Book Title: Uttaradhyayana Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Girdharlal
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 114
________________ दिवरि पुण्यकरीसमा म०मादराजमारहाथमा भोगव०कामेवजीएहवा मतेनलीमेथास्रंज सामाशिवकपक्षीमादिदे tinatienten मा० कंचिरस्वभान वियाहार्यअथवाच्या स्थिरतोगविषेसा निsonाटाानतीधा पीने प्रविधीयेवामीनाथकी निक विश्वना थीनरखेएक नामे जमायामापणेचसेएक लुकाकामनोगनेविध स्पेमियाय श्रामिपविततेसषीदेवी उत्तराध्ययनट- फंदवि ममदयामागावयंवसज्ञाकारतानविरसामोजहाईमेश्यासानिसऊजनंदिस्साबमानिरामिाा यहरूपयामिषस - वि०श्विरसंनिधनादि किशमिषसहितमपंधी अनेधाभि का कामभोगसं०संसार सर्वस०अरुटी सं०सकालोबीदतो सर्वसवाहिन शनिनरक्षिताद बिरक्तिबंबानीवनमाननाली नायवधारणहारनाणीने नेका सामीवनिमण्हनूरजया मिसंसबमकिता विवरिस्सामोनिशमिसायनिहीवमेमनचाणकामेसंसारखमुणनगोसुवलकासेछ संकमालो चन्चनितिवसाइविष नान्दाधीकीपरे य०निमदाटीआपल्लीवनसती क्षजाज्वेल्ने ३०५कारएहवामको राशीसमयिसान काका यदिकहानहीकि बंधननि अदीना हिचपणीरवाजाई मेंकह्यो ते१०१थ्य सुसांजसो वैसाज जीवामीने मनोग याविषेजवाणाचाले बेदीनं मपिण्हेरानाकर्मबंधनबेदी नमो हितोमवहेमदारमत नसावधा वि०मोटोकराज्य से तणंचरेशनायवेधणबिना छापणीवसविएयंपळमहारायजसयाशितमेसुयोधनाचश्नाविमलेर काम उजामतांदोहि निविषयरहित नि स्नेहरहितनि०प ०विपरीतनहीसाचो विजनीनेका कामभोगनाय तण्तअंगीर जातेबाम्नानादियाभिवरहित रियहरक्षितधDA "विजातीने मनोरखादिकावधान कारकस्बोहानि मोटाउनए विसिटानिमिसा निन्नव्हा निवारग्गहा शससंधावियाणिशा विद्याकारणेवरे तववागमव्ह मतिर्थकादियो०७वस्थावरतादो दिजो एकमतेन्तेबसन्सगलायधर्मजन्नाम०मरणाने 155वश्वचाका सानिनशा केकयो छोकर्मवेशपतेरी निईटा जीवक०क विषेषन्तत्सरसाव अभयेकरीविनकर्मनायतनाग सननेविवि तिम पराकमयादवोपासुकलूज्यानययाकेगवंतश्रयादेवीधयापर मोटरहितती रकार्ययोरघोसरवमापावंतेक मसोबुझ सधामपराया जन्ममननधिग्गाऽरकरसंतगवेसिणोपर सासलेवि करतेह । ०श्र्वनवविवेना | अयोज-अनोकर्मनोराइमकारराजा माछाहागाज नावासन ननावनाकरीना काकालेस- अंतमुन्याम्यामोस ससहितदेवकमना9osरोसावन्त्य नविय तेजीवकास्पाबै जमेकरी पसंताप लाती रोजी-हित लीदा० गयामाहा जछिनावणमाविया अविरेणेवकाने ऽरकस्संतमुवागया।पश्यांसहदेवीएमादोपुरोहिन माहणी

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