Book Title: Vinay Bodhi Kan
Author(s): Vinaymuni
Publisher: Shwetambar Sthanakwasi Jain Sangh

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Page 13
________________ LKG UKG 1st STD 2nd STD 3rd STD 4th STD 5th STD 6th STD 7th STD जिनशासन की सच्ची आत्म कल्याण सन्त समागम (दर्शन, प्रवचन, मांगलिक) - जैनी बनने की भूमिका (सप्त कुव्यसन - त्याग) सम्यक्त्व रत्न की प्राप्ति (अभक्ष्य पूर्णतः त्याग) - रात्रि भोजन त्याग ( सामायिक करे, रात्रि भोजन छोड़ने का अभ्यास करावें) जमीकंद त्याग (सामायिक पाठ सीखे-झूठा नहीं छोड़ना) तीन थाली प्रत्याख्यान (पाँच अणुव्रत ग्रहण करावे व प्रतिक्रमण सीखे ) बेआसना (२५ बोल व ६७ बोल सीखे ) एकासना (सवंर करावे, नव तत्व ज्ञान सीखें) आयंबिल, नीवी (गुणव्रत, शिक्षाव्रत लेवे) प्रभावना कीजिए का क्रमश:मार्ग 8th STD 9th STD 10th STD 11th STD 12th STD 13th STD 14th STD उपवास (दशवैकालिक - चार अध्ययन) तेला तप (पुच्छिसुणं तथा तिविहार आदि तप) सम्पूर्णतः रात्रि भोजन त्याग ( पक्का जैनी बनना १२ व्रत धारी) पौषध, दया ( शास्त्र व थोकडों का स्वाध्याय) बड़े तप : अठ्ठाई आदि तप संवर पौषध सहित (उत्तराध्यन सूत्र का स्वाध्याय) चार खंध का त्याग (साधु - साध्वी की सेवा करना) बारह व्रतधारी श्रावक बनना । निवृत्ति लक्ष्य बनाना, संयम धारण करना, संलेखना, संथारा की तैयारी करना । प्रवचनांश : प.पू. शिविराचार्य पंडित रत्न श्री विनयमुनिजी म.सा. "खींचन" गणेशबाग, चातुर्मास सन् - २०१२

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