Book Title: Uttaradhyayana Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Girdharlal
Publisher: ZZZ Unknown
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संसाररूपी प्रवी किमेलंये मो
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दिवेविनीत नोकदेवे पर करीली स्वण्मनियार बदलने जो जेना तीथको किण्डम
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ती०पराणोसे० तेखे | ए०एक गलियारबलद ९० भूतनी नांगलि तेते वे भूलने करमे कंग पारनदमारतो 90gमानेंविधे लीया किलिस्सा समादिचवे तोतय से मंजर एसमि ए०एक गलीयारक्तदनि०एक गलीया २२ | 3०नुदके कब्जे सर्तमाया सदि १००पसा लदबेमेनि०एक मकानी परे ० तरुणी गायने एके पासाभर लीयारबदसूर्वे ठेक्काप गोपपासेणं निवेस निवज्न नक्कु इन फिश सदाले गदी देवीनेंसन्मुषसाद ०वेगेकी उता बिष्ट जातीनोगलीयो ऽण्डतको नया क्लोपनासै६ सदबिंबेदीनें सिवासि जेक धूसरो
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५ मामुपम गप्प || मटारके ए विद्वान् । वेगेयपदावबिन्ला निंदर सिद्धि | तेज सेन्तेपिलागलीयोबलद उतना मांदियीन खण्डनीयाखनदजा०जेद ऊशिष्यविलनिये जो० जीता ६०धर्मरू भ० साचेमनेश्व |सामा फामा करीने (कस्मीने पवनासीजाई 9 जोजोतपाका तातेवाइ पायजामामाने विषेशविनदीधि० गं सेवियस समयाला उदिता१जाय ७ | रक्काजारिसा जो ज्ना | इस्सी साविता रिसा जोइया धम्मजाणंमि | नज्जति दिर्वीलुका ए०एक को एक ऊ शिष्पहार०मी सा० साता नागाण्डा हे ए०एकको एकऊशिष्म |दनामूली अधी रेकरीसहित मधुरादिकस्वादनोपको कारसहित ए० ०छला का जल गे विनयका ककोएकऊशिष्य सनास्वादना गाकारसहित कको एक अवनीत को० को पर्वत बिलाइटीगार दिए | एगो खरसगारवे साया गारविएंगे एगेस चिरको दो (एए) भिरकाल सिएएंगे एगेनमा लमि तो एव एक कोए कक दे-देने का का सोबते कशिष्य० | दोताोल्पा वार्या १० विपरीत करेण्वा शिष्य तें रोकरी सोहमद गुरु जातिका मंदिपोरकादो तेववचनसीया रंवारतेक शिष्यपुरुता | कारवंत देवको रेविना बो बजय कदे मरूप वनजिम विपरीत करे रुथरे एगंचा सासंमि देवहिंकारणेदिय २० सो विद्यां तर मा सिद्धी। दो समेव पच् या यरियातं वय | पमि लेड्छनि
नियनिज्ञानविवे प्रायजसवंत ए०एकऊविष्ण
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संसारोक्त वनदनेदि०पराली नीरेकरी दी 20
वारंवार
को एक जो० जोते गामादिकवि
• एक गलीयार वनदनं नोने
समावि नो उद्देगल वे वेदे

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