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हिसाययणेसु बट्टई नम्स नणु परीणामो। दुट्टो न य ते लिंग होइ विसुदस्स जोगस्स ॥ ९॥ तम्हा सया विसुदं परिणामं इच्छया सुविहिएणं। हिसाययणा सवे परिहरिया पयत्तेणं
॥ वजेमिनि परिणओं संपत्तीए विमुथई वेरा। अविहंतोऽविन मुजइ किलिट्ठभावोत्ति वा तस्स ॥१॥ पदमबिया गिलाणे नइए सण्णी चउत्थ साहम्मी। पंचमियमि य बसही 18 छटे ठाणदिओ होइ॥२॥ एहिअपारनगुणा दुन्नि य पुच्छा दुवे य साहम्मी। तत्येकका दुबिहा चउहा जयणा दुहेकेका ॥३॥ पटिदारगाहा। इहलोइआ पविनी पासणया तेसि E संखी सदो। परलोइआ गिलाणे चेइय वाई य पहिणीए ॥ ४॥ अविहीपुच्छा अन्थिन्थ संजया ? नन्धि. तत्थ समणीओ। समणीसु अता नत्थी संका य किसोरवडवाए ॥५॥
सड्ढेसु चरिअकामो संकाचारी य होइ सढीसुं । चेइयघरं व नन्थिह नम्हा उ विहींइ पुच्छेजा ॥६॥ गामवार-भासे अगडसमीवे महाणमझे वा। पुच्छेज सयंपक्वा विआलणे नम्स परिकहणा ॥७॥ निम्संकि यूभाइसु काउं गच्छेज चेइअघर तु। पच्छा साहुसमीवं नेऽवि अ संभाइया तस्स ॥८॥ निक्सिविकिइकम्मं दीवणऽणाबाह पुच्छण सहाओ। गेरपण विसजणया अविसजुवएस दावणया ॥९॥ पुणरवि अयं बुभिजा अयाणगा मो स भणिज संचिरसे। उभओऽवि अयाणंना वेज पुच्छंति जयणाए ॥७॥ गमणे पमाण उवगरण सउण वावार ठाण उचएसो। आणण गंधुदगाई उट्ठमणुढे अजे दोसा ॥ १॥ पढमावियारजोगं नाउँ गच्छे बिडजए दिण्णे। एमेव अण्णसंभोइयाण अण्णाइ वसहीए॥२॥
णगधुवणऽत्थर तस्स नियग वा ॥३॥ सारवण साहाय पागड धुवण य सुइ समायारा। अहावभल समाहा सहम्स आसास पडिअरणं ॥४॥ सयमेव दिट्ठपाडी करेइ पुच्छद अयाणओ वेनं। दीवण दवाइंमि अ उवएसो जाव लंभो उ॥५॥ कारणि हट्ट पेसे गमणऽणुलोमेण नेण सह गच्छे। निकारणि खरंटण बिडज संघाडए गमणं ॥६॥ समणिपवेसि निसीहिअ नुवावजण अदिट्ठ परिकहणं । थेरीतमणिविभासा निमंतऽणाबाहपुच्छा य॥ ७॥ सिटुमि सह पहिणीयनिग्गह अब अपणहि पेसे। उबएसो दावणया गेलन्ने वेजपुच्छा अ॥८॥ तह चेव दीवण चउक्कएण अन्नत्थ वसहि जा पढमा। नह चेवेगाणीए आगाढे चिलिमिली नवरं ॥९॥ निकारणि चमढण कारणिों नेइ अहव अप्पाहे । गमणित्थि मीससंबंधिवजिए असइ एगागी ।। ८०॥ एगबहू समणुण्णाण वसहीए जो य एग अमणुनो। अमणुन्नसंजईण य अण्णहिं एक चिलिमिलीए ॥१॥ विहिपुच्छाएं पवेसो सण्णिकुले चेइ पुच्छ साहम्मी। अन्नत्थ अस्थि इह ते गिलाणकजे अहिवडंनि ॥२॥ सबंपि न घेत्त निमंतणे जं नहि गिलाणम्स। कारणि
ज्म य विउलं दवं तु पाउगं ॥३॥ जाएं दिसाए गिलाणो ताएं दिसाएउ होइ पडियरणा। पुत्रभणिों गिलाणो पंचण्हवि होइ जयणाए॥८४॥ नेसि पडिछण पुच्छण सुठुकर्य अन्थि नत्थि वा लंभो । खम्गूडे विलओलणदाणमणिच्छे तहिं नणं ॥३५॥ भावा पंतं असर करिना निवेयण गहण अहव समणुन्ना। खम्गूड देहि नं चित्र कमढग तम्स - प्पणो पाए॥६॥ कि कीरउ ? जं जाणसि अतरंति सढेत्ति वच तं भंते!। निम्मा न करेंती करणमणालोइय सहाओ॥७॥ उभओ निम्मेसुं फासुपडोआर इयरपडिसेहो। परिमिअदाण विसजण सच्छंदोद्धसणा गमणं ॥८॥ एस गमो पंचण्हवि होइ नियाइण गिलाणपडियरणे। फासुअकरण निकायण कहण पडिकामणा गमणं ॥९॥संभावणेऽविसहो देउलि. अखरंट जयण उपएसो। अविसेस निण्हगाणवि न एस अम्हं तो गमणं ॥४०॥ तारेहि जयणकरणे अमुर्ग आणेहऽकप्प जणपुरओ। नवि एरिसया समणा जयणाएं नओ अवक्कमण
डेआ तेर्ण। साहम्मिअकजबहुत्तया य सुचिरेणविन गच्छे ॥२॥ तित्यगराणा चायग! दिट्टनो भोइएण नरवडणा। जनुग्गय भोडअ दंडिए अ घरदार पुषकए ॥३॥रण्णो तणघरकरणं सचिलकम्मं तु गामसामिस्स । दोहंपि दंडकरणं विवरीयऽण्णेणवणओ उ ॥४॥ जह नरवहणो आणं अहकमंता पमायदोसणं । पार्वति बंधवहरोहछिनमरणावसाणाई ॥५॥ तह जिणवराण आणं अइक्कर्मता पमायदोसेणं। पार्वति दुग्गइपहे विणिवायसहस्सकोडीओ ॥६॥ तित्थगरवयणकरणे आयरिआणं कयं पए होइ। कुजा गिलाणगस्स उ पढमालिय जाव बहिगमणं ॥७॥ जइ ता पासस्थोसण्णकुसीलनिण्हवगाणंपि देसिअं करणं । चरणकरणालसाणं सम्भावपरंमुहाणं च ॥८॥ किं पुण जयणाकरणुजयाण दंतिदिआण गुत्तार्ण ?। संविग्गविहारीणं सवपयत्तेण काय ॥४९॥ भाष्यं । एवं गेलनट्ठा वाघाओ अह इयाणि भिक्खट्ठा। बइयग्गामे संखडि सनी दाणे य भद्दे य ॥८५॥ उच्चत्तणमप्पत्तं च पडिच्छे खीरगहण पहगमणे। वोसिरणे छक्काया धरणे मरणं दवविरोहो॥६॥ खदादाणिअगामे संखडि आइन्न सद्ध गेलन्ने । सपणी दाणे भहे अप्पत्तमहा. निनादेसु॥७॥ पडच्छिखीर सतरं घयाइ तकस्स गिण्हणे दीहं । गेहि विगिंचणियभया निसट्ट सुवणे य परिहाणी॥८॥गामे परितलिअगमाइमरगणे संखड़ी छणे विरूवा। सण्णी दाणे भहे जेमण विगई गहण दीहं ॥९॥ अह जग्गइ गेलन्नं अस्संजयकरण जीववाघाओ। इच्छमणिच्छे मरणं गुरुआणा छड्रडणे काया॥९॥तकोयणाण गहणे गिलाण आणा(बाला)इया जढा होति। अप्पत्तं च पडिच्छे सोचा अहवा सयं नाउं ॥१॥ दूरुट्ठिअखुड्डलए नव भड अगणी अ पंन पडिणीए। अप्पत्नपडिच्छण पुच्छ चाहिं अंतो पविसिअयं ॥२॥ कक्खडखे. १२२२ ओघनियुक्तिः -
मुनि दीपरत्नसागर