Book Title: Yashstilak Champoo Uttara Khand Author(s): Somdevsuri, Sundarlal Shastri Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad View full book textPage 7
________________ उनमें थो। सोमदेव के शब्द शास्त्र पर तो स्वतंत्र अध्ययन को आवश्यकता है। भात होता है कि माघ, वाय और भवभूति इन तीनों कवियों के ग्रन्थों को अच्छी तरह छानकर उन्होंने शब्दों का एक बड़ा संग्रह बना लिया था, जिनका वे यथा समय प्रयोग करते थे। मौकुलि = काकु ( १२५/७ पूर्व ); शब्द भवभूति के 'उत्तररामचरित' में प्रयुक्त हुआ है। हंस के लिये वहिणद्विज अर्थात्-ग्रह्मा का वाहन पक्षी ( १३७।३ पूर्व०) प्रयुक्त इस ग्रन्थ के उद्धार करने में कवल एक व्यक्ति ने अपनी निजी वाक्ति का सदुपयोग किया है। जिस प्रकार श्री सुन्दरलाल जो शास्त्री ने यशस्तिलक का पूर्व खण्ड प्रकाशित किया जसो प्रकार के कठोर साधना करके इसका उत्तर खण्ड भी, जो कि निष्टोक व महाक्लिष्ट है, प्रकाशित करके संस्कृत प्रेमी पाटकों का महान् उपकार करेंगे। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय व्यासपूर्णिमा ( ता०७-७-६०) वासुदेव धरण अग्रवालPage Navigation
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