Book Title: Vimalnath Puran
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 6
________________ RAKE भूमिहास्यया । चेदुगुणः कजसोगाधिर्यातरिय सुदन्यते । १४ वृषभे रास्य पादाब्जे चंच होकत्वमेवे । विधीयतेऽस्म काभिश्च पुराण परमादरात् । १५ । बाहुना भन्यजीवानां कथाघो कथास्तथा । धर्मस्वयंभुषोः स्पातिरहनं समुद्रवत् । १६ । अथो असंख्यद्वोपानां मध्ये राजव गजते । कुलाचललसद्वादुभंगभूसुमरैः धितः । १७ । गगासिंवादिभामाभिः सेव्यमानो निरंतर । उतनी ही शुद्ध होती चली जायगी ॥१३॥ अथवा सज्जन और दुर्जनोंके सामने संसारमें हंसी कगनेवाली इस व्यर्थ प्रार्थनासे भी क्या प्रयोजन क्योंकि यदि करिके अन्दर गुण होगा तो जिसप्र-17 कार कमलकी सुगन्धि पवनके द्वारा चारो भोर फैल जाती है उसीप्रकार उस गुणके द्वारा कवि-13 वकी शक्तिकी प्रशंसा भी चारो ओर पल जायसी ॥१४॥ ययकार अपने पवित्र भाव झलकाते हुए कहते हैं कि-में भगवान ऋषभ देवके चरण कमलोंका भ्रमर वन इस भगवान विमलनाथके | पुराणको बड़े आदरसे कह रहा हूं यह पुराण मामली पुराण नहीं किन्तु इसके अन्दर बहुतसे भव्य जीवोंक कथा और उपकथाओंका वर्णन है। धर्म नामके क्लभद्र स्वयंभू नामके नारायणके - पवित्र चरित्रका कथन हैं इसलिये उनके निमित्तसे यह पुराण समुद्रके समान गम्भीर है अतः मनको स्थिरकरही हर एक विषयका पठन पाठन, हित करनेवाला होगा ॥१५॥१६॥ | मध्यलोकके असंख्याते द्वीपोंके मध्यभागमें एक जम्बद्वीप नामका प्रसिद्ध द्वीप है जो कि सानात् राजाके समान शोभनीक जान पड़ता है क्योंकि राजा जिसप्रकार विस्तीर्ण भुजाओंसे 4 शोभायमान रहता है उसोप्रकार यह जंबुद्वीप भी कुलाचल रूपी विस्तीर्ण भुजाओंसे शोभायमान । है। राजा जिसप्रकार अनेक सुभटोंसे ज्याप्त रहता है उसीप्रकार यह जंबद्वीप भी भोगभूमि रूपी सुभटोंसे व्याप्त है । जिसप्रकार राजा अनेक स्त्रियोंसे सेवित होता है उसीप्रकार जम्बूद्वीप भी गंगा सिन्धु आदि अनेक नदी रूपी स्त्रियोंसे सेवित है। राजा जिसप्रकार गर्जना परिपूर्ण किन्तु मधुर बोलनेवाला होता है। जम्बूद्वीप भी पद्म महापद्म श्रादि सरोवरोंके मनोज्ञ शब्दोंसे मधुर बोलनेवाला है। राजाके जिसप्रकार नेत्र होते हैं जम्बुद्वीपके भी सूर्य चन्द्रमा रूपी नेत्र विद्यमान हैं। W KKERAKAR ERFKV.

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