Book Title: Uttaradhyayana Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Girdharlal
Publisher: ZZZ Unknown

View full book text
Previous | Next

Page 184
________________ ||इंइसा कीधी देवता परिक्षा निमित्ते खामी बिसाधना रूपकरी एक रोगी साक्षगम बाहिर बीजोनंद पे पासिंगायो नंदलपारणोक खावे गेले |तेमायावी निंबीज णाम एक साधूनें छतिसार रोग पांणी ईशाननंदपाली निमिते फिरतां कि हा सूज तोन जाधो देवतानी माया । तिवारेते! राध्ययना साधनं दषेलनेलेइ रोगी पासाकोधकरीब पोतेमांद्री जीवब्रलीछी / तिहारेनंद ये एसाहक ज्पनगरने विषेश (२) वो रोगीक देवाजी न सकूँ तिरेनंदबेल षाधिकरी साधने जेई यावती से गीते कपरिमलमूत्रमाधिकरे। तेनंद यमनमादिदंतवै जेएसा सातवे वे एसाइनो मजमूक्दो वा चंदनसरीब आजमादरी देवी पनि नथई । एद वेदेवता अवधिज्ञांने जोयो नंदबेल नोमनपरि |लामस्थिरता जांणी देवताच मनानरणयपगे लागी स्क्ततिकरतोस्वोगियो । जिमनंदनसाकतो मातकी धोनजी हो। तिमब्रीजेप |लिसाधे श्रुतिभात पाणी गवेषणा करवी | इतिषणानंदद्वेष कथा || हिने आदान मंमत निरके व समितो ऊपरि सानो दृष्टांतक है | एकको एक वाष्पपतेको। पहिजे हा करे | छाए जांएपोषन पमी पहिनेणाकीधी तिवारेादनमांहिथी सूर्य नी कृल्यो । दिननी गमपमिता एपो पमिनेट्वेला तो दिवे शिष्यनेक योवजी पहिले करो शिष्य कन्दै संकोजीमा दिसापक पनावे गरे शिष्य अनं६प रो जाली मोनकरी ह्या सासन देवता इंगुरुलोक्चनसत्यका नलीको बीमांदिका नोसर्णविक्रमे गोवरी वेलाइकोली बोलतोदेवी बीको गुरुसमीपमो वे साथ ||लानोमन गुरुला वचनक परिस्थिरस्वो तिमदीजा साधने विदाननं हवेलाई मिले ट्वा इतिनधीसमितिकथा ४२थनचारर | फसवणदृष्टांताचार्येएकदा निष्पनेको मिलन भूम मात्रानीभूमिजोश्माजे शिष्य कहैनितप्रतिकिजीये | तिह किसुनंत | बेवाचे गुरु सांभवीमोन करीरदश रपे शिष्य मात्र परवतो तो ते हवेसासलदेवता गुरू नो क्वन सत्य करवानीमंतकरी दो सोते दे श्री सांगली बीको तिवरे गुरुनो वचन सत्य मानवजागो। इमबी जे साधेपिलांच समिति काले निशेषे पालवी | प्रतिपांचसमितिक परिदृष्ट॥अथ मनोगुप्तिक्षेत को शिकनामामा काउसग रहो। गुरु बोसाधली के बाथर्म भोसाहसं चिंत वेळेत वारेको सिक् साधु बोल्यो | म्हेजीवदया चिंतदी गुरू कदै केही जीवदया को कुंएक है 97 नीदया । वर्षाकाल तो समय क्षेत्रमा दिए म निदान करसीतो छ मनिपूजावर उद्यमकरस्पेतोसी थासीन दीतो विचारभूम रिस्पे एचिंत मी प्ररेक हो । एहवो चिंत व दो नहीं मोटो आरंभ जागे मिथ्याऽद्ये तेथे दी हो। इमबी जे साधेन चिंतवो| इति मनो तऊ परिको ऊं एक पित्तसा एकदा संसारिक वंदावाने जातां चोर मिल्या तेवोरेक यो भो साधुए वाटेजनेत यावर | स्पे | तेहने जगादेरमे | एह वो क्वन जेई साधने को साधी पुरनगरे आशामो सर्वमातापितानें वंदावी तिजजनेत साथे तोटे चोरऊस जिनेत छूटी ते हनेवर बोच्या एसा लोकजेजनेने बरमतकरे एक्वन साहूनी माता मंल्प हीये 5१धरी क है। एलेसा मारे गलन को तेमाटै बुरी पेट इमर से एहवो माता नोसानो संबंपूजाली / चोरे चिंतव्यो एसानी माताबे तो धन्यए साथ जेले छापली | माताने पिए-दोरांनो स्वरूपनको तिहारे सर्वधनादिकलूंटपोस्तोवेदी हो । सर्वनेंस पऊ पनो| इम रोजे साधे विलक्वनद्दिषती इतिवचनय ॥२॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286