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॥६७०॥ एए चेव दुबालस मत्तग अइरेग चोलपट्टो य। एसो क्उहसविहो उपही पुण येरकप्पम्मि ॥१॥ जिणा पारसरूवाई. येरा चउहसरूविणो। अजाणे पनवीसं तु, | अओ उड़दं उवग्गहो ॥२॥ निलेव य पच्छागा पडिग्गहो पेव होइ उक्कोसो। गुच्छग पत्तगठवणं मुहर्णतग केसरि जहनो ॥३॥ पडलाइ रयत्नाणं पत्ताबंधो य चोलपट्टो य। स्यहरण मत्तोऽविय घेरार्ण छपिहो मझो ॥४॥ पत्तं पत्ताबंधो पायट्ठवर्ण च पायकेसरिया। पडलाइ स्यत्ताणं च गोच्छओ. पायनिजोगो ॥५॥ तिन्नेव य पच्छागा रयहरणं चेव होइ मुहपत्नी। तत्तो य मत्तगो खलु उदसमो कमढगो वेव ॥६॥ उम्गह णतगपट्टो अरोरुग चलणिया य बोदवा। अम्भितर बाहिरि(नि)यं सणियं तह कंचुगे वेव ॥७॥ उकच्छिय वेकच्छी संघाडी चेव खंधकरणी य। ओहोवहिमि एए अजाणं पन्नवीसं तु ॥८॥ नावनिभो उग्गह णंतगो उ सो गुज्झदेसरक्खवा । सो उ पमाणेणेगो घणमसिणो देहमासज ॥३१३॥ भा०। पट्टोवि होइ एको देहपमाणेण सो उ भाइयो । छायंतोग्गहणतं कडिबंधो मल्लकच्छा वा ॥४॥ अइढोरुगो उ ते दोवि गेहिउं छायए कडिविभागं। जाणुपमाणा चलणी असीविया लंखियाएक ॥५॥ अंतो नियंसणी पुण लीणतरा जाय अबजंघाओ। बाहिर खलुगपमाणा कडीय दोरेण पडिबद्धा ॥६॥ छाएइ अणुक्कमइ उरोगह कंचुओ य असीविओ य। एमेव य ओकच्छिय सा नवरं दाहिणे पासे ॥७॥ येकच्छिया उ पट्टो कंचुयमुकच्छियं व छाएइ। संघाडीओ चउरो तस्थ दुहत्था उक्सयंमि ॥८॥ दोणि निहत्थायामा भिक्खट्ठा एग एग उच्चारे।
ओसरणे चउहत्या णिसन्नपच्छायणी मसिणा ॥९॥ खंधकरणी य चउहत्यवित्थडा वायविहुयरक्खट्ठा। खुजकरणी उ कीरइ रुववईणं कुडहहेउं ॥ ३२०॥ भा० संघाइमेअरो वा सरोवेसो समासो उवही। पासगबद्धमानुसिरो जं चाइन्नं तयं एयं॥०२७॥ जिणा बारसरूवाणि ॥२८॥ उक्कोसगो जिणाणं चउबिहो मनिमोवि एमेव। जहनो चउबिहो खलु इत्तो थेराण बुच्छामि ॥२९॥ उकोसो घेराणं चउधिहो छशिहो अ मज्झिमओ। जहनो चाउविहो खलु इत्तो अज्जाण बुच्छामि ॥३०१०॥ उक्कोसो अट्टविहो मजिप्रमओ होइ तेरसविहो उ। जहनो चउपिहोविय तेण परमुबग्गडं जाण ॥९॥ एगं पायं जिणकप्पियाण थेराण मत्तओ बिइओ। एयं गणणपमाणं पमाणमाणं अओ युच्छ । ६८० ॥ तिणि विहत्वी चउरंगुलं च भाणस्स मज्झिमपमाणं । इत्तो हीण जहवं अइरेगतरं तु उक्कोसं ॥१॥ इणमण्णं तु पमाणं नियगाहाराउ होइ निष्फन । कालपमाणपसिद्ध उदरपमाणेण य वयंति ॥२॥ उकोसतिसामासे तुगाउअदाणमागओ साहु । चाउरंगलूणभरियं जं पजत्तं तु साहुस्स ॥३॥ एयं चेव पमाण सविसेसयर अणुग्गहपवत्तं। कंतारे दुविभक्खे रोहगमाईसु भइयत्रं ॥४॥ बेयावचगरो वा नंदीभाणं घरे उवग्गहियं । सो खलु तस्स विसेसो पमाणजुत्तं तु सेसाणं ॥३२१॥ भा०। दिजाहि भाणपूरंति रिदिम कोवि रोहमाईसु। तत्थवि नस्सुवओगो सेसं कालं तु पडिकुट्ठो ॥५॥ पायस्स लक्खणमलक्खणं च भुजो इमं वियाणित्ता। लक्खणजुत्तस्स गुणा दोसा य अलक्खणस्स इमे ॥६॥ वई समचाउरंसं होइ, धिरं थावरं च वपणं चाहुंडं वायाइदं, भिनंच अधारणिजाई ॥७॥ संठियमि भवे लाभो, पतिट्ठा सुपतिहिते। नियणे कित्तिमारोग्गं, वनड्ढे नाणसंपया ॥८॥ हुंडे चरितभेदो सबलंमि य चिनविभमं जाणे। दुप्पत खीलसंठाणे गणे च चरणे चनो ठाणं ॥९॥ पउमुप्पले अकुसलं, सबणे वणमादिसे। अंतो बहिं च ददमि, मरणं तस्थ उ निदिसे ॥६९०॥ अकरंटगम्मि भाणे हत्थो उटुं जहा न घट्टेड। एयं जहन्नयमुहं वत्थु पप्पा विसालं तु ॥१॥ छकायरक्खणट्ठा पायग्गहणं जिणेहि पन्नत्तं। जे य गुणा संभोए हवंति ते पायगहणेचि ॥२॥ अतरंतबाम्बुड्ढासेहाएसा गुरु | असहुवग्गो। साहारणोग्गहाऽलदिकारणा पादगहणं तु ॥३॥ पत्ताबंधपमाणं भाणपमाणेण होइ कायव्वं । जह गंठिमि कमि कोणा चउरंगुला हुँति ॥४॥ पत्नट्ठवणं तह गुच्छओ य व पायपडिलेहणी या तिण्हंपि य प्पमाणं विहत्थि चउरंगुलं चेव ॥५॥ रयमादिरक्खणट्टा पत्तट्टवणं जिणेहिं पन्नत्तं (विऊ उवइसंति)। होइ पमजणहेतु गोच्छओ भाणवल्याण
॥६॥ पायपमजणहेउ केसरिया पाएं पाएं एकेका । गोच्छग पत्तट्ठवणं एकेक गणणमाणेणं ॥७॥ जेहिं सविया न दीसइ अंतरिओ तारिसा भवे पडला । तिमि व पंच व सन व कयलीगम्भोवमा मसिणा ॥८॥ गिम्हासु तिन्नि पडला चउरो हेमंत पंच वासासु। उकोसगा उ एए एत्तो पुण मज्झिमे बुच्छं॥९॥ गिम्हासु हुंति चउरो पंच य हेमंति छच्च वासासु। एए खलु मज्झिमया एत्तो उ जहन्नओ वुच्छं ॥७००॥ गिम्हासु पंच पडला छप्पुण हेमंति सत्त वासासु। तिविहंमि कालछेए पायावरणा भवे पडला ॥१॥ अड्ढाइजा हत्था दीहा छत्तीसअंगुले रुहा। वितियं पडिग्गहाओ ससरीराओ य निष्फळ ॥२॥ पुष्फफलोदयरयरेणुसउणपरिहारपायरक्खडा। लिंगस्स य संवरणे वेदोदयरक्खणे पडला ॥३॥ माणं तु रयत्ताणे भाणपमाणेण होइ निष्फर्म। पायाहिणं करेंत मज्झे चउरंगुलं कमइ ॥४॥ मूसयरजउकेरे वासे सिण्हा रए य रक्खट्ठा। होति गुणा रयताणे पादे पादे य एकेकं ॥५॥ कप्पा आयप. माणा अड्ढाइज्जा उ वित्थडा हत्था। दो चेव सोत्तिया उमिओयतइओ मुणेयको ॥६॥ तणगहणाणलसेवानिवारणा धम्मसुक्झाणट्ठा। दि8 कप्पग्महणं गिलाणमरणट्ठया चेव ॥ ७॥ घर्ण मुले विरं मझे, अग्गे महवजुत्तया। एगंगियं अमुसिरं, पोरायाम तिपासियं ॥८॥अप्पोल्लं मिउ पम्हं च, पडिपुन हत्थपुरिमं । रयणीपमाणमित्तं, कुजा पोरपरिग्गहं ॥३२२॥ भाग बत्तीसंगुलदीहं कउवीसं अंगुलाई दंडो से। अटुंगुला दसाओ एगयरं हीणमहियं वा ॥९॥ उण्णिय उट्टियं वावि, कंबलं पायपुंछणं । तिपरीयडमणिस्स९, रयहरणं तु धारए (३१० १२४० ओघनियुक्तिः -
मुनि दीपरत्नसागर
SAP