Book Title: Uttaradhyayana Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Girdharlal
Publisher: ZZZ Unknown
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तातिजगे कुष्कर्म स०पकारीयोनी व संघा इरियावदी न० बांधे तेते कर्मनी फ० फरसबै54 तावरियावदियंकम्मनिबंध | सुनक तं तेरियाकर्मण्यां शितेकर्मज्ञयगयो सेवते आ श्रोतो१० फर स्पो २०उद् गमीएकाले वोथेकाजेा० याम्पोम कर्मरहित
बांधो
बपावै
७१
विभव ७२ तप्ते महि पहिजो
निलं
सासनीसास
रिस | समय हिश्यतं पटम सम ए ३६ वीयसमएवेश्यं तय समए निज्जेयं तं ब95 उदीरियंवेश्यं शिजिससे यकाले काम या मकई अण्डत तदि कलेत जोत का नव पोथा कति मनवचनकायानामापार | सुखक्कांननोती तोलोगीने वारे जो मनक्वन कायानामा पार नि०नितोकी अण्णापमिवानीयाचास्नथीमेट्नो नोनेदकाध्यावृतो पानाअंती तावसे साउएलोग निरो दंकरेमाणे सुमहिरियंमिवाश्य | सुज्जाज्जाए ममननो जोण्यापा मनोव्यापार व०क्वननो मापार ०क्वनतो त्या का०कायानोमा का०काया रनिनि निसंतीनें निरु फरनि० संक्षीनें पारनिवहंसीनें नोव्यापार ( माणे सप्पटमार मणजोगं निरूंनेश मएजोगं निरूंना वय जोगं निरूंना वयजोगं निरूंना काय जोगं निरूं न काय जो इजारेकपपचरनान्दार प्रचारकर सम्मनक्रन कायानाच्या पारनथीचे दाणीकिया तो मकान जागेव्हवी से जेसी पनि वजीरं सा अकर्मक्षय कीया विना जेमानको चनेनदरीएट्वी गं निरूं मित्रा आलापाल निरोदं करेला । इसिंक्वरदस्सरक रुच्चार पाएयमंत्र पगारे | समुचिन्नकिरियअनियहि का सु० शुभाननोबोधाने वेण्वेदनी कर्मया कर्म | ए०एस० मार] कर्मना जुण्समकालेसा | समकाले ७२ तिरेपवेदारिक शरीरतेव दज्जिध्यावतोयको नामकर्मगो० गोवकर्म प्रंस विभाग ०१पावे खू०पपातीने तेजसशरीर खनेक कार्मणशरीर ज्जियामा वैयलियं आउयंगम गोलं| एएचत्तारिदिकम्मंसेज गर्वखवेश जगवंख वेशा | १२|| तनुं नरा जियंतेयकम्माई सन्स दिलांमवेकरी असमी ७१० कम्पो आपला जीवनी वादनाने नेता का देश 30 दो ए० ० बांसगतिय तिमी ने दिगंजा दिवामीनें (फरस्पानोइयेतेतला परंतअधिकासपदेश अफर सतोथ को मोक्षजाएं एकेसमे एकरतोय को साझांनना नवजोग वंत सि चसवहिं दिष्पज या हिंदिप्पजदिशा उज्त से टीपत्ते अफसमा गएसमए
पाने
निसंधी
था
विदेतत्रता सागरोवून ते र
दोषरहित
काररहितवि०स जोलो कालो कमदे के केवल मानगो स०सम्पका जा०जीज गेरामनन प्रकाशनोकरदार नदे०केवल दर्शन [२०]पजावे कायानाव्यायाखेत कई उत्तराध्ययनटण मिरं दिसु जोगा लोगण्पनावर्ग केवलवरना एदंसणं समुप्पामेश जावस जोगीन व कारी इण्वे समयनी हिस्थितचेते कर्मनी (१२८) नथी तं ते कर्म१०पदिनेसमेब
ततेकर्मी
समेनिय
घ
को
बीतेकर्म राजेस मेवे भोगवे
॥१२१॥

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