Book Title: Vinshatisthanaka Charitam
Author(s): Jinharsh Gani
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
View full book text
________________ दाभोजैकभानूदय :, स श्रीमान् जयचंद्रमरिभगवान् पूज्यत्रिलोकीतले // 18 // अजगगनतिथिमिवेऽन्दे नानाग्रंथार्थसार्यमादाय। श्रीमजिनेंद्रपदवीपुण्यालोकाय लोकानाम् // 19 // गच्छाधिपभीजयचंद्रमरिशिष्याग्रणीराईतभाक्तिशाली / श्रीविंशतिस्थानतपोविचारग्रंथ व्यधाच्छ्रीजिनहर्षनामा // 20 // विशति २०तिर्थ षदेमेरु स्थान भकथा एतदाकर्णनात्प्रायः , प्राणिनां दुष्कृतालयः ।क्षीयते तत्क्षणादेव, सम्यग्दर्शनशालिनाम् // 21 // वाच्यमानो बुधैः सम्यग् , ग्रंथोऽयं सुकृताकरः। यावीरविभोस्ती, तावानंदतु नंदति // 22 // इति श्रीकिशतिस्थानविचारामृतसंग्रहः संपूर्णः / इति श्रेष्ठिदेवचन्द लालभाइ जैनपुस्तकोरारे श्रीशितिस्थानविचारामृतसंग्रह समासः ग्रन्थाका // 9 // Jan Education International For Private Personal use only

Page Navigation
1 ... 194 195 196