Book Title: Uttaradhyayana Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Girdharlal
Publisher: ZZZ Unknown
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उतराध्ययन20
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अ०११ ३० तिबद
१२१
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विष्वग र हिस्सार ३१ वि०निरोदेवि / संप खाण्यासल सिम्पासंथारा पयथकीनि आदारतेय दिकनो से सेबनो कर बीजे जती याद | २५ संजमे २६तवे | २१ | वोदाले २८ सुहसाएर पनि ३० विक्तिसयासत सेवा ३१ विलियरया २२ संभोग रोल्पोते एक ठोकरीने विवी ३२७०२१६३पगरी सदोषाहारजेवा कुकषायनोपजोमन वन कायाना जोगव्यापारते सवारीनीपा | जिश्तेसंभोगकही इंतेसंभोगनोच पालकरेश्य नोवलकरैप बॉल करै २६ | नेवारु १०००च्यांगकरै३9 बांमवारुकारी रनो |परका २३ खोकरे नवदिपञ्चकारणे २४ आहारपत्रका ३५ कसायरका | ३६ | जोगपचकाले २७ | सरीरपञ्चर |रका सा०कार्यकामनोरदार शिष्यते मन्भात पोलीनो ४०० अनादिकाजनीहिंसादिकरवानी १०मायारजितीनोस वेण्डल तसा नोवेया | करै२० शिष्पनेंषनोपचरवा एक रे पवबालकरे स्नाव बैलेंस्वनावनोपन करे घर जतीने वारेश्वर्ते४२ काकरे ४३ |रकाले ३८|सादादरञ्च कात्रपचकाणे ||४|| सझारका ४१ रुवाय ४२ वे याचे ॥ ४३ ॥ सवज्ञानादिसर्व] | ४४ बी० रागदेषरहि संपक्षमासदित १० लोन रहि / सरलवणे 0 हंकाररहितकरणने क० मिि संसहित तपश्वत्तेस 9०६ त]89 ४८ तपले कर्ते ४९५ भावसत्य५० याजेली विधेक रवी की है। | सगुणसंपन्न | ४४||दीय राग ४५ खेती ४६ ४७ ॥ अन्तवे |४८ मध्ये | ४ || भावसचे ५० करणसच्चे ५१|| | तिमकरे / जो मन क्वन कायानाजोग मनपथकी निकरागु०० एपकी निदारीने का०काय शुतेक पप ममनस०] [सावेनावस्था व० चचनस०साचे तेकरण माएर सन् सत्सवले मननुपिलेश्ववेिपर ०क्वनशिपलेने १४ रीसहित पापधर्ता] १६ मनस्वाथ व्यादि कायतया ५५ मलसमाहारण या ५६ वयसमा दारवेकरी | ६१ सोप्रोतिंदिय सं०सहित नो नि०नियदकरे सोइंदिया नि
| सत्पर जोगसचे | ५२|१२|श कनेविषस्थापदेव काका याने साचे नावे संजमनेवि लिकरी कविप स्थापदाशोध प
मतमा ५४ ना० श्रुतज्ञानादिक ज्ञानेकरीसहित परण
०सम्पलसं०] ६० सहित
व्हा राया ॥ ५१|| || काय समादारणमा || ५८॥ नाप से पन्नया था। दंस एणसंपन्नया ६० चरितसंपन्नया ६१ ६२ चको ६२ |ण्नासिकानीइंद्रिय ६४ जिब्जीमनीइंडिय ६५ फाकरीयन दर्द को को | नियट्करै
६१ मा०मा मने
नो निपटकरै
निजीव
निनिकरै नोति यदकरे | गहे ६श्वरि दिय निग्गहे। ६३ । छलिदिय निगाहे । ६४ जिनिंदिय नि ग्गहे प फा सिंदिय निगाहे | ६६ को दविजरा ६१ माल
| २१ संसत २६ तारे
लेदे
ਜੇ
संजम
वो कर्म नोराज
सु०विषय सुपनोटा
जनोशल
॥१०३॥

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