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भिक्खरगहणं च होड पाहणए। जइ जाणउ वसह तहिं साहम्मिअवच्छऽऽणाई ॥६॥ जइ तिमि सागमणं एसुन एसुत्ति दोसुविय दोसा। अण्णपहेणऽगुर्णता निययावासोऽह मा गुरुणो ॥७॥ गंतॄण गुम्समीवं आएत्ता कहेंति खेतगुणा । न य सेसकहण मा होज संखडं रत्ति साहेति ॥८॥ पढमाएँ नत्थि पढमा तत्थ उ पयस्वीरकूरदहिलंभो। बिइयाए विड्तइयाएं दोषि तेसिं च धुवलंभो ॥९॥ ओहासिअघुवलंभो पाउम्गाणं चउत्थिए नियमा। इहावि जहिच्छाए तिकालजोगं च सधेसि ॥ १६०॥ मयगणं आयरित्रो कत्थ वया मोनि? तन्य आयरित्रो (जागरिया) बुभिआ भणति पदमंतं चित्र अणुओगततिला ॥१॥ विइयं च मुत्तगाही उभयग्गाही अतइययं खेत्तं । आयरिओ अचउत्थं सो उ पमाणं हाइ तत्य ॥२॥ मोहम्भवो उबलिए दुबलदेहो न साहए जोए। तो मज्झवला साहू दुट्टऽस्सेणेत्य दिटुंतो ॥३॥ पणपण्णगस्स हाणी आरेणं जेण तेण वा धरइ । जइ तरुणा नीरोगा वच्चंति चउत्थगं नाहे ॥४॥ अह पुण जुण्णा घेरा रोगविमुकाय असहुणो तरुणा। ते अणुकुलं लेतं पेसंति न यावि स्वम्गृडे ॥५॥ एगपणअदमासं सट्ठी सुणमणुयगोणहत्यीणं । राइंदिएण उबलं पणर्ग नो एक दो तिमि ॥६॥ सागारिऽपुच्छगमणे माहिरा मिच्छ छेय कयनासी। गिहि साहू अभिधारण तेणगसंकाइ जं चण्णं ॥७॥ अविहीपुच्छा उग्गाहिएण सिज्जातरी उ रोएगा। सागारियम्स संका कलहे य सएजिआ खिसे ॥१६८॥ वसहीए वोच्छेओ अभिसंधारितयाण साहणं । पुणरावत्ती होज पाजा उजुअमईणं ॥१३॥पका हरिअच्छेयण उपाय पञ्चणं किच्चणं च पोताणं। उपणेयरं च पगयं इच्छमणिच्छे य दोसा उ॥९॥ जइआ चेव उ खेत्तं गया उपडिलेड्गा तओ पाए। सागारियस्स भावं तणुएंति गुरू इमेहिंतु ॥१७॥ उच्छू वोटिंति वई तुंबीओ जायपुत्तमंडा य। वसभा जायत्थामा गामा पवायचिक्खडा ॥१॥ अप्पोदगा य मग्गा वसुहावि य पकमहिआ जाया। अण्णकता पंथा साहूर्ण विहरिउं कालो ॥२॥ समणाणं सउणाणं भमरकुल्लाणं च गोउलाणं च। अनियाओ बसहीओ सारइयाणं च मेहाणं ॥३॥ आवस्सगकयनियमा का गच्छाम तो उ आयरिओ । सपरिजर्ण सागारिअ वाहरि दिति अणुसिढिापाज सावओ वा दसण भहो जहण्णय वसहिं। जोगंमि वट्टमाणे अमुगं वेलं गमिस्सामो॥५॥तदुभय मुलं पडिलेहणा य उम्मयमणुग्गए वावि। पडिछाहिगरणतेणे नहे(ह)सम्ड संगारो॥१७६॥ पडिलेहंतचिटियाउ काऊण पोरिसि करिति । चरिमा उग्गाहेउ सोचा मज्झण्हि बच्चति ॥७९॥ भा०ा तिहिकरणंमि पसन्थे नक्खने अहिवहस्स अणुकूले। पेनूण निति यसभा अक्खे सउणे परिक्खंता ॥८०॥ वासस्स य आगमणे अवसउणे पट्ठिआ निवत्तंति। ओभावणा पश्यणे आयरिआ मग्गओ तम्हा ॥१॥ महल कुचेले अभंगिएलए साण खुज पडभे या। एए उ अप्पसत्या हवंति खित्ताउ निंताणं ॥२॥ नारी पीवरगम्भा बड्डकुमारी य कलुभारो य। कासायवत्य कुमचंधरा य कर्ज न साहति ॥३॥ चकयरंमि भमाडो भुक्खामारोय परंगमि । तच्चन्नि रुहिरपडणं बोडियमसिए धुर्व मरणं ॥१०१४॥ जंबु य चासमऊरे भारदाए तहेव नउले या सणमेव पसत्यं पया. हिणे सबसंपत्ती ॥४॥ नंदी नूरं पुण्णस्स दंसणं संखपडहसहो या भिंगारछत्तचामर घयप्पडागा पसत्थाई ॥५॥समणं संजय दंत, सुमणं मोयगा दहिं । मीणं घंटे पढार्ग च. सिद्धमत्थं विगरे ॥ ६॥ सेजातरेऽणुभासह आयरिओ सेसगा चिलिमिलीए। अंतो गिण्हन्तुवहिंसारविअ पडिस्सया पुचि ॥७॥बालाई उवगरणं जावइयं तरति तत्तिर्य गिण्हे । जहणेण जहाजायं
सेसं तरुणा चिरिचिति ॥८॥ आयरिओपहि पालाइयाण गिण्हंति संघयणजुत्ता। दो सोत्ति उण्णिसंथारए य गहणेकपासेणं ॥९॥ आउज्जोवण वणिए अगणि कुहुंची कुकम्म कम्मरिए। तेणे मालागारे उम्भामग पंथिए जंते॥१०॥भाग संगार बीय वसही तइए सण्णी चउत्थसाहम्मी। पंचमगंमि य वसही छढे ठाणडिओ होति॥१७॥दारा। आओसे संगारो अमुई केलाएं निग्गए ठाणं । अमुगत्य पसहि भिक्खं बीओ खग्गूड संगारो॥९१॥ भा० रतिं न चेव कप्पइ नीयदुवारे विराहणा दुविहा । पण्णवणे बहुयरगुणे अणिच्छ बीओ व उपही वा॥२॥ मुवणे वीसुवघातो पडिबजरंतो य जो उन मिलेगा। जग्गण अप्पडिबझण जइवि चिरेणं न उवहम्मे ॥९३॥ भा०। पुरओ मज्झे तह मग्गओ य ठायंति खिनपडिलेहा । दाईतुच्चाराई भावासण्णाइस्क्खट्ठा ॥८॥डहरे भिक्खग्गामे अंतरगामंमि ठावए तरुणे । उवगरणगहण असहू व ठावए जाणगं चेगं ॥९॥ दूरहिअ सुइडलए नव भड अगणी य पंत परिणीए। संघाडेगो धुवकम्मिओ व मुण्णे नवरि रिक्खा ॥१८०॥ जाणंतठिएं ता एउ वसहीए नस्थि कोइ पडियरइ। अण्णाएऽजाणतेसु वावि संघाड धुवकम्मी ॥१॥ जइ अम्भासे गमण दूरे गंतुं दुगाउयं पेसे। तेचि असंथरमाणा इंती अहवा विसर्जति ॥२॥ पढमबियाए गमर्ण गहर्ण पडिलेणा पवेसो उ।काले संघाडेगो वसंघरंताण तह चेव ॥ ३॥ पढमचिनियाएं गमर्ण बाहिं ठाणं च चिलिमिणी दोरे। पितॄण इंति बसहा वसहि पडिलेहिउँ पुषि ॥१४॥ भागवाघाए अण्णं मग्गिऊण चिलिमिणि पमजणा वसहे। पत्ताण भिक्सवेलं संघाडेगो परिणओ वा॥४॥ सधे वा हिंडता वसहि मम्गति जह व समुयाण। लदे संकलियनिवेयर्ण तु तत्येव उ नियट्टे ॥५॥एको घरेइ भाणं एको दोण्हवि पवेसए उवहिं। सबो उबेद गच्छो सवार
वुड्ढाउलो ताहे ॥६॥ योयगपुच्छा दोसा मंडलिबंधमि होइ आगमण । संजमायविराहण वियालगहणे य जे दोसा ॥७॥ अइभारेण उ इरियं न सोहए कंटगाइ आयाए। भन्नट्टिय - १२२५ ओघनियुक्तिः -
मुनि दीपरत्नसागर