Book Title: Yashstilak Champoo Uttara Khand
Author(s): Somdevsuri, Sundarlal Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 565
________________ शुद्धि-पत्र गुद्ध पृष्ठ-पंक्ति 220-10 247 टि.नं. २६०टि. पंक्तिर 2066 सुनि राज तिरोदप न ह्याप्ताना पुनरयमितप्रम: भोगवती शिक्षा पुरुषाणा मुनि काहले५ मवेन्न वा धानुिरोधबुद्धमा देशेऽपसदः अहंतनुमंध्ये साधुस्तदनु रलत्रय आरमा भनित्य स्मररस मनाम कोऽपि मतुलल्वाद यदेन्द्रियाणि 302.5 पशुब्ब पृष्ठ-नि अशुद्ध पललद पल्लव तिरोध विहित पिहित 7-5 ह्याप्ताना स्वागत स्वागत पृनयमित पितृदवन पितृदेवत भोगमती वासर वासर 61-7 णिती स्मृतीनिहाल स्मृतीतिहास पृरुषाणां दिमृत्य विमृश्य पिष्टय पिष्टं च 94-4 काहले खादृहास साहास 93-7 भवन वा विश्वकरवानीन्द्राणां विश्वकदर बनीन्द्रागां 107-6 धर्मा पुरोधःबुझया सबर्धमादम् सवर्धमानम् বাহুত্বে: नित्योत्सव नित्योत्सव 118-2 अहनतसमध्ये पत्ति पनि 118-7 साधस्लदनु पाव्यय अपयं 125-1 रत्तत्रय नामिमण्डला मिमण्डला 120-3 ग्रात्माज ता मन्द्रिय दिलास बिलास 165-11 स्मरस रुची मनम् कुषान कुपाये कोपि पन्चम षष्ठ 183-1 मतुलवा मुग्वघोषा मुग्धबोधा यदेन्द्रियाणि सीध श्रीषा अनन्य अन्य 172-18 ह्रीं दूसरे से यदि दूसरे से 200-28 भूयामि नास्विककत्वसझाव तात्विकै कारवसवावे 2054 पीठोपकण्ठ मोतुः-पार्जार: ओतु: मार्जार! २१६-१टि. चरणन धिषणन धिषणेन 229-1 पूजाक्षण मादि मामा 221-2 कि जलता विचने विद्यते २३१टि.नं.५ दाने -- 380-1 380-1 380-4 तणं 395-1 402-5 रुची सीषु पती 439-20 अयामि पीठोगकण्ठे चरणन 281-6 पूजाक्षणे न कि जलता दानं 445 दि.०५

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