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नचुत्रो वा दुव्बल अदाण पविसमाणो वा। वीराइगहण दीहं बहुं च उवमा अयकडिले ॥३॥ जे चेव पडिच्छणदीहखदमुवणेसु वणिआ दोसा । ते पेव सपडिवक्ता हाँति इहं कारणजाए ॥९४॥ विहिपुच्छाए सण्णी सोउं पविसे न बाहि संचिक्खे। उम्गमदोसभएणं चोयगवयर्ण बहिं ठाउं ॥५०॥ भा०। सोचा दठूर्ण वा बाहितिअं उम्गमेगयर कुजा। अप्पन्न पविट्ठो पुण चोयग! द; निवारेजा ॥५१॥ भा०। उग्गमदोसाईणं कहणा उप्पायणेसणाणं च। तत्थ उ नत्थी मुझे चाहिं सागार कालदुवे ॥९५॥ फेडेज व सइकालं संखडि पेनूण वा पए गच्छे। सुण्णघराइपलोयण चेहय आलोयणाऽचाई ॥५२॥ भा०। उम्गमएसणकर्ण न किंचि करणिज अम्ह विहिदाणं । कस्सऽट्ठा आरंभो तुनोसो ? पाहुणा डिंभा ॥३॥ रसवापविसण पासण मिअममिअमवक्खडे तहा गहणं। पजते तस्येव उ उभएगयरे य ओयविए॥४॥ असइ अपजते बा सुष्णपराईण बाहिं संसटे। लट्टीइ दारघट्टण पविसण उस्सग्ग आसत्थे ॥ ५॥ आलोअणमालावो अहिट्ठमिवि तहेव आलायो। किं उलार्य न देसी ? अदिट्ठ निस्संकिअं भुंजे ॥ ६॥ दिट्ट असंभम पिंडो तुजमविय इमोत्ति साह वेउची। सोषि अगारी दोचा नीड पिसाउत्तिकाऊणं ॥७॥ निषेण व मालेण व वाउपवेसेण अहव सढयाए। गमणं च कहण आगम दूरम्भासे विही इणमो ॥८॥ यो भुंजह बहुअं विर्गिचई परमपत्तपरिगणणं। पत्तेसु कहिं भिक्खं? विट्ठमदिढे विमासा उ॥९॥ अहिडे किं वेला? तेसि निबंधमि दायणे खिसा। ओहामिओ उ बडुओ वण्णो य पहाविओतहि ॥६०॥ सुण्णघरासइ बाहिं देवकुलाईमु होइ जयणा उ। तेगिच्छियाउखोभो मरणं अणुकंप पडिअरणं ॥१॥ इरियाइ पडिकतो परिगुणणं संधिआ भि का गुणिआ ?। अम्हं एमुवएसो धम्मकहा विहपडिवत्ती ॥२॥ पंडितासइ चीर निवायसंरक्षणाइ पंचेव । सेसं जा पंडिाई असईए अण्णगामंमि ॥ ३॥ अपहुपते काले तं चेव दुगाउयं नइकामे। गोमुत्तिजदइदाइसु मुंजा अहवा पएसेमुं॥६४॥ मा० । दिद्वमदिट्ठा दुविहा नायगुणा चेव हुंति अनाया। अहिट्ठावि य दुविहा मुअमसुञ पसत्थमपसत्था ॥९६॥ दिट्ठा व समोसरणे न य नायगुणा हवेज ने समणा । सुअगुण पसत्य इयरे समणुनिअरे य सचेवि ॥ ७॥ जइ सुद्धा संवासो होइ असुद्धाण दुविह पडिलेहा। अम्भितरवाहिरिआ दुविहा ने य भावे य॥८॥ घट्ठाइतलिअदंडग
पाउय संलग्गिरी अणुवओगो। दिसि पवण गाम सूरिय वितह अच्छोलणा दो॥९॥ विकहा हसिउग्गाइय भिनकहाचकवालछलिअकहा। माणुसतिरिआवाए दायणआयरणया भावे HI ॥१०॥ बाहि जारि असुदा तहावि गंतूण गुरुपरिक्सा उा अहव विसुद्धा तहवि उ अंतो दुविहा उ पडिलेहा ॥१॥ पविसंत निमित्तमणेसणे व साहहन एरिसा समणा। अम्हंपिते
कहती कुकुडखरियाइठाणं च ॥२॥ दमि ठाणफलए सेजासंधारकायउचारे। कंदप्पगीयविकहाचुग्गहकिड्डा य भावमि ॥३॥ संविग्गेमु पवेसो संवियाऽमणुन वाहि किहकम। ठवणकुलापुच्छणया एत्तोचिय गच्छ गविसणया ॥४॥ संविग्गसंनिभदग सुने निइयाइ मोतुहाछंदे। वचंतस्सेतेसुं वसहीए मम्गणा होइ ॥५॥ वसही समणुण्णेमुं निइयादमणुण्ण
वेए। संनिगिहि इस्थिरहिए सहिए वीमुं घरकुडीए॥६॥ अहणवासि सकवाड निञ्चिले निचले वसह सुण्णे। अनिवेडएयरेसिं गेलने न एस अम्हंति ॥७॥नीयाइअपरिमुत्ते सहिएयर पक्खिए व सझाए। कालो सेसमकालो वासो पुण कालचारीम् ॥८॥ तेण परं पासत्याइएस न य बसइऽकालचारीमु। गहिआवासगकरणं ठाणं गहिएणऽमहिएणं ॥९॥ निसिअ तुयण जग्गण विराहणभएण पासि निक्खिवइ । पासत्याईणेवं निइए नवरं अपरिभुत्ते ॥११०॥ एमेव अहाउंदे पडिहणणा माण अज्झयण कना। ठाणडिओ निसामे मुवणाहरणा य गहिएणं ॥१॥ असिवे ओमोयरिए रायडुढे भए नदुद्दाणे। फिडिअगिलाणे कालगवासे ठाणडिओ होइ॥२॥ तत्थेच अंतरा वा असिवादी सोउ परिस्यम्सऽसई। संचिक्खे जाव सिर्व अहवावी ते तओ फिडिआ ॥३॥ पुण्णा व नई चउमासवाहिणी नवि य कोइ उत्तारे। तत्यंतरा व देसो व उहिओं न यलम्भइ पबत्ती ॥६५॥ भा०। फिडिएमुजा पवित्ती सयं गिलाणो परं व पडियरइ। कालगया व पवत्ती ससंकिए जाव निस्संकं ॥६६॥ मा०। वासासु उम्भिण्णा बीयाई तेण अंतरा चिट्ठे। तेगिच्छि भोइ सारक्खणहट्टे ठाणमिच्छति ॥४॥ संविम्गसंनिभग अहप्पहाणेसु भोइयघरे वा। ठवणा आयरियस्सा सामायारी पउंजणया ॥५॥ एवं ता कारणिओ दूइजइ जुत्त अप्पमाएणं। निक्कारणि एनो चइओ आहिंडिओ चेव ॥६॥ जह सागरंमि मीणा संखोहं सागरस्स असहंता। निति तओ मुहकामी निम्गयमित्ता विनस्संति ॥ ७॥ एवं गच्छसमुहे सारणवीइंहिं चोइया सना। निति तओ सुहकामी मीणा व जहा विणस्सति ॥८॥ उवएस अणुवएसा दुविहा आहिंडआ समासेणं। उवएस देसदसण अणुवएसा इमे होति ॥९॥ चके यूभे पडिमा जम्मण निक्खमण नाण निवाणे। संखडि विहार आहार उवहि तह दसणवाए ॥१२०॥ एते अकारणा संजयस्स असमत्ततदुभयस्स भवे। ते चेव कारणा पुण गीयत्वविहारिणो भणिआ ॥१॥ गीयत्यो य विहारो बिइओ गीयत्थमीसिओ भणिओ। एतो तइअविहारो नाणुनाओ जिणवरेहिं ॥२॥ संजमआयविराहण नाणे तह दसणे चरित्ने य। आणालोव जिणाण कुबइ दीहं तु संसारं ॥३॥ संजमओ उकाया आयाकंटऽद्विजीरगेलने। नाणे नाणायारो देसण चरगाइ बुग्गाहे ॥६७॥ भा०। गावि हॉति दुविहा कारणनिकारणे दुविहभेओ। जं १२२३ओघनियुक्तिः -
मुनि दीपरत्नसागर