Book Title: Uttaradhyayana Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Girdharlal
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 156
________________ च०श्चिरे/१०मनीवरेवा सप्सतरेनेदेसंजमेकरीavaननिवारेनि०म०मोटीव्यवीमा अन्ततोगजिन्हीं कोविहां कंलाएम निगमईचण्यावरसं देकरीधर्मावरसंगधारोग दिनारोगऊपले रूखनाथमीयासे गनेता तिवारेविय नवरायन८० हाम्चशमिगो एवंद्यामंरिस्सालिसेनमेातवेण्या गाजयामिगस्सध्यायको महारमिजाटायछतसरकालमिकोणताहa कीगलव कोलसेन्तेहान को ऊंणसन्ते कोकलते याणीनें१० ज०जिनारसे०ते रोगी धगमनासिबारेमजागोव कर 303थदिईने मुन्मुगिनेनभातपा०पाणी यापेयेसषीहो गीवरीगनी निदान निवारणकोवासेसईदेशकोदासेसुद कोसेनतंवणणंच आहारिनुqMROIGOजयायसेसही होतियागोगों क्षजविणा मनातसादिकपा कवनगहनक्षेकक्षिकसनिहा रवाधिणादिवाइने वन्यनगहनदेवादिक मिमगनोजवरचीवएगा गपळेनानि दिकविहाना बालमिजाये सरोवरकतिहागनाईटर पायावादी इंतिहांस०सरोवस्तेवि चयनरावरीने सेवाने यापणीरदिवाना। टाईमपास्साएवज्ञलिसराणियापरवाश्नावाणियंपावजरेसिरोहिया निगवारियंवरिताणं गइनिगा भूमिकाने ९०ममृगनीवरेसंजमने/१०ममगनीपरेसाकण्यरोस्थानके किर मि०एमनीपरे गोवरीयेव नदेवजोकेतामोक्षगति जयनिमनि०मृगएकलो विवश विषेसन्ध्यमवंतनिष्यता तोरदेअतिवंजतीबैतेनशीएकरम्यान विचरीनेगवसिवान पणजाइंदिवचीदिसेबर अपराभवरतोयको विच रियाशिएवंसमुडिजिरक एवमेवबणेगगो कनोपति धनकर निगचारियंचरितारपक्काइदिसंज् जहामिएएगभग विमानतीसावद्याला अघणेस्थानके मृगकसोरविमानतीविणवणेस्थानकेव एमगनीवरेण्सा । नोमाआहारमाटै नलीएकोयरेविज्ञानला सैरहेएक स्थानकेवतियकरीनरदेहजिमगसदा गो० गोचरीइंगयो रहस्यनेहालेनही घलेयरेक्विरेनिक्षा विणादिकनीगोवरीकरैलिमसदारजतीगोगोवरीक Vथको नोनिंदानकरैछ चारी लेतीशको अणेगवासेश्वगोयरेयारीनेसंजम निर्वाहकर एवंमलीगोयरियंपविहानोव्हीलानोवियरिखंसएला। मिन्मापुक्कहोगवर्यारू/एकमातादिककोजोमसनमवधिमुबी अमातावि०विताईन्दी जन्ताले०परीषदतण्दी मिमृगचर संजमयका क्व०संजमशावरस्व होयतोखबहेश्वजजिमकनेस सुपछा ज्ञानीयाज्ञादीबेथके क्षानीधाज्ञादीमीतिवारपतीय चस्मामृगावकहो पछानिगारिवरिस्सानिएवंताजन्हामुळे यतिमकर यम्माविनदिएकनाजव्हाइववाहितमायामिंगचारियंचरिस्साशि समसऊसातारूपजपनीविन्देमातालमेदीक्षानी गापमानादिके कहोजाण्हेचएमसोन्तेगा । दीक्षानीयाज्ञा AORE सकानणदारीमृगवशिश्वरम आजादीशवितोहंदीक्षाले नानिममु०सुषधातिमकर मातापितानेसलीये मीवघरोपकारे तानाव सबउरकनिमोरकणिशदिमकन्नासं गनदास पाएवंसोअम्मापियरो अफम्माणिताणिबजविदं ममत ||७||

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