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________________ रमसगाइ यनवि वारे नवि य जाणुपट्टणया।दो हत्या य अबाहा नियमा साहुस्स साहो ॥८॥ भुत्ताभुत्तसमुत्था भंडणदोसा य वजिआ एवं। सीसंतेण व कुड्डं तु हत्यं मोत्तूण ठायंति | ॥९॥ पुष्वृदिडो उ विही इहवि वसंताण होइ सो चेव । आसज तिथि वारे निसन आउंटए सेसा ॥२३०॥ आवस्सिअमासजं नीइ पमजंतु जाच उच्छ। सागारिय तेणुब्भामए य संका नउ परेणं ॥१॥नस्थि उ पमाणजुत्ता खुइडलिया चेव वसति जयणाए। पुरहत्य पच्छ पाए पमज्ज जयणाए निग्गमणं॥२॥ उस्सीस भायणाई मजो विसमे अहाकडा उवरि। ओवग्गहिओ दोरो तेण य हासिलवणया॥३॥ सुड्डलियाए असई विच्छिन्नाए उमालणा भूमी। पिलधम्मो चारभहा साहरणेगंतकडपोती॥४॥ असई य चिलिमिलीए भए व पच्छन्न भूइए लक्खे। आहारा नीहारो निग्गमणपवेस बजेह ॥५॥ पिंडेण मुत्तकरणं आसज निसीहियं चन करिति । कासण न पमजणयानय हत्यो जयण वेरति॥६॥वसहित्ति। पत्ताण खेत्त जयणा काऊणावस्सयं तत्तो ठवणाापडणीयपत्त(सम्मत्त)मामगभग सबे य अचियत्ते॥आचाहिरगामे बुच्छा उजाणे ठाणवसहिपडिलेहा। इहरा उ गहिअभंडा बसही वाघाय उइडाहो ॥१०४ाभा०। मइल कुचेले अभंगिएडए साण सुज वडमे या। एए उ अप्पसत्या हवंति खित्ताउ निंताणं ॥५॥ नारी पीवरगम्भा वड्डकुमारी य कट्ठभारो य। कासा न साहेति॥६॥ चक्रयरंमि भमाडो भक्खामारो य पंडुरंगमि। तच्चभिरुहिरपडणं चोडियमसिए धुर्व मरणं॥७॥ जंबुज चास मउरे भारदाए तहेव नउले य। दंसणमेव पसथं पयाहिणे सवसंपत्ती ॥८॥ नंदी तुरं पुण्णस्स दंसर्ण संखपडहसहो या भिंगार छत्त चामर धयप्पडागा पसत्थाई ॥९॥ समणं संजय दंत, सुमणं मोयगा दहिं । मीणं घंटं पडागं च, सिद्धमत्यं विआगरे ॥११०॥ तम्हा पडिलेहिल दीवियंमि पुगय असइ सारविए । फड्डयफापवेसो कहणा न य उट्ट इयरेसिं ॥१॥ आयरियअणुट्टाणे ओहावण बाहिरा यऽदक्खिण्णा। साहणय वंदणिजा अणालचंतेऽचि आलावो ॥२॥ वुड्ढा निरोक्यारा अग्गहणमलोगजत्त बोच्छेओ। तम्हा खलु आलवणं सयमेव उ तत्थ धम्मकहा ॥३॥ वसहिफलं धम्भकहा कहणअलबी उ सीस वावारे। पच्छा अईति वसहिं तत्य य भुजो इमा जयणा ॥४॥ पडिलेहण संघारग आयरिए तिण्णि सेस उ कमेण । विटिअउक्खेवणया पविसइ ताहे य धम्मकही ॥५॥ उबारे पासवणे लाउय निावणे य अच्छणए। पुट्ठिय तेसि कहेऽकहिए आयरणवोच्छेओ॥६॥ भत्तहिआ व खवगा अमंगलं चोयए जिणाहरणं । जइ खमगा बंदता दायंतियरे विहिं वोच्छं ॥७॥ सवे दटुं उग्गाहिएण ओयरिअ भयं समुप्पजे। तम्हा विदु एगो वा उम्गाहिअ चेइए वंदे ॥८॥ सदाभंगोऽणुम्गाहियंमि ठवणाइया य दोसा उ । घरचेइअ आयरिए कइवयगमणं च गणं च ॥९॥ खेत्तंमि अपुर्वमी तिट्ठाणट्ठा कहिति दाणाई। असई य चेइयाणं हिंडता चेव दायंति ॥१२०॥ दाणे अभिगमसद्धे सम्मत्ते खलु तहेव मिच्छत्ते। मामाए अचियत्ते कुलाई दायंति गीयत्या ॥१॥ कयउस्सग्गामंतण पुच्छणया अकहिएगयरदोसा। ठवणकुलाण यठवणा पविसइ गीयत्यसंघाडो॥२॥ गच्छंमि एस कप्पो वासावासे तहेव उडुबुद्ध। गामागरनिगमेसुं अइसेसी ठावए सड्ढी ॥३॥ मा० किं कारणं चमढणा दवखओ उग्गमोऽविय न सुज्झे। गच्छमि निययकजे आयरियगिलाणपाहुणए ॥२३८॥ पुधिपि वीरसुणिया छिका छिक्का पहावए तुरियं । सा चमढणाएं सि(खि)मा संतंपिन इच्छए घेर्नु॥४ाभा०ाएवं सड्ढकुलाई चमढिजताई ताई अण्णेहिं । निच्छंति किंचि दाउं संतंपि तयं गिलाणस्स ॥५॥दवखएण पंतो इत्थिं घाएज कीस ते दिण्णं ?। महो हट्टपहट्टो करेज अनंपि समणट्ठा ॥६॥ आयरिअणुकंपाए गच्छो अणुकंपिओ महाभागो। गच्छाणुकंपयाए अयोच्छित्ती कया तित्थे ॥७॥ परिहीणं तं दवं चमढिजंतं तु अण्णमण्णेहिं। परिहीणमि य दवे नत्थि गिलाणस्स जं जोगं ॥८॥चत्ता होंति गिलाणा आयरिया बालवुड्ढसेहा या समगा पाहुणगाविय मजायमइक्कमंतेणं ॥९॥ सारक्खिया गिलाणा आयरिया बालबुड्ढसेहा या खमगा पाहुणगाविय मजायं ठाययंतेणं ॥१३०॥ मा०।जड्डे महिसे चारी आसे गोणे अतेसि जावसिआ। एएसि पडिवक्से चत्तारि उसंजया हुंति॥२३९॥जड्डोज वातं वा समारं महिसिओ महरमासो।गोणो सुगंधद इच्छह एमेव साहवि ॥१॥भा०। एवं च पुणो ठविए अप्पविसंते भवे इमे दोसो। वीसरण संजयाणं विसुक्ख गोणो अ आरामो ॥२॥अलस घसिरं सुविरं खमगं कोहमाणमायलोहिाई। कोऊहलपडिबद्धं वेयावर्च न कारिजा ॥१३३॥ भागता अच्छइ जा फिडिओ सइकालो अलस सोविरे दोसा। गुरुमाई तेण विणा विराहणुस्सक ठवणाई ॥०१७॥ अप्पत्ते अविलंभो हाणी ओसकणाइ अइभद्दे । अणहिंडतो अचिरं न लहड जंकिंचि वा इ॥१८॥ गिण्हामि अप्पणो ता पजत्तं तो गुरूण पच्छा उ। चित्तूण तेसि पच्छा सीअलओसक्कमाईओ॥१९॥ परिआविजइ खवगो अह गिण्हइ अप्पणो इअरहाणी ॥ अविदिन्ने उमपाणाइ बद्धो न उ गच्छई पुणो जं च। माई भगभोई पतेण उ अप्पणी छाए ॥२०॥ ओहासह खीराई विजंतं वा न वारई लुद्धो। जे अगवेसणदोसा एगस्स य ते उलुद्धस्स ॥२१॥ नडमाई पिच्छतो ता अच्छद जाव फिट्टई वेला।सुत्तत्थे पडिबद्धो ओसवणुसकमाईआ॥१०२२॥ एयदोसविमुकं कड जोगिं नायसीलमाया गरुमत्तिमं विणीय वेयावर्चतुकारेजा॥१३४॥ भासाहतिय पिअधम्मा एसणदोसे अभिग्गहबिसेसे। एवं तु विहिम्हणे दर्ष वदति गीयत्या ॥५॥ दाप्पमाण51 १२२७ ओघनियुक्तिः - मुनि दीपरत्नसागर
SR No.003942
Book TitleAagam Manjusha 41A Mulsuttam Mool 02 A OhNijjutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Sagaranandsuri
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages25
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_oghniryukti
File Size18 MB
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