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अप्पाहि अणुनाओ ससहामो नीइ जा पहायति। उपओगं आसणे करेइ गामस्स सो उमए ॥१॥ हिमतेणसावयभया दारा पिहिया पहं अयाणतो। अच्छह जाव पभायं वासियभनं च से वसभा ॥२॥ठवणकुल संखडीए अणहिंडते सिणेहपयवर्ज। भत्तढिअस्स गमणं अपरिणए गाउयं वहइ॥३॥ अत्थंडिलसंकमणे चलवक्खित्तऽणुवउत्तसागरिए। पडिवखेसु उ भयणा इयरेण विलंबणं लोग ॥४॥ पुच्छाए तिणि तिआ उके पढम जयणा तिपंचविहा । आउम्मि दुविह तिबिहा तिविहा सेसेसु काएसु ॥५॥ पुरिसो इथि नपुंसग एकेको थेर मज्झिमो नरुणो। साहम्मिअन्नधम्मिअगिहत्यदुग अप्पणा तइओ ॥ ६॥ साहम्मिअपरिसासइ मज्झिमपुरिसं अणुण्णविअ पुच्छे। सेसेमु होति दोसा सविसेसा संजईवम्गे ॥७॥ थेरो पहं न याणइ बालो पवंचे न याणई वादि। पंडिस्थिमज्म संका इयरें नयाणति संका य॥८॥ पासडिओ य पुच्छेज बंदमाणं अवंदमाणं वा। अणुवइऊण व पुच्छे तुहिक मा य
ता॥९॥ पंचम्भासे य ठिओ गोवाई मा य दुरि पुच्छिजा। संकाईया दोसा बिराहणा होइ दुविहा उ॥२०॥ असई मज्झिमधेरो दढस्सुई भदओय जो तरुणा। एमेव इत्यिवम्गे द्रा नपंसवम्गे य संजोगा ॥१॥ एत्वं पण संजोगा हाँति अणेगा विहाणसंगणिआ। परिसित्थिनपंसेसं मजिमम तह थेर तरूणेसं ॥२॥तिविही पदविकाओ सचित्तो मीसओ अ अचित्तो। एकेको
पंचविहो अच्चित्तेणं तु गंताई ॥३॥ सुक्कोल इगमणे विराहणा दुविह सिग्गखुप्पते। सुक्कोवि य धूलीए ते दोसा भट्ठिए गमणं ॥४॥ तिविहो उ होइ उडो महुसित्यो पिंडओ य चिक्वाडो। लत्तपहलित्त उड्डुअ खुप्पिजइ जत्थ चिकिवालो ॥३३॥ भाष्य । पञ्चावाया वालाइ सावया तेण कंटगा मेच्छा। अर्कतमणकंते सपच्चवाएयरे चैव ॥५॥ तस्सासद धूलीए अकंत निरच्चएण गंतई। मीसगसच्चित्तेसुऽवि एस गमो सुकउडाइं ॥६॥ उडुबद्धे स्यहरणं वासावासासु पायलेहणिआ। वड उंबरे पिलंवू तस्स अलंभंमि चिचिणिआ ॥७॥ बारसअंगुलदीहा अंगुलमेगं तु होइ विच्छिमा। घणमसिणनिव्वणाविअ पुरिसे पुरिसे य पत्तेयं ॥८॥ उमओ नहसंठाणा सचित्ताचित्तकारणा मसिणा। आउकाओ दुविहो मोमो तह अंतलिक्खो य॥९॥ महिआवासं तह अंतरिक्खिों दठु तं न निग्गच्छे। आसनाओं नियत्तइ दूरगओं परं च रुक्खं वा ॥३०॥ सभए वासत्ताणं अचुदए मुक्खककखचडणं वा। नइकोप्परवरणेणं भोमे पडिपुच्छिा गमणं ॥१॥ नेगंगिपरंपर(चलचिर)पारिसाडिसालंबवजिए सभए। पडिवखेण उ गमणं तज्जाइयरे व संडेवा ॥२॥चलमाणमणकंते सभए परिहरिज गच्छ इयरेणं। दगसंपट्टणलेबो पमज पाए अदूरंमि ॥३॥ पाहाणे महुसित्थे वालुअ तह कहमे य संजोगा। अकंतमणकते सपच्चवाएयरे चेव ॥४॥ जंघदा संघवो नाभी
लेबो परेण लेखुवरि । एगो जले घलेगो निप्पगले तीरमुस्सग्गो ॥ ३४॥ भा०। निभएऽगारित्थीणं तु मग्गओ चोलपट्टमुस्सारे । सभए अत्यग्घे वा ओइण्णेमुं घणं प१ ॥५॥ दगतीरे ता BI चिट्टे निप्पगलो जाव चोलपहो उसमए पलबमाणं गच्छा कारण अफ़संतो॥६॥ असइ गिहि नालियाए आणखे पुणोऽवि पडियरण। एगाभोग पडिग्रह के सवाणि न यह पुरओ॥आ सागारं संवरणं ठाणतिर्ज परिहरिनुऽनाचाहे (नावाए)।ठाइनमोक्कारपरो तीरे जयणा इमा होइ ॥८॥ नवि पुरओ नवि मग्गओं मजो उस्सम्म पण्णवीसाउ। दइउब(ड)यतुंचे
अणुलोमे पडिलोमऽदेसु ठाइ तणरहिए। असई य गत्तिर्णतगउछतलिगाइडेवणया ॥४०॥ जह अंतरिक्खमुदए नवरि निअंबे य वणनिगुंजे य। ठाणं सभए पाउण घणकप्पमलंबमाणं तु ॥१॥तिविहो वणस्सई खलु परित्तऽणतो पिराधिरेक्केकको । संजोगा जह हेवा अर्कताई तहेब इह ॥२॥ निविहा बेइंदिय खलु घिरसंघयणेयरा पुणो दुविहा। अकंताई य गमो जाव उ पंचिदिआ नेआ॥३॥ पुढविदए य पुढविए उदए पुढवितस वाल कंटा या पुढविवणस्सइकाए ते चेव उपदविए कमणं ॥४॥ पुढवितसे तसरहिए निरंतरतसेसु पुढविए चेव । आउवणस्सइकाए वणेण नियमा वर्ण उदए ॥५॥तेऊवाउविहूणा एवं सेसावि सबसंजोगा। नचा विराहणदुर्ग वर्जनो जयसु उवउत्तो ॥६॥ सवत्व संजमं संजमाउ अप्पाणमेव रक्खिजा (प० खंतो)। मुच्चइ अइवायाओ पुणो विसोही न याविरई ॥ ७॥ संजमहेउं देहो धारिजइ सो कओ उ तदभावे ?। संजमफाइनिमित्तं च देहपरिपालणा इट्ठा ॥८॥ पिक्सलवालसावयसरेणुकंटयतणे बहुजले अ। लोगोऽवि नेच्छइ पहे को णु विसेसो भयंतस्स १ ॥९॥ जयणमजयण च गिही सचित्तमीसे परित्तऽणते य। नवि जाणंति न यासि अवहपाइण्णा अह विसेसो ॥५०॥ अविज जणो मरणभया परिस्समभया व ते विवजेइ। ते पुण दयापरिणया मोक्सत्यमिसी-परिहरति ॥१॥ अविसिटुंमिवि जोगंमि बाहिरे होइ विदुरया इहरा। मुदस्स उ संपत्ती अफला जे देसिआ समए॥२॥ एकमिवि पाणिवहमि देसिनं सुमहदंतरं समए। एमेव निजरेफला परिणामक्सा बहुविहीआ॥३॥ जे जत्तिा य हेऊ भवस्स ते पेव तत्तिा मुक्खे। गणणाईया लोगा दुष्हवि पुण्णा भवे तुला ॥४॥ इरिआवहमाईआ जे चेच हवंति कम्मपंचाय। अजयाणं | ते चेव उ जयाण निशाणगमणाय ॥५॥ एगतेण निसेहो जोगेसु न देसिओ विही वाचि। दलिय पप्प निसेहो होज विहीवा जहा रोगे ॥६॥ जंमि निसेविजते अइजारो होज कस्सइ कियाइ। तेणेव य तस्स पुणो कयाइ सोही हवेजाहि ॥ ७॥ अणुमित्तोऽवि न कस्सइ बंघो फरवत्युपच्चओ भणिओ। तहविय जयंति जइणो परिणामविसोहिमिच्छता ॥८॥जो पण १२२१ ओघनियुक्तिः -
मुनि दीपरत्नसागर