आयासो पवयणे य अम्गहणं । विप्परिणामो अप्पचओ य कुच्छा य उप्पजे ॥५॥ पवय१२३३ ओघनियुक्तिः - मुनि दीपरनसागर Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णमणपेहतम्स तस्स निबंधसम्स लुदस्स । बहुमोहस्स भगवया संसारोऽणतओ भणिओ॥६॥ जो जह व तह व लड़ गिण्हह आहारउवहिमाईयं । समणगुणमुकजोगी संसारपवढओ मणि ओ ॥ ॥ एसणमणेसणं वा कह ते नाहिंनि जिणवरमयं वा। कुरिणमिव पोयाला जे मुक्का पञ्चइयमेता? ॥ ८॥ गच्छंमि केइ पुरिसा सउणी जह पंजरंतरनिद्धा । सारणवारणचइया पासस्थगया पविहरंनि ॥९॥ तिविहोवघायमेयं परिहरमाणो गवेसए पिंडं। दुविहा गवसणा पुण दब्वे भावे इमा दव्वे ॥४५०॥ जियसन्तदेविचिनसभपविसणं कणगपिटुपास णया। डोहल दबल पुच्छा कहर्ण आणा य परिसाणं ॥१॥ सीवन्निसरिसमोदगकरणं सीवन्निवहट्टेसु । आगमण करंगाणं पसन्धअपसन्धउवमा उ॥२॥ विइयमेयं करंगाणं, जया सीवन्नि सीदई । पुरावि वाया वायंनि, न उणं पुजगपुंजगा ॥३॥ हत्थिगहणंमि गिम्हे अरह हिं भरणं तु सरसीणं। अचुदएण नलवणा अभिरूढा गयकुलागमणं ॥ ४॥ चिइयमेयं गयकुलाणं. जहा राहनि नलवणा। अन्नयाविरति सरा, न एवं बहुओदगा ॥५॥ ण्हाणाईसु विरइयं आरंभकर्ड तु दाणमाइंस। आयरियनिवारणया अपसस्थितरे उवणओ उ ॥६॥ धम्मरुद्र अजवयरे लंभो येउधियस्स नभगमणं। जेट्ठामूले अट्ठम उवार हेट्ठा व देवाणं ॥७॥ आयावणऽद्रुमेणं जेट्टामूलंमि धम्मरुइणो उ। गमणऽन्नगामभिक्खट्ठया य देवम्स अणुकंपा ॥२३२॥ भा। कोंकणरूवविउवण अंबिल छड्डेमऽहं पियसु पाणं। छड्डेहित्तिय बिइओ तं गिण्ह मुणित्ति उवओगो ॥३॥ तण्हाछुहाकिलंनं दटठूर्ण कुंकणो भणइ साई। उन्झामि अंबकंजिय अजो! गिण्हाहि णं निसिओ॥४॥ सोऊण कोंकणस्स य साहू वयणं इमं विचितेइ। गविसणविहिए निउणं जह भणिों सबबंसीहिं ।। ५॥ गविसणगणकुडंग नाऊण मुणी उ मुणियपरमत्थो। आहडरक्खणहेउं उवउंजइ भावओ निउणं ॥ ६॥ उक्कोसदव खेत्तं च अरणं कालओ निदाहो उ । भावे हट्ठपहहो हिट्ठा उवरिं च उवओगो ॥७॥ दट्ठण तस्स रूवं अच्छिनिवेसं च पायनिक्खेवं। उबउंजिऊण पुचिं गुज्झिगमिणमोनि बजेइ ॥ ८॥ सत्ताहबद्दले पुत्रसंगई वणियविरुवुवक्खडण। आमंतण खुड्ड गुरू अणुणवन बिंदु उवओगो ॥२३९॥ भाग एसा गवेसणविही कहिया भे धीरपुरिसपन्नत्ता। गहणेसणंपि एत्तो वोच्छं अप्पक्खरमहत्यं ॥८॥ नाम ठवणा दविए भावे गहणेसणा मुणेयवा। दवे वानरजूहं भावमि य ठाणमाईणि ॥९॥ परिसडियपंडुपत्नं वणसंडं ददलु अन्नहि पेसे। जूइवई पडियरिए जूहेण समं तहिं गच्छे ॥४६०॥ सयमेवालोएउं जूहबई नं वर्ण समं नेहिं । वियरइ नेसि पयारं चरिऊण य ने दहं गच्छे ॥१॥ ओयरंतं पर्य दटुं. उत्तरंतं न दीसइ। नालेण पियह पाणीयं, नेस निकारणो दहो ॥२॥ ठाणे यदायए चेव, गमणे गहणागमे। पने परियत्ने पाडिए य गुरुयं निहा भावे ॥३॥ आया पवयण संजम तिविहं ठाणं तु होइ नाय । गोणाइ पुढविमाई निदमणाई पवयणमि ॥२४॥मा० । गोणे महिसे आसे पेलण आहणण मारणं भवह। दरगहियभाणभेदो छड्डणि भिक्खस्स छक्काया ॥४॥ चलकुइडपडणकंटगबिलस्स व पासि होड आयाए। निक्खमपवेसवजण गोणे महिसे य आसे य॥५॥ पुढविदगअगणिमास्यतरुतसवजमि ठाणि ठाइजा। दिती व हेड उवरिं जहा न घट्टेइ फलमाई ॥६॥ पासवणे उच्चारे सिणाण आयमणठाण उकुरुडे। निद्रमणमसुइमाई पवयणहाणी विवजेजा ॥७॥ अवत्तमपहु थेरे पंडे मते य खित्तचित्ते य। दित्ते जक्खाइट्टे करचरछिन्नेऽन्ध णियले य ॥८॥ तदोसगुचिणीबालवच्छकंडतपीसभर्जती। कन्नी पिजनी भइया दगमाइणो दोसा ॥९॥ कप्पट्टिगअप्पाहणदिने अन्नोन्नगणपजतं । खंतियमग्गणदिन्नं उजाहपदोसचारमडा ॥२४१॥ भा०। अप्पभु भयगाईया उभएगतरे पदोस पहु कुजा। थेरे चलंत पडणं अप्पभुदोसा य ते चेव ॥२॥ आयपराभयदोसा अभिक्खगहणमि खुब्भण नपुंसे । लोगद्गुंछा संका एरिसगा नृणमेतेऽवि ॥३॥ अवयास भाणभेदो वमर्ण असुइति लोगउड्डाहो। खिने य दित्तचित्ते जकखाइट्टे य दोसा उ॥४॥ करछिन्न असुइ चरणे पडणं अंधिलए य छकाया । नियलाऽसद पडणं वा नहोसी संकमो असह॥५॥ गधिणि गव्भे उर्दुति निविसमाणीय। बालाई मंसउंडग मज्जाराई विराहेजा ॥६॥ बीओदगसंघट्टण कंडणपीसंत मजणे डहणं । कती पिंजती हत्थे लिमि उदगवहो ॥२४७॥ भाभिक्खामेने अवियालणं तु बालेण दिजमाणंमि। संदिट्टे या गहणं अइबहुयवियालऽणुन्नाओ॥४७०॥ अप्पहुसंदिट्टे वा भिक्खामित्ते व गहणऽसंदिउ। थेरपह थरथरते धरण अहवा दढसरीर ॥१॥ पंडग अप्पडिसेवी मत्तो सड्ढो व अप्पसागरिए। खित्ताइ भद्दगाणं करचर बिट्ठऽप्पसागरिए॥२॥ सड्ढो व अन्नरंभण अंधे सवियारणा य बदमि। नहोसए अभिने बेला थणजीवियं खत्तऽपचवाए कंडे पीसे वऽछूट भजन्ती। सुकं व पीसमाणी बुद्धीय विभावए सम्म ॥४॥ मसले उक्खितमि य अपञ्चवाए य पीस अचित्ते। मनंती अच्छढे अॅजन्ती जा अणारदा ॥२४८॥भा०। कप्तीए थूलं विक्षिण लोढण जतिय निट्ठवियं। पिंजण असोयवाई भयणागहणं तु एएसि ॥५॥ गमणं च दायगम्सा हेट्ठा उवरिं च होइ नायकं । संजमआयविराहण तस्स सरीरे य मिच्छतं ॥ ६॥ वचंती उकाया पमहए हिट्ठ उवरि तिरियं च । फलवलिरुक्क्ख साला तिरिया मणुया य तिरियं तु ॥२४५॥ भा०कंटगमाई य अहे उप्पि अहिमादि लंबणे आया। तस्स सरीरविणासो मिच्छत्तुइडाह वोच्छेओ ॥२५०॥ भा०ानीयदुवारुग्घाडणकवाडठिय देह दारमाइन्ने । इढिरपत्थियलिंदे गहणं पत्नस्स21 १२३४ ओघनियुतिः - मुनि दीपरत्नसागर Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उपडिलेहा ॥ ॥ नियमा उ दिदगाही जिणमाई गच्छनिग्गया होति। थेरावि दिट्ठगाही अदिवि करेंति उपओगं ॥२५१॥ भा०। णीयदुनाश्वओगे उड्डाह अवाउडा पदोसोय। ४ाहियनटुंमि य संका एमेव कबाइउग्घाडे ॥२॥ देहऽन्नसरीरेण व दारं पिहिअंजणा उलं वावि। इइडरपस्थियलिंदेण वावि पिहियं नहिं वाथि ॥३॥ एतेहि ऽदीसमाणे अम्गहणं अह व कुन उवओगं। सोनेण चक्खुणा घाणओ य जीहाएं फासेणं ॥४॥ हत्यं मनं च धूवे सहो उदकस्स अहव मत्तस्स। गंधे व कुलिंगाई तत्थेव रसो फरिसथिदू ॥ ५॥ सो होड दिदगाही * जो एते जुजई पदे सके। निस्संकिय निग्गमणं आसंकपयंमि संचिक्खे ॥२५६ ॥ मा० आगमणदायगस्सा हेडा उपरिं च होड जह पुधि। संजमआयविराहण दिवसो होइ बच्छ्रेण ॥८॥ पत्नम्स उ पडिलेहा हत्ये मने तहेव दवे या उनले ससिणि संसते व परियते ॥९॥ तिरिय उड्ढमहेविय भायणपडिलेहणं तु कायई। हत्यं मत्तं दधं तिथि 3 पत्नस्स प. | डिलेहा ॥२५७॥ भा० मा ससिणिद्धोदउले नसाउलं गिव्ह एगतर बटुं। परियत्तियं च मत्तं ससिणिदाईसु पडिलेहा ॥८॥ मा०पडिओ खलु बट्ठयो कित्तिम साहाविओ य जो | पिंडो। संजमायविराहण दिर्सेतो सिट्टिकम्बट्ठो॥४८०॥ गरविसअट्ठियकटय विरुवदमि होइ आयाए । संजमओ उकाया तम्हा पडियं विगिचिजा ॥१॥ अणभोगेण भएण य | पडिणी उम्मीस भन्नपार्णमि। दिजा हिरण्णमाई आवजण संकणा दिटे ॥२॥ उक्खेवे निक्खेवे महालया लुबया वहो दाहो। अचियत्ने वोच्छेओ छक्कायवहो य गुरुमने ॥३॥ गुरुदबेण व पिहिअं सयं व गुरुयं हवेज जं दवं। उक्खेवे निक्खेवे कडिभंजण पाय उवरि वा ॥९॥ भा०। महालेण देहि मा डहरएण भिन्ने अहो इमो यो । उभएगतरे व वहो दाहो अचुह एमेव ॥२६०॥ बहुगहणे अचियत्तं वोच्छेओं तदन्नदा तस्सविय । छकायाण य वर्ण अइमत्ते तंमि मत्तंमि ॥२६१॥ मा तिविहो य होइ कालो गिम्हो हेमंत तह य वासामु। निविहो य दायगो खलु थी पुरिस नपुंसओ चेव ॥ ४ ॥ एकिकोविअ तिविहो तरुणो तह मज्झिमो य थेरो य। सीयतणुओ नपुंसो सोम्हित्थी मज्झिमो पुरिसो ॥५॥ पुरकम्मं उदा ससिणिदं नपि होइ तिविहं तु। इक्विकपिय तिविहं सचित्ताचित्तमीसं तु ॥६॥ आइदुवे पडिसेहो पुरओ कय ई तु तं पुरेकम्मै । उदउवाबिंदुसहिअं ससिणिदे मग्गाणा होइ ॥ ७॥ ससिणिबंपिय तिविहं सचित्ताचित्तमीसगं चेव। अचित्तं पुण ठप्प अहिगारो मीससञ्चित्ते ॥८॥ पठाण किंचि अडाणमेव किंधिच होअणुवाण। पाएण हि य(न)स एककहाणी य वुड्ढी य॥९॥ सत्तविभागेण कर विभायइत्ताण इस्थिमाईण। निन्नुभयइयरेविय रेहा पवे करतले य ॥४९०॥ जाहे य उन्नयाई उत्राणाई हवंति हत्थस्स । ताहे नाल पत्राणा लेहा पुण होतऽणुशाणा ॥१॥ तरुणित्यि एकभागे पवाणे होइ गहण गिम्हासु। हेमंते दोसु भवे तिसु पहाणेसु वासासु ॥२॥ एमेव मज्झिमाए आढन दोसु ठायए चउम्। तिम आढत्तं घेरी नवरि टाणेसु पंचसु उ ॥३॥ एमेव होइ पुरिसो दुगाइछट्ठाणपज्जवसिएसुं । अपुमं तु तिभागाई सत्तमभागे अवसिते उ॥४॥ दुविहो य होइ भावो लोइय लोउत्तरो समासेणं । एकिक्कोविय दुविहो पसत्थओ अप्पसत्यो य ॥५॥ सझिलगा दो वणिया गामं गंतृण करिसणारंभो। एगस्स देहमंडणवाउसिआ भारिया अलसा ॥ ६॥ मुहयोवण देतवर्ण अहागाईण काल आवास । पुषण्हकरणमप्पण उक्कोसयरं च मज्मण्हे ॥७॥ तणकडहारगाणं न देइ न य दासपेसवम्गस्स। न य पेसणे निउंजइ पलाणि हिय हाणि गेहस्स ॥८॥ बिइयस्स पेसवगं वावारे अनपेसणे कम्मे। काले देहाहार सयं च उवजीवई इड्ढी ॥९॥ वन्नवलरूवहेडं आहारे जो तु लाभि लभंते। अतिरेगं न उ गिण्हइ पाउम्गगिलाणमाईणं ॥५०० ॥ जह सा हिरण्णमाइसु परिहीणा होइ दुक्खाभागी। एवं तिगपरिहीणा साहू दुक्खस्स आभागी ॥१॥ आयरियगिलाणट्ठा गिण्ह न महंति एव जो साहू। नो वकारूचहेर्ड आहारे एस उ पसत्थो ॥२॥ उम्गमउप्पायणएसणाएँ बायाल होंति अवराहा। सोहेउं समुयाणं पडुपन्ने वचए वसहिं॥३॥ मुन्नघरदेउले बा असई य उपस्सयरस या दारे।लनकंटगाई सोहेउमुवस्सगं पविसे ॥४॥ संसत्तं तत्तो चिय परिद्ववेत्ता पुणो दर्व गिण्हे। कारण मत्तयगहियं पडिग्गहे छोटु पविसणया ॥५॥ गामे य कालमाणे पचमाणे हवंति भंगऽट्ट। काले अपहुप्पंते नियत्तई सेसए भयणा ॥६॥ अण्णं च वए गाम अणं भाणं व गेण्ह सइ काले। पढमे बितिए छप्पंचमे य भय सेस य नियते ॥ ७॥ बोसिठ्ठमागयाणं उमासिय मत्तए य भूमितियं । पडिलेहियमत्यमणं सेसऽत्थमिए जहनो उ ॥८॥ भुत्ते वियारभूमी गयागयाणं तु जह य ओगाहे । चरमाएँ पोरिसीए उक्कोसो सेस मज्झिमओ ॥९॥ पायप्पमजण निसीहिया य तिन्नि उ करे पवेसंमि। अंजलि ठाणविसोही दंडग उवहिस्स निक्खेवो ॥५१॥ एवं पटुपन्ने पविसओ उ तिन्नि व निसीहिया होति। अग्गहारे मज्ने पवेस य सागरिए ॥२६२॥ भाका हत्थुस्सेहो सीसप्पणामणं वाइओ नमोकारो। गुरुभायणे पणामो वायाएं नमो न उस्सेहो ॥३॥ उरिहट्ठा य पमजिऊण सहि ठवेज सद्गाणे । पई उबहिस्सुवरि भायणवत्याणि भाणेसु॥४॥ जइ पुण पासवणं से हवेज तो उम्गहं सपच्छागं। दाउं 3 ४॥ जब पुण पासवणं से हवेज तो उग्गहं सपच्छागं। दाउं अन्नस्स सचोलपट्टओ काइयं निसिरे ॥२६५॥ भागबउगुल मुहपत्ती उज्जुयए वामहत्यि स्यहरणं । वोसट्टचत्तदेहो काउस्सर्ग करेजाहि ॥१॥ चाउरंगुलमप्पत्तं जाणुगहेट्ठा छिवोवरिं नाहिं। उभओ कोप्परधरिअं करेज पढें च पडलं बा ॥६॥ भा०। पुबुदिढे ठाणे १२३५ ओघनियुक्तिः - मुनि दीपरत्नसागर Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ठाउं चउरंगलंतरं काउं। मुहपोत्ति उज्जुहत्ये वामंमि य पायपुंछणयं ॥२॥ काउस्सग्गमि ठिओ चिते समुयाणिए अईआरे। जा निग्गमापवेसो तत्थ उ दोसे मणे कुजा ॥३॥ ते उ पडिसेवणाए अणलोमा होति वियटणाए य। पडिसेववियडणाए एत्य उ चउरो भवे भंगा॥४॥ बक्खित्तपराहत्ते पमते मा कयाइ आलोए। आहारं च करेंतो नीहारं वा जह करेड ॥॥ कहणाईवरिखत्ते विकहाइ पमत्त अन्नओ व मुहे। अंतरमकारए वा नीहारे संक मरणं वा ॥२६॥ भा०। अञ्चक्खित्ताउत्तं उवसंतमुवट्ठिअंच नाऊणं । अणुन्नवेनु मेहावी. आलो. एजा सुसंजए॥६॥ कहणाइ अवक्खित्ते कोहाइ अणाउले तदुक्उत्ते। संदिसहत्ति अणुन काऊण विदिन्नमालोए॥८॥ भा० नर्स्ट बलं चलं भासं मूर्य तह ढड्ढरं च कजेजा। आ. लोएन सुविहिओ हत्थं मत्तं च वाचारं । करपायभमुहिसीसऽच्छिउट्ठमाईहिं नहि नाम । वलणं हत्यसरीरे चलणं काए य भावे य॥९॥ भा०ागारत्थियभासाओ य वजए मूय ढड्ढरं च सरं। आलोए वावारं संसट्ठियरे व करमत्ते ॥२७०॥ भा०। एयहोसविमुकं गुरुणो गुरुसम्मयस्स बाऽऽलोए। जं जह गहियं तु भवे पढमाओ जा भवे चरिमा ॥८॥ काले य पहुप्पते उच्चा(वा)ओ वावि ओहमालोए। वेला गिलाणगस्स व अइच्छइ गुरू व उच्चाओ॥९॥ पुरकम्म पच्छकम्मे अप्पेऽसुद्धे य ओहमालोए। तुरियकरणंमि जं से न मुज्झई तत्तिअं कहए ॥५२०॥ आलोइना सर्व सीसं सपडिग्गहं पमजित्ता। उड्ढमहो तिरियंमी पडिलेहे सवओ सवं ॥१॥ उड्ड पुष्फफलाई तिरियं मजारिसाणडिंभाई । खीलगदारुगआवडणरक्वणट्ठा अहो पेहे ॥२७१॥ भाग ओणमओ पवडेजा सिरओ पाणा सिरं पमज्जेजा। एमेव उग्गहमिवि मा संकुडणे तसविणासो ॥२॥ काउं पडिग्गहं करयलंमि अदं च ओणमित्ताणं। भत्तं वा पाणं वा पडिदंसिजा गुरुसगासे ॥३॥ ताहे य दुरालोइय भत्तपाण एसणमणेसणाए उ। अठुस्सासे अहवा अणुग्गहादी उमाएजा ॥२७४॥ भा०। विणएण पट्टवित्ता सज्झायं कुणइ तो मुहुनागं । पुत्र भणिया य दोसा परिस्समाई जढा एवं ॥२॥ दुविहो य होइ साहू मंडलिउबजीवओ य इयरो य । मंडलिमुवजीवंतो अच्छड़ जा पिंडिया सवे ॥३॥ इयरोवि गुरुसगासं गंतॄण भणइ संदिसह भंते !। पाहुणगखवगअतरंतवालवुड्ढाण सेहाणं ॥४॥ दिण्णे गुरूहि तेसिं सेर्स भुंजेज गुरुअणुनायं। गुरुणा संदिट्ठो वा दाउं सेसं तओ मुंजे ॥५॥ इच्छिजन इच्छिज व तहविय पयओ निमंतए साह। परिणामविसुदीए अनिजरा होअगहिएवि ॥६॥भरहेखयविदेहे पनरससुवि कम्मभूमिगा साहू। एकमि हीलियमी सके ते हीलिया हुँति ॥ ७॥ भरहेरवयविदेहे पारसमुचि कम्मभूमिगा साहू। एकमि पूइयंमी सचे ते पूइया हुंति ॥८॥ अह को पुणाइ नियमो एकमिवि हीलियंमि ते सके। होति अवमाणिया पूइए य संपूइया सो?॥९॥ नार्णव सर्ण वा तवो य तह संजमो य साहुगुणा। एक ससुचि हीलिएसुते हीलिया हुति ॥५३०॥ एमेव पू | उ। थोवं पहुं निवेसं इइ नचा पूयए मइमं ॥१॥ तम्हा जइ एस गुणो एकमिवि पूइयंमि ते सके। भत्तं वा पाणं वा सापयत्तेण दायां ॥२॥ वेयावचं निययं करेह उत्तमगुणे धरिन्ताणं। सचं किल, पडिवाई वेयावचं अपढिवाई ॥३॥ पडिभग्गस्स मयस्स व नासइ चरणं सुयं अगुणणाए। नहु वेयावञ्चचियं सुहोदयं नासए कम्मं ॥४॥ लाभेण जोजयंतो जइणो लाभतराइयं हणइ । कुणमाणो य समाहिं सबसमाहिं लहइ साहू ॥५॥ भरहो बाहुबलीविय दसारकुलनंदणो य वसुदेवो । वेयावचाहरणा तम्हा पडितप्पह जईणं ॥ ६॥ होजन व होज लंभो फासुगआहारउवहिमाईणं। लंभो य निजराए नियमेण अओ उ कायचं ॥ ७॥ वेयावचे अम्भुट्ठियस्स सद्धाएँ काउकामस्स। लाभो चेव नवस्सिस्स होइ अहीणमणसम्स ॥८॥ एसा गहणेसणविही कहिया भे धीरपुरिसपणत्ता। पासेसणंपि इत्तो बुच्छं अप्पक्खरमहत्यं ॥९॥ दवे भावे घासेसणा उ दमि मच्छाहरणं। गलमंसुंडगभक्खण गलस्स पुच्छेण मि पहीणे सायंतं मच्छियं भणइ मच्छो। किं झायसि तं एवं? सुण ताव जहा अहिरिओऽसि ॥१॥ परियं व कप्पियं वा आहरणं विहमेव नाय। अत्यस्स साहणट्ठा इंधणमिव ओयणट्ठाए ॥२॥ तिबलागमुहा मुक्को, तिक्खुत्तो वलयामुहे। तिसत्तक्खुत्तो जालेणं, सयं छिन्नोदए दहे ॥३॥ एयारिसं ममं सत्त, सदं घटिअघट्टणं। इच्छसि गलेणं घेर्नु, अहो ते अहिरीयया ॥ ४॥ अह होइ भावघासेसणा उ अप्पाणमप्पणा चेव । साहू मुंजिउकामो अणुसासइ निजरवाए ॥५॥ पायालीसेसणसंकइंमि गहणंमि जीव ! नहु उलिओ। एण्हि जहन छलिजसि भुंजतो रागदोसेहिं ॥६॥ जह अभंगणलेबो सगडक्खवणाण जुनिओ होति। इय संजमभरवहणट्ठयाएं साहुण आहारो ॥ ७॥ उबजीवि अणवजीवी मंडलियं पश्यन्निओ साहामंडलिअसमुरिसगाण ताण इणमो विहिं बुच्छदाआगाढजोगवाही निजूढऽत्तट्ठियायपाहणगा। सेहा सपायडिना पाला देवम दुविहो खलु आलोगो दो भावे य दधि दीवाई। सत्तविहो पुण भावे आलोगं तं परिकहेहं ॥१५॥ ठाण दिसि पगासणया भायण पक्खेवणे य गुरु भावे । सनविहो आलोगो सयावि जयणा सुविहियाणं ॥१॥ निक्खमपवेसमंडलिसागारियठाण परिहिय टाइ। मा एकासणभंगो अहिगरणं अंतरायं वा ॥२७५॥ भा०। परसिपरंमुहपट्टिपक्स एया दिसा विवजेना। ईसाणम्ोईय व ठाएज गुरुस्स गुणकलिओ ॥६॥ मच्छियकंटट्ठाईण जाणणट्ठा पगास जणया। अट्ठियलम्गणदोसा वग्गुलिदोसा जढा एवं ॥ ७॥ जे चेत्र अंधयारे दोसा ने चेव संक डमुहंमि। परिसाडी बहुलेवाडणं च तम्हा पगासमुहे ॥८॥ कुकुडिबंडगमित्तं अविगियवयणो उ पक्खिये कवलं । अइखडकारगं वा जं च अणालोइयं हुजा ॥९॥ (३०९) | १२३६ ओपनियुतिः - मुनि दीपरनसागर कीRA Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एएसि जाणणट्ठा गुरु आलोए तओ उ भुंजेजा। नाणाइसंधणट्ठा न वन्नबलरूवविसयट्ठा ॥२८॥ भा० सो आलोइयभोई जो एए जुजइ पए सवे । गविसणगहणग्घासेसणाइ तिवि. हाइवि विमुदं ॥२॥ एवं एगस्स विही भोत्तचे वन्निओ समासेणं । एमेव अणेयाणवि जं नाणतं तयं वोच्छं ॥३॥ अतरतबालबुड्ढा सेहाएसा गुरू असहुवग्यो। साहारणोग्गहाइलद्विकारणा मंडली होइ ॥४॥ नाउ नियगुणकालं वसहीपालोय भायणुग्गाहे। परिसंठियइच्छदवगेष्हणट्ठया गच्छमासज ॥५॥ असई य नियत्तेसु एक चउरंगलूणभाणेसु । पक्खिविय पडिग्गहर्ग तत्थऽच्छदवं तु गालेना ॥६॥ आयरियअभावियपाणगट्ठया पायपोसधुवणट्ठा। होइ य सुहं विवेगो सुह आयमणं च सागरिए ॥७॥ एक व दो व तिन्नि व पाए गच्छप्पमाणमासज। अच्छदवस भरेजा कसहवीए विगिंचेजा ॥८॥ मूइंगाईमकोडएहि संसत्तगं च नाऊणं। गालेज छम्बएणं सउणीघरएण व दवं तु ॥९॥ इय आलोइयपट्ठविअगालिए मंडलीइ सहाणे। सज्झायमंगलं कुणइ जाव सो पडिनियत्ता ॥५६०॥ कालपुरिसे व आसज मत्तए पक्खिवितु तो पढमा। अहवावि पडिग्गहगं मुयंति गच्छं समासज ॥१॥ चित्त बालाईणं गहाय आपुच्छिऊण आयरिश्र। जमलजणणीसरिच्छो निवेसई मंडली थेरो॥२॥ जइ लुद्धो राइणिओ होइ अलुद्धोचि जोऽवि गीयस्थो। ओमोवि हु गीयत्थो मंडलिराइणि सअलुद्धो उ॥३॥ठाण दिसि पगासणया भायण पक्खेवणा य भाव गुरू। सो चेव य आलोगो नाणतं तद्दिसाठाणे ॥४॥ निक्खमपवेस मोतं पढमसमहिस्सगाण ठ परिहाणी भावासन्नेवमाईया ॥२८१॥ भा०। पुत्रमहो राइणिो एको य गुरुस्स अभिमुहो ठाइ। गिण्हइ व पणामेइ व अभिमुहो इहरहाऽवन्ना ॥२॥भाका जो पुण हवेज खमओ अतिउचाओ व सो बहिं ठाइ। पढमसमुदिट्टो वा सागारियरक्खणवाए ॥५॥ एकेकस्स य पासंमि मल्लयं तत्थ खेलमुग्गाले। कट्ठऽट्ठिए व छुब्भद मा लेयकडा भवे वसही ॥६॥ मंड. लिभायणभोयण महर्ण सोही य कारणुवरिते। भोयणविही उ एसो भणिओ तेजुकदंसीहिं ॥७॥ मंडलि अहराइणिआ सामायारी य एस जा भणिआ। पुर्व तु अहाकडगा मुचंति तओ कमेणियरे ॥२८३॥ भा०ा निदमहुराणि पुर्ण पित्ताइपसमणट्ठया भुंजे। बुद्धिबलवड्ढणट्ठा दुक्खं खुविकिंचिउं निद्धं ॥४॥ अह होज निद्धमहुरणि अप्पपरिकम्मसपरिकम्मेहि। भोलूण निदमहुरे फुसिअ करे मुंचऽहागडए ॥३॥ कुकुडिअंडगमित्तं अहवा खुड्डागलंबणासिस्स। लंबणताले गिण्हइ अविगियवयणो य राइणिओ॥६॥ गहणे पक्खेवंमि असामा. यारी पुणो भवे दुविहा । गहणे पायंमि भवे वयणे पचखेवणा होइ ॥७॥ कडपयरच्छेएणं भोत्तवं अहव सीहखइएणं । एगेहि अणेगेहिविवजेत्ता घूमइंगालं ॥८॥ असुरसुरं अचवचवं अदुयमविलंमिअं अपरिसाटिं। मणवयणकायगुत्तो भुंजइ अह पक्खिवणसोहिं ॥२८९॥ भा० उग्गमउप्पायणासुद्ध, एसणादोसजि। साहारणं अयाणतो, साहु हबइ असारओ ॥८॥ उम्गम उपायणासुद, एसणादोसपजिअं। साहारणं वियाणतो, साहू हवइ ससारओ॥९॥ उम्गमउप्पायणासुद्ध, एसणादोसवजि। साहारणं अयाणतो, साह कुणद तेणिों ॥५७०॥ उमामउपायणासुद्ध, एसणादोसवजिअं। साहारण बियाणतो, साहू पावइ निन्जरं ॥१॥ अंतंतं भोक्खामित्ति बेसए मुंजए य तह चेव। एस ससारनिविट्ठो ससारओ उदिओ साहू ॥२॥ एमेव य भंगतिअंजोएयचं तु सार नाणाई। तेण सहिओ ससारो समुदवणिएण दिद्रुतो ॥३॥ जत्थ पुण पडिग्गहगो होज कडो तत्थ भए अन्नं । मत्तगगहिउनरिअं पडिम्महे जं असंसद् ॥ ४॥ पुण गुरुस्स सेसं तं छुम्भइ मंडलीपडिग्गहके। बालादीण व दिजइ न छुम्भई सेसगाणऽहिजे ॥५॥ सुकोलपडिग्गहगे विआणिआ पक्खिये दवं सुके। अभतद्विआण अट्ठा बहुलंभेजं असंसट्ठ ॥ ६॥ सोही चउक भावे विगइंगालं च विगयधूमं च। रागेण सयंगालं दोसेण सधूमगं होई ॥७॥ जत्तासाहणहेउं आहारैति जवणट्ठया जइणो। छायालीसं दोसेहिं सुपरिसुदं विगयरागा ॥८॥ हियाहारा मियाहारा, अणाहारा य जे नरा। न ते विजा तिगिच्छंति, अप्पाणं ते तिगिच्छगा ॥९॥ कण्हमनयरे ठाणे कारणमि उ आगए। आहारेज(उ) मेहावी संजए सुसमाहिए ॥५८०॥ वेयण वेयावचे इरियट्ठाए य संजमट्ठाए। तह पाणवत्तियाए छटुं पुण धम्मचिंताए ॥१॥ नस्थि छुहाएं सरिसया वेयण मुंजेज तप्पसमणडा। छाओ वेयावचं न तरइ काउं अओ भुंजे॥२९०॥भा०ाइरियं नवि सोहेइ पेहाईयं च संजमं काउं। थामो वा परिहायइ गुणऽणुप्पेहास्य असत्तो॥१॥ भा०।अहवा न कुज आहार, कहिं ठाणेहिं संजए। पच्छा पच्छिमकालंमि, काउं अप्पक्खमं खमं ॥२॥ आयंके उवसग्गे तितिक्खया बंभचेरगुत्तीए।पाणदया तबहेउं सरीखोच्छेयणट्ठाए॥२९२॥ भा०ा आयंको जरमाई राया सनायगा व उवसम्मा। बंभवयपालणट्ठा पाणदया वासमहियाई ॥३॥ तवहेउ चउत्थाई जाब उ छम्मासिओ तयो होइ । छई सरीखोच्छेयणट्ठया होयऽ. णाहारो॥२९४॥ भा०ा एएहिं छहि ठाणेहि, अणाहारो य जो भवे। धम्म नाइकमे भिक्खू , झाणजोगरओ भवे ॥३॥ मुंजतो आहारं गुणोक्यारं सरीरसाहारं। विहिणा जहोवइ8 संजमजोगाण पहणट्ठा ॥४॥ भुडियावसेसो तिलंबणा होइ संलिहणकप्पो । अपहुप्पन्ते अनंपि छोई ता लंबणे ठवए॥५॥ संदिवा संलिहिउँ पढम कार्य करेड कलसेणं । तं पार्ड मुहमासे वितियच्छदवस्स गिण्हति ॥ ६॥ दाऊण वितियकर्ष पहिया मज्झटिआउ दवहारी। तो देति तइयकप्पं दोण्हं दोव्हंतु आयमणं ॥ ७॥ होज सिधा उदरियं तत्थ य आर्य१२३७ ओघनियुक्तिः - मुनि दीपरत्नसागर Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बिलाइणो हजा। पडिसिअ संदिवो बाहर तो चउत्थाई ॥८॥ मोहचिगिच्छ विगिटुं गिलाण अत्तट्ठियं च मोतुणं । सेसे गंतुं भणई आयरिआ बाहरति तुमं ॥९॥ अपडिहणतो । आगंतुं बंदिउ भणइ सो उ आयरिए। संदिसह मुंज जं सरति तत्तिय सेस तस्सेव ॥५९०॥ अभणतस्स उ तस्सेव सेसओ होइ सो विवेगो उ। भणिओ तस्स उ गुरुणा एसुवएसो पवयणस्स ॥१॥ भुनंमि पढमकप्पं करेमि तस्सेव देति तं पायं। जावतिअंति अमणिए तस्सेव विगिंचणे सेसं ॥२॥ विहिगहिों विहिभुत्तं अइरेग भत्तपाण भोत्तमं । विहिगहिए विहिभुने एन्थ य चउरो भये भंगा ॥३॥ उम्गमदोसाइजद अह्वा बीयं जहिं जहापडिअं। इय एसो गहणविही असुद्धपच्छायणे अविही ॥२९५॥ भा०। कागसियालक्खइयं दविअरसं सवओ परामर्दु। एसो भये अविही जहगहिअंभोयणमि विही ॥४॥ उचिणइ व विट्ठाओ काओ अहवावि विक्खिरह सर्व । विप्पेक्खइ य दिसाओ सियालो अन्नोन्नहिं गिण्हे ॥६॥ भाग सुरही दोचंगट्ठा छोदण दवं तु पियइ दवियरसं। हेटोवरि आमहूँ इय एसो भुंजणे अविही ॥ ७॥ जह गहिअंतह नीयं गहणविही भोयणे विही इणमो। उकोसमणुक्कोसं सम कयरस तु भुजेजा ॥८॥ताएवि अविहिगहिअं विहिभुतं तं गुरूहिणुन्नार्य। सेसा नाणुन्नाया गहणे दत्ते य निजुहणा ॥९॥ अहवावि अकरणाए उवठियं जाणिऊण काठाण। 17 घरेउं दिति गरू पसंगविणिवारणटूठाए॥३०० ॥ घासेसणा य एसा कहिया मे धीरपुरिसपन्नत्ता। संजमतवड्ढगाणं निग्गंधाणं महरिसीणं ॥१॥ एवं घासंसणांवाह जुजता चरण करणमाउत्ता। साह खवंति कम्मं अणेगभवसंचियमणतं ॥२॥ एनो परिठवणविहिं वोच्छामि धीरपुरिसपन्नत्तं। जं नाऊण सुविहिया करेंति दुक्खक्खयं धीरा ॥३॥ भत्तट्टि उपरि अहव अभत्तट्ठियाण जं सेसं। संबंधणाणेण उ परिठावणिआ मुणेयवा ॥३०४॥ भा० सा पुण जायमजाया जाया मूलोत्तरेहि उ असुद्धा । लोभातिरेगगहिया अभिओगकया विसकया वा ॥५॥ मूलगुणेहिं असुदं जंगहि भत्तपाण साहूहिं । एसा उ होइ जाता वुच्छ सि विहीएं बोसिरणं ॥५॥भा०ा एगंतमणावाए अचित्ते थंडिले गुरुवइटे। आलोएँ एगपुंज तिहाणं सावणं कुजा ॥ ६॥ लोभातिरेगगहिअं अहव असुदं तु उत्तरगुणेहिं। एसावि होति जाया बोच्छ सि विहीएं योसिरणं ॥६॥भाग एगंतमणावाए अचित्ते थंडिले गुरुवइट्टे। आलोए दुनि पुंजा तिहाणं सावर्ण कुजा ॥ ७॥ दुविहो खलु अभिओगो दो भावे य होइनायत्रो । दमि होइ जोगो चिजा मंता य भावंमि ॥८॥ विनाएं होअगारी अचियत्ता सा य पुच्छए चरिऑ। अभिमंतणोदणस्स उ अणुकंपणमुझणं च खरे ॥९॥ बारस्स पिट्टणंमि अ पुच्छण कहणं च होअगारीए। सिट्टे चरियावंडो एवं दोसा इहंपि सिया ॥६००॥ बाजोगंमि उ अविरइया अज्झुववना सरुवभिक्खूमि। कडजोगमणिच्छंतस्स दंइ भिक्खं असुभभावे ॥१॥ संकाए स नियट्टो दाऊण गुरुस्स उ ममापि उज्झयणा ॥२॥ एमेच विसकयंमिवि दाऊण गुरुस्स काइयं निसिरे। गंधाई विनाए उज्झगमविही सियालवहे ॥३॥ एवं विजाजोए विससंजुत्तस्स बावि गहियस्स। पाणचएवि नियमाणा उ वोच्छ परिवर्ण ॥४॥ एगतमणावाए अथिते थंडिले गुरुवइटे। छारेण अकमित्ता तिढाणं सावणं कुज्जा ॥५॥ दोसेण जेण दुटुंतु भोयणं तस्स सावर्ण कज्जा।। एवं विहिवोसटे वेराओ मुचई साह ॥६॥ जापाइयं उपउज्जइ तत्तिअमिते विगिचणा नस्थि। तम्हा पमाणमहणं अइरेग होज उ इमेहि ॥७॥ आयरिए य गिलाणे पाहणए दाउभे सहसदाणे। एवं होइ अजाया इमा उ गहणे विही होइ ॥ ८॥ जइ तरुणो निरुबहओ भुंजइ तो मंडलीइ आयरिओ। असहुस्स वीसुगहणं एमेव य होइ पाहुणए ॥९॥ सुत्तत्यधिरीकरणं विणओ गुरुपूय सेहबहुमाणो। दाणवतिसवुड्ढी बुद्धिबलवद्धणं चेव ॥६१०॥ एएहिं कारणेहि उ केइ सहुस्सवि वयंति अणुकंपा। गुरुअणुकंपाए पुण गच्छे तित्थे य अणुकंपा ॥१॥ सति लाभे पुण बधे खेत्ते काले य भावओ चेव । गहण तिसु उक्कोसं भावे जं जस्स अणुकूलं ॥२॥ कलमोतणो उपयसा उक्कोसो हाणि कोहकुम्भज्जी। तत्यवि मिउतुप्पतरयं जत्य वजं अचियं दोसु ॥३०७॥ भा०ा लाभे सनि संघाडो गेण्हइ एगो उइहरहा सके। तस्सऽप्पणो य पजत्त गेण्हणा होइ अतिरेगं ॥३॥ गेलन्ननियमगहणं नाणत्तोभासियंपि तत्थ भवे । ओभासियमुशरिज विगिंचए सेसगं भुंजे॥४॥ दुखभदई व सिआ घयाइ घेतूण सेस भुजंति। योवं देमि व गेण्हामि यत्ति सहसा भवे भरियं ॥५॥ एएहिं कारणेहिं गहियमजाया उ सा विचिंचणया। आलोगमि तिपुंजा अदाणे निम्गयातीर्ण ॥६॥ एको व दो व तिथि व पुंजा कीरति किं पुण निमित्तं ?। विहह्माइनिग्गयाणं सुदेयरजाणणहाए॥७॥ एवं विगिंचिउं निग्गयस्स सना हवेज तं तु कह। निसिरेजा? अहव धुर्व आहारा होइ नीहारो॥८॥ यंडिल्ल पुषभणियं पढमं निदोस दोसु जयणाए। नवरं पुण णाणत्तं भावासनाए वोसिरणं ॥९॥ अणावायमर्सलोर्य अणवायालोय ततिय विवरीय। आवातं संलोग पुबुत्ता पंडिला चउरी ॥३०८॥ भाग अणावायमसंलोग निहोसं बितियचरिम जयणाए। पउरदबकुरुकुयादी पत्तेयं मत्तगो चेव ॥६२०॥ तइएविय जयणाए नाणतं नवरि सहकरणंमि। भावासनाए पुण नाणत्तभिर्ण सुणसु वोच्छं ॥१॥ जदि पढम न तरेजा तो वितियं तस्स असइए तइयं । तस्स वा असई चउत्ये गामे दारे यरत्याए॥२॥साही पुरोहडे वा उपस्सए मत्तगंमि वा णिसिरे। अञ्चकडंमि बेगे मंडलिपासंमि वोसिस ॥३॥ तिणि साता महाराय!. अस्सि देहे पहड़िया।* १२३८ ओधनियुक्तिः - मुनि दीपरत्नसागर 34 SAKAL Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - वायमुत्तपुरीसाणं, पत्तवेगं न धारए ॥४॥राया विजमि मए विजसुयं भणइ किंच ते अहियं ? । अहियंति वायकम्मे विजे हसणा य परिकहणा ॥५॥ एसा परिवणविही कहिया | भे धीरपुरिसपत्ना। सामायारी एत्तो बुच्छ अप्पक्खरमहत्थं ॥६॥ सबातों आगतो चरमपोरिसिं जाणिऊण ओगाढं। पडिलेहणमप्पत्तं नाऊण करेइ सज्झायं ॥७॥ पुवुद्दिट्टो य विही इहंपि पडिलेहणाइ सो चेव। जं एत्वं नाणत्तं तमहं बुच्छं समासेणं ॥८॥ पडिलेहगा उ दुविहा भत्तद्वियएयरा य नायबा। दोण्हर्विय आइपडिलेहणा उ मुहर्णतग सकायं ॥९॥ ततो गुरू परिमा गिलाणसेहाति जे अभत्तट्ठी। संदिसह पाय मत्तेय अप्पणी पट्टगं चरिमं॥६३०॥ पट्टग मत्तय सयमोग्गहो य गुरुमाइया अणुचवणा। तो सेस पायवत्थे पाउँठणगं च भत्तट्ठी ॥१॥ जस्स जहा पडिलेहा होइ कया सो तहा पढइ साहू। परिय इव पयओ करेइ वा अन्नवावा ॥२॥ चउभागवसेसाए चरिमाए पडिकमिनु कालस्स। उचारे पासवणे ठाणे चउचीसई पेहे ॥३॥'अहियासिया उ अंतो आसन्ने मज्झि तह य दूरे या तिन्नेव अणहियासी अंतो छच्छच बाहिरओ ॥४॥ एमेव य पासवणे वारस चउवीसइंतु पेहित्ता। कालस्सवि GIतिग्नि भवे अह सूरो अस्थमुवयाई ॥५॥ जइ पुण निवाघाओ आवासं तो करेंति सवेवि। सड्ढाइकहणवाघायताएँ पच्छा गुरु ठति ॥ ६॥ सेसा उ जहासत्ती आपुच्छित्ताण ठंति सट्टाणे। सुत्नत्थझरणहेउं आयरिएँ ठियंमि देवसियं ॥७॥ जो होज उ असमत्यो पालो बुड्ढो गिलाण परितंतो। सो आवस्सगजुत्तो अच्छेज्जा निजरापेही ॥८॥ आवासगंतु काउं जिणवरदिर्से गुरूवएसेणं । तिन्नि थुई पडिलेहा कालस्स विही इमो तत्थ ॥९॥ दुविहो य होइ कालो वाघातिम एयरो य नायत्रो। वाघाओ पंघसालाएं घट्टणं सड्ढकर्ण वा ॥६४०॥ बाघाते तइओ सिं दिजइ तस्सेव ते नियंति। नियाघाते दुन्नि उपुच्छंती काल घेच्छामो ॥१॥ आपुच्छण किइकम्मं आवस्सिय खलियपडियवाघाओ। इंदिय दिसा य तारा वासमसज्झाइयं व॥२॥ जइपुण वचंताणं छाय जाईचता नियत्ततिा निवापात दान्नि उअच्छति दिसा निरिक सियवासविजकगजिए वावि उवघातो ॥४॥ सज्झायमचिंता कणगं वळूण तो नियत्तंति। वेलाएँ दंडधारी मा बोलं गंडए उवमा ॥५॥ आघोसिए बहुहिं सुर्यमि सेसेसु निवडइ दंडो। अह तं बहहिं न मुयं दंडिजाइ गंडओ ताहे ॥६॥ कालो सञ्झा य तहा दोवि समपति जह समं चेव। तह तं तुलंति कालं परिमदिसं वा असमझागं ॥ ७॥ पियधम्मो दढधम्मो संविम्यो वऽवजभीरू य। खेयन्नो य अभीरू कालं पडिलेहए साहू ॥८॥आउत्तपुवमणिए अणपुच्छा खलियपडियवाघाते। घोसंतमूढसंकियईदियविसएवि अमणुन्ने ॥९॥ निसीहिया नमोकारे काउस्सग्गे य पंचमंगलए। पुचाउत्ता सवे पट्ठवणचउकनाणत्तं ॥६५०॥ थोवावसेसियाए सम्झाए ठाइ उत्तराहुत्तो। चउवीसगदुमपुफियपुरग एकेकयदिसाए ॥१॥ भासंतमूढसंकियइंदियविसए य होइ अमणुने। चिंदू य छीयऽपरिणय संगणे वा संकियं तिण्हं ॥२॥ मूढो पदिसऽज्झयणे भासंतो पापि गिण्हइ न सुज्झे। अन्नं च दिसज्झयणं संकेतोऽणिविसयं वा ॥३०९॥ भाग जो वचंतमि विही आगच्छंतमि होइ सो चेव। जं एत्यं नाणत्तं तमहं बुच्छ समासेणं ॥३॥ निसीहिया नमुक्कारं आसजावडणपडणजोइक्खे। अपमजिय भीए वा डीए छिन्ने व कालवहो॥४॥ आगम इरियाचहिया मंगल आवेयणं तु मरणं मरुय)नार्य। सबेहिवि पट्ठविएहि पच्छा करणं अकरणं वा ॥५॥ सन्निहियाण वडारो पट्टविय पमाय नो दए काला बाहिठिए पडियरए पविसइ ताहे व दंडधरो॥६॥ पट्टविय बंदिए या ताहे पुच्छेइ किं सुर्य? मंते!। तेवि य कहति सर्व जेण सुयं व दिढे वा ॥आएकस्स व दोण्ह व संकियंमि कीरइन कीरए विहं । सगर्णमि संकिए परगणमि गंतुं न पुच्छति ॥८॥ कालचउक्के नाणत्तयं तु पादोसियंमि सब्वेवि। समयं पट्ठवयंती सेसेसु समं भवविसमं वा॥९॥ इंदियमाउत्ताणं हणंति कणगा उ सत्त उक्कोसं। वासामु य तिन्नि दिसा उउवढे तारगा तिन्नि ॥६६॥ कणगा हर्णति कालं ति पंच सत्तेव घि(गिम्हसिसिरवासे। उक्का उ सरेहागा रेहारहितो भवे कणतो ॥३१०॥ भा०। सबेवि पढमजामे दोनि उ वसभा उ आइमा जामा। तइओ होइ गुरूणं चउत्पओ होइ सवेसि ॥१॥ वासासु य तिण्णि दिसा हवंति पाभाइयम्मि कालंमि। सेसेसु तीसु चउरो उउंमि चउरो चउदिसिपि ॥३११॥ भाका तिसु तिण्णि तारगा उ उर्दुमि पाभाइए अदिद्वेऽवि। बासासु अतारागा चउरो छन्ने निविट्ठोवि ॥३१२॥ भागठाणासति बिंदूसु गेण्हइ विट्ठोवि पच्छिमं कालं। पडियरइ चाहिएको एको अंतडिओ गिण्हे ॥२॥ पाओसियअड्ढरते उत्तरदिसि पुत्र पेहए कालं। वेरत्तियंमि भयणा पुषदिसा पच्छिमे काले ॥३॥ सज्झार्य काऊणं पढमबितियासु दोसु जागरणं । अन्नं वावि गुणती सुणंति झायंति वाऽसुदे॥४॥ जो चेव अ सयणविही गाणं वशिओ वसहिदारे। सो चेव इहंपि भवे नाणत्तं नवरि सज्झाए ॥५॥ एसा सामायारी कहिया भे! धीरपुरिसपन्नत्ता। एत्तो उवहिपमाणं वुच्छ सुद्धस्स जह धरणा ॥६॥ उवही उवाहे संगहे य तह पग्गहुग्गहे चेव। भंडग उवगरणे या करणेऽपि य हुंति एगट्ठा ॥७॥ ओहे उचग्गहंमि य दुविहो उवही उ होइ नायवो। एकेकोऽविय दुविहो गणणाएँ पमाणतो चेव ॥८॥ पनं पत्ताबंधो पायट्ठवणं च पायकेसरिया। पडलाई स्वत्ताणं च गुच्छओ पायनिजोगो ॥९॥ तिनेच य पच्छागा स्यहरणं चेव होइ मुहपत्ती। एसो दुवालसविहो उवही जिणकप्पियाणं तु 5 १२३९ओघनियुक्तिः - मुनि दीपरत्नसागर Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥६७०॥ एए चेव दुबालस मत्तग अइरेग चोलपट्टो य। एसो क्उहसविहो उपही पुण येरकप्पम्मि ॥१॥ जिणा पारसरूवाई. येरा चउहसरूविणो। अजाणे पनवीसं तु, | अओ उड़दं उवग्गहो ॥२॥ निलेव य पच्छागा पडिग्गहो पेव होइ उक्कोसो। गुच्छग पत्तगठवणं मुहर्णतग केसरि जहनो ॥३॥ पडलाइ रयत्नाणं पत्ताबंधो य चोलपट्टो य। स्यहरण मत्तोऽविय घेरार्ण छपिहो मझो ॥४॥ पत्तं पत्ताबंधो पायट्ठवर्ण च पायकेसरिया। पडलाइ स्यत्ताणं च गोच्छओ. पायनिजोगो ॥५॥ तिन्नेव य पच्छागा रयहरणं चेव होइ मुहपत्नी। तत्तो य मत्तगो खलु उदसमो कमढगो वेव ॥६॥ उम्गह णतगपट्टो अरोरुग चलणिया य बोदवा। अम्भितर बाहिरि(नि)यं सणियं तह कंचुगे वेव ॥७॥ उकच्छिय वेकच्छी संघाडी चेव खंधकरणी य। ओहोवहिमि एए अजाणं पन्नवीसं तु ॥८॥ नावनिभो उग्गह णंतगो उ सो गुज्झदेसरक्खवा । सो उ पमाणेणेगो घणमसिणो देहमासज ॥३१३॥ भा०। पट्टोवि होइ एको देहपमाणेण सो उ भाइयो । छायंतोग्गहणतं कडिबंधो मल्लकच्छा वा ॥४॥ अइढोरुगो उ ते दोवि गेहिउं छायए कडिविभागं। जाणुपमाणा चलणी असीविया लंखियाएक ॥५॥ अंतो नियंसणी पुण लीणतरा जाय अबजंघाओ। बाहिर खलुगपमाणा कडीय दोरेण पडिबद्धा ॥६॥ छाएइ अणुक्कमइ उरोगह कंचुओ य असीविओ य। एमेव य ओकच्छिय सा नवरं दाहिणे पासे ॥७॥ येकच्छिया उ पट्टो कंचुयमुकच्छियं व छाएइ। संघाडीओ चउरो तस्थ दुहत्था उक्सयंमि ॥८॥ दोणि निहत्थायामा भिक्खट्ठा एग एग उच्चारे। ओसरणे चउहत्या णिसन्नपच्छायणी मसिणा ॥९॥ खंधकरणी य चउहत्यवित्थडा वायविहुयरक्खट्ठा। खुजकरणी उ कीरइ रुववईणं कुडहहेउं ॥ ३२०॥ भा० संघाइमेअरो वा सरोवेसो समासो उवही। पासगबद्धमानुसिरो जं चाइन्नं तयं एयं॥०२७॥ जिणा बारसरूवाणि ॥२८॥ उक्कोसगो जिणाणं चउबिहो मनिमोवि एमेव। जहनो चउबिहो खलु इत्तो थेराण बुच्छामि ॥२९॥ उकोसो घेराणं चउधिहो छशिहो अ मज्झिमओ। जहनो चाउविहो खलु इत्तो अज्जाण बुच्छामि ॥३०१०॥ उक्कोसो अट्टविहो मजिप्रमओ होइ तेरसविहो उ। जहनो चउपिहोविय तेण परमुबग्गडं जाण ॥९॥ एगं पायं जिणकप्पियाण थेराण मत्तओ बिइओ। एयं गणणपमाणं पमाणमाणं अओ युच्छ । ६८० ॥ तिणि विहत्वी चउरंगुलं च भाणस्स मज्झिमपमाणं । इत्तो हीण जहवं अइरेगतरं तु उक्कोसं ॥१॥ इणमण्णं तु पमाणं नियगाहाराउ होइ निष्फन । कालपमाणपसिद्ध उदरपमाणेण य वयंति ॥२॥ उकोसतिसामासे तुगाउअदाणमागओ साहु । चाउरंगलूणभरियं जं पजत्तं तु साहुस्स ॥३॥ एयं चेव पमाण सविसेसयर अणुग्गहपवत्तं। कंतारे दुविभक्खे रोहगमाईसु भइयत्रं ॥४॥ बेयावचगरो वा नंदीभाणं घरे उवग्गहियं । सो खलु तस्स विसेसो पमाणजुत्तं तु सेसाणं ॥३२१॥ भा०। दिजाहि भाणपूरंति रिदिम कोवि रोहमाईसु। तत्थवि नस्सुवओगो सेसं कालं तु पडिकुट्ठो ॥५॥ पायस्स लक्खणमलक्खणं च भुजो इमं वियाणित्ता। लक्खणजुत्तस्स गुणा दोसा य अलक्खणस्स इमे ॥६॥ वई समचाउरंसं होइ, धिरं थावरं च वपणं चाहुंडं वायाइदं, भिनंच अधारणिजाई ॥७॥ संठियमि भवे लाभो, पतिट्ठा सुपतिहिते। नियणे कित्तिमारोग्गं, वनड्ढे नाणसंपया ॥८॥ हुंडे चरितभेदो सबलंमि य चिनविभमं जाणे। दुप्पत खीलसंठाणे गणे च चरणे चनो ठाणं ॥९॥ पउमुप्पले अकुसलं, सबणे वणमादिसे। अंतो बहिं च ददमि, मरणं तस्थ उ निदिसे ॥६९०॥ अकरंटगम्मि भाणे हत्थो उटुं जहा न घट्टेड। एयं जहन्नयमुहं वत्थु पप्पा विसालं तु ॥१॥ छकायरक्खणट्ठा पायग्गहणं जिणेहि पन्नत्तं। जे य गुणा संभोए हवंति ते पायगहणेचि ॥२॥ अतरंतबाम्बुड्ढासेहाएसा गुरु | असहुवग्गो। साहारणोग्गहाऽलदिकारणा पादगहणं तु ॥३॥ पत्ताबंधपमाणं भाणपमाणेण होइ कायव्वं । जह गंठिमि कमि कोणा चउरंगुला हुँति ॥४॥ पत्नट्ठवणं तह गुच्छओ य व पायपडिलेहणी या तिण्हंपि य प्पमाणं विहत्थि चउरंगुलं चेव ॥५॥ रयमादिरक्खणट्टा पत्तट्टवणं जिणेहिं पन्नत्तं (विऊ उवइसंति)। होइ पमजणहेतु गोच्छओ भाणवल्याण ॥६॥ पायपमजणहेउ केसरिया पाएं पाएं एकेका । गोच्छग पत्तट्ठवणं एकेक गणणमाणेणं ॥७॥ जेहिं सविया न दीसइ अंतरिओ तारिसा भवे पडला । तिमि व पंच व सन व कयलीगम्भोवमा मसिणा ॥८॥ गिम्हासु तिन्नि पडला चउरो हेमंत पंच वासासु। उकोसगा उ एए एत्तो पुण मज्झिमे बुच्छं॥९॥ गिम्हासु हुंति चउरो पंच य हेमंति छच्च वासासु। एए खलु मज्झिमया एत्तो उ जहन्नओ वुच्छं ॥७००॥ गिम्हासु पंच पडला छप्पुण हेमंति सत्त वासासु। तिविहंमि कालछेए पायावरणा भवे पडला ॥१॥ अड्ढाइजा हत्था दीहा छत्तीसअंगुले रुहा। वितियं पडिग्गहाओ ससरीराओ य निष्फळ ॥२॥ पुष्फफलोदयरयरेणुसउणपरिहारपायरक्खडा। लिंगस्स य संवरणे वेदोदयरक्खणे पडला ॥३॥ माणं तु रयत्ताणे भाणपमाणेण होइ निष्फर्म। पायाहिणं करेंत मज्झे चउरंगुलं कमइ ॥४॥ मूसयरजउकेरे वासे सिण्हा रए य रक्खट्ठा। होति गुणा रयताणे पादे पादे य एकेकं ॥५॥ कप्पा आयप. माणा अड्ढाइज्जा उ वित्थडा हत्था। दो चेव सोत्तिया उमिओयतइओ मुणेयको ॥६॥ तणगहणाणलसेवानिवारणा धम्मसुक्झाणट्ठा। दि8 कप्पग्महणं गिलाणमरणट्ठया चेव ॥ ७॥ घर्ण मुले विरं मझे, अग्गे महवजुत्तया। एगंगियं अमुसिरं, पोरायाम तिपासियं ॥८॥अप्पोल्लं मिउ पम्हं च, पडिपुन हत्थपुरिमं । रयणीपमाणमित्तं, कुजा पोरपरिग्गहं ॥३२२॥ भाग बत्तीसंगुलदीहं कउवीसं अंगुलाई दंडो से। अटुंगुला दसाओ एगयरं हीणमहियं वा ॥९॥ उण्णिय उट्टियं वावि, कंबलं पायपुंछणं । तिपरीयडमणिस्स९, रयहरणं तु धारए (३१० १२४० ओघनियुक्तिः - मुनि दीपरत्नसागर SAP Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ kath एग ॥७१०॥ आयाणे निक्खेवे ठाणनिसीयणतुयट्टसंकोए। पुर्व पमजणट्ठा लिंगट्ठा चेव स्यहरणं ॥१॥ चउरंगुलं विहत्थी एवं मुहर्णतगस्स उ पमाणं। वितियं मुहप्पमाणं गणणप. भाणेण एकेक ॥२॥ संपातिमरयरेणूपमजणट्ठा वयंति मुहपुत्ति। नासं मुहं च बंधइ तीए वसहि पमजंतो॥३॥ जो मागहओ पत्थो सविसेसतरं तु मत्तयपमाणं। दोसुवि दवग्गणं बासावासासु अहिगारो ॥४॥ सूचोदणस्स भरिओ दुगाउअहाणमागओ साहू। भुंजइ एगट्ठाणे एवं किर मत्तयपमाणं ॥ ५॥ संपाइमतसपाणा धूलिसरिक्खे य (सरक्खा) परिगलंतंमि। पुढविदगअगणिमास्यउद्धंसण लिसणा डहरे॥६॥ आयरिए य गिलाणे पाहुणए दुल्लभे सहसदाणे । संसत्तभत्तपाणे मत्तगपरिभोगऽणुन्नाओ॥७॥ एकमि उपाउम्गं गुरुणो बितिओग्गहे य पडिकुटुं। गिण्हइ संघाडेगो धुवलंभे सेस उभयपि ॥८॥ असई लाभे पुण मत्तए य सधे गुरूण गेण्हंति। एसेव कमो नियमा गिलाणसेहाइएसुपि ॥९॥ दुलभदवं व सिया घयाइ नै मत्तएमु गेण्हंति। लदेवि उपजत्ते असंघरे सेसगट्ठाए॥७२०॥ संसत्तभत्तपाणेसुवावि दो(द)सेसुमत्तए गहणं । पुर्व तु भत्तपाणं सोहेउ छुर्हति इयरेसु॥१॥ दुगुणो चउम्गुणो वा हत्थो चउरंस चोलपट्टो उ। थेरजुवाणाणट्ठा सण्हे थाईमि य विभासा ॥२॥ येउवि वाउडे वाविएऽहिए खदपजणणे चेय। तेसिं अणुग्गहत्था लिंगृदयट्ठा य पट्टो उ ॥३॥ संथारुत्तरपट्टो अड्ढाइजा य आयया हत्था। दोण्हं पिय वित्थारो हत्यो चउरंगुलं चेव ॥४॥ पाणादिरेणुसारक्खणट्ठया होति पट्टगा चउरो। छप्पइयरक्खणट्ठा तत्थुवार खोमियं कुजा ॥५॥ स्यहरणपहमेत्ता अदसागा किंचि वा समतिरेगा। एकगुणा उ निसेजा हत्थपमाणा सपच्छागा ॥ ६॥ वासोवग्गहिओ पुण दुगुणो उवही उ वासकप्पाई। आयासंजमहेउं एक्कगुणो ससओ होइ॥७॥जं पुण संपमाणाओ इसि हीणाहियं व लंभेजा। उभयपि अहाकल्यं न संघणा तस्स छेदो वा ॥८॥ दंडएलट्ठिया चेव, चम्मए चम्मकोसए। चम्मच्छेदण पट्टेवि, चिलिमिली धारए गुरू ॥९॥ जं चण्ण एवमादी तवसंजमसाहगं जइजणस्स। ओहाइरेगगहियं ओवग्गहियं वियाणाहि ॥७३०॥ लट्ठी आयपमाणा चिलट्टि चाउरंगुलेण परिहीणा। दंडो बाहुपमाणो विदंडओ कक्खमेत्तो उ॥१॥ एकपर्व पसंसंति, दुपवा कलहकारिया। तिपटा लाभसंपन्ना, चउपचा मारणंतिया ॥२॥ पंचपनाउ जा लट्ठी, पंथे कलहनिवारणी। छनपवा य आयंको, सत्तपत्रा अरोगिया ॥३॥ चउरंगुलपइट्ठाणा, अटुंगुलसमूसिया। सत्तपत्रा उजा लट्ठी, मत्ता(ता)गयनिवारिणी ॥४॥ अट्ठपया असंपत्ती, नवपचा जसकारिया। बसपा उ जा लट्ठी, तहियं सव्वसंपया ॥५॥ वंका कीटक्सइया चित्तलया पोडाय दड्ढा या लट्ठीय उम्मसुक्का बजेयता पयत्तेणं ॥ ६॥ विसमेसु य पञ्चे, अनिष्फनेसु अच्छिम् । फुडिया फरुसवना य, निस्सारा चेव निंदिया॥७॥ तणूई पत्रमजोसु, धूला पोरेसुगंठिला। अथिरा असारजरढा, साणपाया य निदिया॥ ८॥ घणवद्धमाणपत्रा निदा वनेण एगवन्ना य। घणमसिणवट्टपोरा लट्ठि पसत्था जइजणस्स ॥९॥ दुपसुसाणसावयचिक्खलविसमेसु उदगमझेसु । लट्ठी सरीररक्खातवसंजमसाहिया भणिया ॥७४० ॥ मोक्खट्ठा नाणाई तणू तयट्ठा तयट्ठिया लट्ठी। विठो जहोवयारो कारणतकारणेसुतहा ॥१॥ जं जुबइ उवकारे उवगरणं तं सि होइ उषगरणं । अतिरेग अहिगरणं अजतो अजयं परिहरंतो ॥२॥ उग्गमउप्पायणासुद्ध, एसणादोसवजियं। उबहिं धारए भिक्खू, पगासपडिलेहणं ॥३॥ उम्गमउपायणासुद्धं, एसणादोसवज्जियं। उवहिं धारए भिक्खू. जोगाणं साहणट्ठया ॥४॥ उम्गमउप्पायणासुद्धं, एसणादोसवजिय। उवहिं धारए भिक्खू, अप्पदुट्ठो अमुच्छिओ ॥५॥ अज्झत्थविसोहीए उवगरणं बाहिर परिहरंतो। अपरिग्गहीति भणिओ जिणेहिं ताकदं. सीहिं॥६॥ उम्गमउप्पायणासुदं, एसणादोसबज्जियं। उवहिं धारए भिक्खू, सदा अज्झत्थसोहिए ॥७॥ अज्झप्पविसोहीए जीवनिकाएहिं संथडे लोए। देसियमहिंसगतं जिणेहि लोकदसीहिं ॥८॥ उचालियंमि पाए इरियासमियस्स संकमट्ठाए। वावज्जेज कुलिंगी मरिज तं जोगमासज ॥९॥न य तस्स तन्निमित्तो बंधो सुहुमोवि देसिओ समए। अणवज्जो उपओगेण सत्रभावेण सो जम्हा ।।७५०॥ नाणी कम्मस्स खयट्ठमुडिओऽणुट्ठितो य हिंसाए। जयइ असद अहिंसस्थमुडिओ अवहओ सो उ॥१॥ तस्स असंचेअयओ संचेययतो य जाई सत्ताई। जोगं पप्प विणस्संति नस्थि हिंसाफलं तस्स ॥२॥ जो य पमत्तो पुरिसो तस्स य जोगं पहुच जे सत्ता। वावजंते नियमा तेर्सि सो हिंसओ होइ ॥३॥ जेवि न वावजंती नियमा तेसिपि हिंसओ सो उ। सावजो उ पओगेण सवभावेण सो जम्हा ॥४॥ आया चेव अहिंसा आया हिंसत्ति निच्छओ एसो। जो होइ अप्पमत्तो अहिंसओ हिंसओ इयरो॥५॥ जो य पओगं जुंज हिंसत्थं जो य अन्नभावेणं । अमणो उ जो पउंजइ इत्थ विसेसो महं बुत्तो ॥६॥ हिंसस्थं जुजंतो सुमहंदोसो अणंतर इयरो । अमणो य अप्पदोसो जोगनिमित्त च विन्नेओ॥७॥ रत्तो वा दुट्टो वा मूढो वा जं पउंजइ पओगं । हिंसावि तत्थ जायइ तम्हा सो हिंसओ होइ ॥८॥ न य हिंसामित्तेणं सावजेणावि हिंसओ होइ । सुदस्स उ संपत्ती अफला भणिया जिणवरेहिं ॥९॥ जा जयमाणस्स भये विराहणा सुत्तविहिसमग्गस्स। सा होइ निजरफला अज्झस्थविसोहिजुत्तस्स ॥७६०॥ परमरहस्समिसीणं समत्तगणिपिडगझरितसाराणं । परिणामियं पमाणं निच्छयमवलंबमाणाणं ॥१॥ निच्छयमवलंवंता निच्छयओ निच्छयं अयाणता । नासंति चरणकरणं बाहिरकरणालसा केई ॥२॥ एवमिणं उवगरणं १२४१ ओपनियुक्तिः - मुनि दीपरत्नसागर 5 Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ घारेमाणो विहीइ सुपरिसुदं। हबति गुणाणायतणं अविहि असुदे अणाययणं // 3 // सावजमणायतणं असोहिठाणं कुसीलसंसरगी। एगट्ठा होति पदा एते विवरीय आययणा // 4 // बजेनु अणायतणं आयतणगवेसणं सया कुजा। तं तु पुण अणाययणं नायत्रं दधभावेण // 5 // दवे रुहाइघरा अणायतणं भावओ दुविहमेव / लोइय लोगुत्तरियं नहियं पुण लोइयं इणमो॥६॥खरिया तिरिक्खजोणी तालायर समण माण सुसाणे। बग्गुरिय वाह गुम्मिय हरिएस पुलिंद मच्छंधा // 7 // खणमवि न खमं गंतुं अणायतणसेवणा सुविहियाणं। जंगधं होइ वणं तंगधं (घो) मारुओ याइ // 8 // जे अन्ने एवमादी लोगंमि दुर्गुछिया गरहिया य। समणाण व समणीण व न कप्पई तारिसे वासो // 9 // अह लोउनरियं पुणऽणायतणं भावतो धमुणेयई। जे संजमजोगाणं करेंति हाणि समस्थावि // 770 // अंबस्स य निबस्स य तुण्डंपि समागयाई मूलाई। संसम्मीएं चिट्ठी अंबो निबत्तणं पत्तो // 1 // सुचिरपि अच्छमाणो नलथयो उमछुवाङमज्झमि। कीस न जायइ महुरो जइ संसग्गी पमाणं ते? // 2 // सुचिरपि अच्छमाणो वेरुलिओ कायमणीय ओमीसे। न उवेइ कायभावं पाहन्नगुणेण नियएण // 3 // भावुगअभावुगाणि य लोए दुविहाई हुंति दवाई। वेरुलिओनस्थ मणी अभावुगी अनदवेणं // 4 // ऊणगसयभागेर्ण बिंचाई परिणमंति सम्भायं। लवणागराइसु जहा बजेह 121 कसीलसंसगीं // 5 // जीवो अणाइनिहणो तम्मावणभाविओ य संसारे। खिप सो भाविजइमेलणदासाणुभावणं // 6 // जह नाम महरसलिलं सागरसलिलंक प्रणियभावं मेलणदोसाणुभावेणं // 7 // एवं सु सीलमंतो असीलमंतेहिं मेलिओ संतो। पावइगुणपरिहाणी मेलणदोसाणुभावेणं ॥८॥णाणस्स दंसणस्स य चरणस्स य जत्थ होद उवघातो। वजेजऽवजभीरू अणाययणवजओ खिप्पं // 9 // जत्थ साहम्मिया बहवे, भिन्नचित्ता अणारिया। मूलगुणपडिसेवी, अणायनणं तं वियाणाहि // 780 // जत्थ साहम्मिया बहवे. भिनचित्ता अणारिया। उत्तरगुणपडिसेवी, अणायतणं तं वियाणाहि // 1 // जत्थ साहम्मिया बहवे, भिन्नचित्ता अणारिया। लिंगवेसपडिच्छन्ना, अणायतणं तं बियाणाहि // 2 // आययणंपिय दुविहं दवे भावे य होइ नाया। दमि जिणधराई भावमि य होइ तिविहं तु // 3 // जत्थ साहम्मिया वहये, सीलमंता बहुस्सुया। चरित्तायारसंपन्ना, आययणं ने बियाणाहि // 4 // सुंदरजणसंसम्गी सीलदरिदपि कुणइ सीलड्ढे / जह मेरुगिरीजायंतणंपि कणगत्तणमुवेइ // 5 // एवं खलु आवयणं निसेवमाणस्स हुज साहुस्स। कंटगपहे व छलणा S रागहोसे समासज // 6 // पडिसेवणा य दुविहा मूलगुणे चेव उत्तरगुणे य / मूलगुणे छट्ठाणा उत्तरगुणि होइ तिगमाई // 7 // हिंसाऽलिय चोरिके मेहुल परिग्गहे य निसिभने। इय छट्टाणा मूले उमामदोसा य इयरंमि॥८॥ पडिसेवणा मइलणा भंगो य विराहणा य सलणा य। उवधाओ य असोही सवलीकरणं च एगट्ठा ॥९॥छट्ठाणा तिगठाणा एगतरे दोमु, वावि छलिएण। कायथा उ विसोही सुद्धा दुक्खक्खयट्ठाए // 79 // आलोयणा उ दुविहा मूलगुणे चेव उत्तरगुणे य। एकेका चउकना दुवग्ग सिद्धावसाणा य // 1 // आलोयणा वियडणा सोही सम्भावदायणा चेव। निंदण गरिह विउदृण सद्धरणंति एगट्ठा // 2 // एत्तो संलुद्धरण बुच्छामी धीरपुरिसपत्नं। जंनाऊण सुविहिया करति दुक्सक्खयं धीरा // 3 // वा दुबिहा य होइ सोही दवसाही य भावसोही य। दमि वत्थमाई भावे मूलत्तरगणेस // 4 // छत्तीसगणसमझागएण तेणवि अवस्स कायवा। परसक्खिया विसोटी सरतति लेणं // 5 // जह सुकुसलोऽवि विजो अन्नस्स कहेइ अप्पणी वाहिं। सोऊण तस्स विजस्स सोवि परिकम्ममारभइ // 6 // एवं जाणतेणवि पायच्छित्तविहिमप्पणो सम्म। तहविय पागडलरयं आलोएतवयं होई // 7 // गंतूण गुरुसकास काऊण य अंजलिं विणयमूलं / सवेण अत्तसोही कायवा एस उवएसो ॥८॥नहु सुज्झई ससल्लो जह भणियं सासणे धुयरयाणं / उद्धरियसबसलो मुज्झइ जीवो धुयकिलेसो // 9 // सहसा अण्णाणेण व भीएण व पिल्लिएण व परेण। बसणेणायंकेण व मूढेण व रागदोसेहिं / / 800 // जंकिंचि कयमकजं न हुने दलब्भा पुणो समायरिउं। तस्स पडिकमियावं न हुतं हिपएण वोढवं // 1 // जह बालो जपतो कजमकर्ज व उजुयं भणइ / तं तह आलोएजा मायामयविप्पमुको उ॥२॥ तस्स य पायच्छित्तं जं मम्गविऊ गुरू उवइसंति। तं तह आयरियां अणवत्थपसंगमीएणं // 3 // नवि तं सत्यं च विसं व दुप्पउत्तो व कुणड वेयालो। जंतं व दुप्पउत्तं सप्पो व पमाइणो कुदो // 4 // जं कुणइ भावसाई अणुड़ियं उत्तमट्ठकालंमि। दुलभबोहीयत्तं अणतसंसारियत्तं च // 6 // तो उद्धरंति गारवरहिता मूलं पुणब्भवलयाणं / मिच्छादसणसङ मायासलं नियाणं च॥६॥ उदरियसबसलो आलोइयनिंदिओ गुरुसगासे। होइ अतिरेगलहुओ ओहरियभरोष भारवहो // 7 // उहरियसबसल्डो भत्तपरित्राएँ धणियमाउत्तो। मरणाराहणजुनो चंदग-7 वेज्ज्ञ समाणेइ ॥८॥आराहणाइ जुत्तो सम्म काऊण सुविहिओ कालं। उक्कोसं तिनि भवे गंतूण लभेज निचाणं // 9 // एसा सामायारी कहिया मे धीरपुरिसपन्नत्ता। संजमतवड्ढगाणं निग्गंधाणं महरिसीण // 810 // एवं सामायारि जूंजता चरणकरणमाउत्ता। साहू खवंति कम्मं अणेगभवसंचियमणतं // 1 // एसा अणुग्नहत्था फुडवियडविसुद्धवंजणाइन्ना। इकारसहिं सएहिं एगणवन्नेहिंसंमत्ता॥८१२॥ भाष्यगाथाः३२२ प्रक्षिप्ता२७॥इति श्रीओघनियुक्तिः शिलोत्कीर्णजैनागमे आगममंदिरे उत्कारिता संवत 1999 मार्गशीर्पशुत्रयोदश्यां। मुनि दीपरत्नसागर 1242 ओघनियुक्तिः -