Book Title: Uttaradhyayana Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Girdharlal
Publisher: ZZZ Unknown
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वेदनादिकने भेदकताले करी] सं० अनिष्टनो संजोग इट नो विजोगते मनोनी०बेदकरे ने लेडबने छेदवे करी
अन्सर्ववीमारदिनसुन् नेपा
उत्तराभ्यनट० सारका बेलनेयसंजोगाई वोछेदेयं करेई बा व सर्दनिवत्ते ||३|| गुरुसादम्प्रियसुस्स किं• किस जण्डपरमशिष्य विविनयनिज्यों प्रयतिहिसम्म (२०४ तिवारी गुरु उत्तरकथनं राजे वोजी० जेजीवते ले करी का दिक नालानने।
विविनय१०
भक्ति
ठ
एयाए गाने ते जीवे किंजल || गुरु साम्मियस्याविलयपवित्रिजइ वियपमिवन्नेय एजीवे / अचा विनाश करते ही या सात २० नारकी तितिर्यन १० मनुष्यनी देवदेवता नि०निरंतर ३० की सिंग्य रूना नोदीपावली ममनुमाने | नानकरेए वो आचार बै नीजोजोनी पर्ने नीर्गत से | भक्तिमानले करवाना पुरलेले करी | दे० देवतानी सायएसीले जेनोते नश्यतिरिय जोलियम पुरसदेवगाइनं निरूं वजन एजति बजमा गया एया माफ रसदेव सिम्मीद तिमीमार्गज्ञानदर्स / १०१ दि०दिन स० [सर्व कार्यश्व विज्ञानादि नादिकले दने वि०६ करे सत्य यल कना कार्यसा निवायै सगुन निबंध सिहिंसो वसोदे | पसादियजाई । सबका सादे जोवेकरीभंदेश ज्यजी० जीव किं० कि मा०याने नि०नियागो मिमियाल दर्शनस सपनी परेस के लो
| पुण्सप्रतिनिवनि रंतर बोधे
अने。णाली जीन विविनयने यहि रावलदार
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आण्यालो बेकरी
यदवे जी वियइसा ! मोमोक्षतानिवि० | विनोकरदार
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[सं०] पर जैइम शिष्य के रूक देवे भव|४| आलोयणमा एवं तेजीवे किंजला आलोय याए एंगं मायानिया एमिचादंसणसवाएं | मोरमग्गवि ( उद्दरण करे उ• सरल लो उधरेवा जयपराजे
अनंत-संसार
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लवन 90वि०सीवेदन
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घा अांतसंसारवृ६लाएं उद्दरणंकरेश अनुमान जायनावेपमिवन्तेयाणजीवेमा विव्यपाश्रमानादोषाणी आत्मासंघातेापती निंपनी निंदा करवेकरी पदा १०१चा पुंसक वेदना कर्मच | निंदा करने की नवदेज्जी० जीव किं० जण्ड१ एमे भूमो की धोएड्वो वाताव माईते नि०मिर्जरप जेरमशिष्य वापसी शुरू उत्तर देने निपजावेदनो सक्वेयंचबंध ७३ वर्णनिज्रेशनिंद याए भेतेजीवे किंजय निंट्याए पचाता वंजय/पचाफ
बांध ३
तापकर बेकरी
गुरुसा०साधर्मिकनी सुन्नतिकरवेकरी
उसन१लो १०१ हिज्जे जी० ते जीव मायारदित
साकिने सुभगत करवेकरीनं देशानी जीव
इ०विदया नैननपुंसक
इचीवेयंनपुं
॥२०४॥

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