Book Title: Vinshatisthanaka Charitam
Author(s): Jinharsh Gani
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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विशति
स्थान
॥ ८३॥
वाइयन्ना, जेण भवे हुंति बहुविहा जीवा । तत्थवि य बहुविगप्पा जोनी य कुलाणि य तहा य ॥ ५४ ॥ पुढवीदग अगणिमारुअ इक्किके सचजाणिलक्खा य । वणपत्तेय अनंते दस चउदस जोणिलक्खा य ॥ ५५ ॥ गिलेदिएस दो दो चउरो चउरो य नारयसुरेसु । तिरिए हुंति चउरो चउदस मणुएस लक्खा य ॥ ५६ ॥ बारस सत्त य तिनि य सत्त य कुलकोडिसयसहस्साई । नेया पुढवीदग अगणिवाऊणं चैव पत्तेयं ।। ५७ ।। छवीसा पणवीसासुरनेरइयाणं ससदस्साई | वारस य सयसहस्सा कुलकोडीणं मणुस्साणं ॥ ५८ ॥ सत्तठ्ठ नव य कपसो बेइंदितेईदिचउरिदियाणं तु । सङ्ग्रा वारहलक्खा कुळकोटीउ जलवराणं ॥ ५९ ॥ सङ्घा वारहलक्खा कुलकोडी हवंति स्वयराणं । दस लक्खा कुलकोडी पत्ता थळयराणंपि ॥ ६० ॥ दस नव उरसप्पे लक्खा अडवांस वणस्सईसु भवे । कमसो कोडी कुलकोडीणं सट्टा सत्ताणबद्दलक्खा ॥ ६१ ॥ इत्थ य नरवर । जोनी कुलं च इक्किकय चपत्यं । दुहिहिं भयं अणतसो सबुजीवेहिं ॥ ६२ || जम्हा अणाइकालो अणाइ जीवो अणइ कम्माई । इय चितिऊण मोहो न कस्स केणावि कायो || ६३ ॥ जीवा कसायवसगा विसयपसत्ता पणासवनिउत्ता । एर्गिदियमाईचं सहति जोणी दुखाइ ॥ ६४ ॥ जया मोहांदओ तियो, अनाणं खु महभयं । काळ - णिज्जं तु तया एगिदित ॥ ६५ ॥ जं नरए नेरइया दुकूखं पावति गोयमा ! तिक्खं । तत्तो अणतगुणियं निगमझे मुणे ॥ ६६ ॥ भमिओ अणतवारं जोणीसु इमासु विविहरूवासु । जीवो जिणभणिएणं धम्मण जिओ हिओ ॥ ६७ ॥ नाणा भेयभिभो चउहा धम्मो जिणेहिं पत्रत्तो । निवाणगमणमग्गो दुग्गइगमणं निवा
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