Book Title: Uttaradhyayana Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Girdharlal
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 267
________________ नेदवण्वर्ण की निचे की कार कथकी दिव्यांचेथ के सतानी | आप पकाया जी०जीवने मंत्र एकायना जीवनावश्यकीर रस संसंस्थान नाध्यापने अपकायनीकाया पकाय१लोपांमदानो आंतरोपमै जद लिटर विजदंमिसएका ए| आउजी वा समंत ०१ विभेदनासह २ बिप्रकारेवण्वन संवै सुक्ष्मा दस्त०] तिम बाण्बादर जेण्जे दथकीविल ९० सिवध रस फासून || संघाणादे सनवा • प०पर्याप्तायनम० ए०इममे०ए वनस्पती काय | (३ स्पतीनाजी०जीव अपर्याप्ता (509 कारे90दली जाएवा विविद्वाणा इंसद् स्सो | २|ऽविदाव एस्सजीवां रुमाबारात हा पन्ततम पज्जा एवमेव दालो ३ पर्याऽण्वेषकारे तेते दादरवन (नंताजी वसाधार एस०सरीर | १० बीजापत्येक शरीरखं |एध १० सेकनुदास | साबै सतीनाजीववि० काभगवते एक सरीरमा दिनेता जीवर तबै जीवत तिमज पज्जज्ञाऽविज्ञाते वियाहिया । साहारण सरीराय देवे पत्ते गायत देवरतेय सरीर | करगुणगणीमु लवंपकादिकलता (पवनलिएम०सेज | ज०म मी मुनीवेलीत गुणवतिमन शरीर नाधली बाय राजेन लेण्घयेष कारेंते पण रुप कानगवंते बादि रोगहातेपकित्तिया । रुरका १०१त्येकवनस्पती जीवांसमुषं की साजिष्णादि कृतिम कायनाजीव५० मासु एखाद्यातीर्थ दिया एक्ष सादारण सरीर से गढ़ाते पकितिया रचायम्मा जयावलीत गात हा ५ वटा च्याऊंदा जलाने सही तदा दरिय काव्य यबोधछा पत्रेयाइतिश करे साण्डा नेता जीवने एक शरीरमादिरदिवोवे/ ०घुलेकारते ते आ० आलू १० कंसू / सिं०आयेति (ए8 | दिοदिल्लीसि० सिंरजी सि० (जाव० के‍ | ए६ ते साधारणस०सरीवंतजी व नंतकायते १०कातीर्थंकरे लनीजातीमूलो मजवली सिस्सर जीए बिले कंदमूलनी जाती कंदजील मूलदेव सिंगबेरेत देवया [49] दिरजी सिरजी सिस्सरजी जावई ( लोन्ली हिली रही | ऊद्गायतेपिकं कष्कृन कंदकांदोव वज्रक कं एपिलकंद जनजाती सूजततिमजबजी पिकंदमूनी जाती नोहिणी यीय हगायत देवय कल्यन कंदेया (UCU कलिवियाकं •सीसी ट्रकर्णापि | ०टी एविलकंद ०घलेकारे | २०० नीजी कूलपिल कंदमूल एन्ादिदेईने | देसूरण एतदा । सकलीय बोध्छा सीहकलीत देवया मुसुंदीय हलि हाय रोग हा एव माइये | २०० | विणकंदमूल १०पजे मूलमण कंपए कंदनीय एविल ए નીનાની बेकंदमूल भी जाती कंदमूलनी जात केय केदली कंद मुल सलकंदेव कंदजीयऊ मुझे || जसरण सतिमज दलजाएवा कंद तिम एण्एकज कारेम० घणेवकारेनथी एमविद माता सुभ स्वरम ०ज० जन्मांतरी पश्पुण्न माल तीबर दण्दरीका यवोपजां एवा कं रूप

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