Book Title: Uttaradhyayana Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Girdharlal
Publisher: ZZZ Unknown
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माने कारें व वोला वन रसानेच्या कारेमाण्ली बालाकमाने का रे२२
उत्तरायनट सम्वरं समाजया २२
(१३०)
खरसपवर्गादि कोइ एकतीयादिक भजनाव रसकतेनलीपांवर सनीनजना संस्थान पांचनी कान्फरसर्टनीनजनाऊ विलख
सर्व कासवेव भइएनविय २३श विजेनवे सवण्वर्ण कीलीप भण्नजनाई सेवते। रन्तीयादिकषांवर (ना ताजे ने गंवेगधनी सुगंध सनीशजना०सं० पांच दिपक आम्फर्शनी पिनजना संस्थाननीवि
वण्वर्णय की जे०जे जननी० नीलोते मांदि
वृदयकी जेजे | सन्नजनाई सेते नवरैकि०कालो गं०बेगंधुनी सुगंध 9भजते माहि इंद्रधिविलाई वरमजेन वेकिल्दे । भइएसेनं गंध अन्नजना कईसे ते २०२सपदमांदिको एकतीयादिक भवनजनाज बेगंधती सुगंध रसश्ते नलीपांवर सनी अञ्जना पांच संस्था अपलिफाफरसनी विभजनाऊ मनी २४ नीले मइएसेन गंध रस फासवे नए विद्या २४ वाउंनो दिए जेन भइए सेन गंधून रस फासर्वचेवानइएसंघा वण्वथिको भण्जना भई से० ते २०तीपादिक पांच रसनीन नन्नजना नवथिकी भभजनाई सेवते रक्ती बीजाण्जेषु गंवेगंधनी सुगंध जनाईाफरस संसंस्थाननी धवना जेजेगले गंधनी सुगंधा पाद जलते मांदि નેક મિની जीविभजनाविण २६ लते मांदि दुर्गमपि कपोन
ईते मांदि
२५
एनविय २५ वस्मन पीटा जेन भइएसेन गंध र सफा सनदेव इएसंघानविय २६ वजे जेन भइए से गला र | रसनीनजना मन्त्रजनासं० गंग की भक्नजनाई सेन्तेरचनी विलन जनाई न भजना इस संस्थान | गं०गंथ | उफरसनीविएनजना संस्थाननीविहार असुसुगंधतेमादि वοपांचवर्शनी फाण्डाफरसनी विलनजनाई पवनीवि२८ कीजे जे | सर्वे फासदेव इएस द्वारा दिया 29 गंधर्व जेन वेसुझी भासेन वान र सर्व फासनचैव नए संग १६० भन्भजनाऊ २०दिवसनी भनाई | २ विद्यनन नाफा
डांधितेमां सेन्तेवण्यांच दिई वर्लनी जेनवेऽझी/भइएसे
विद्या २८ गंध गंοबेगंधमादिको एक गंव इंतेनी गंधनी भजना | काण्डम्फरसनी विभजना
२०रसकीतितीयो जनजनाॐ कमी परेजेजे सेव तेवण्यांच पुतेमांदि वर्णनी
संसंस्थानां चनीपिल
तकरानी विलनजना
३०
अन्नन
भजना पांच सं स्थाननीविल
रस फासदेवानइएसंवलनविय २ रसतिश एजेन भइ एसेन वासदेव ॥ रथ की कामना से० नीनजनाई नाई सेव नीबासरी बोक तेवन्नकंचनी [फा०ग्राफर्सनीविण एंव संस्थाननी | जे० जेवु भजते मांदि विल คอร पिलर मइएसंवार्ड दिया | २० | रस
रथकीकक सायला जे जे95 इमादि
एजेना नशा सेवन कासव भए संघाणजे विया ३२ / रसन कसाय ए जेइए
नार सेण्तेव
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