Book Title: Upang Prakirnak Sutra Vishaykram
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri
Publisher: Jain Pustak Pracharak Samstha

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Page 3
________________ णमोऽत्थु णं समणस्स भगवओ महावीरस्स श्रीआगमोद्धारसंग्रहे भागः २ सूय०२३ जं०२५ रा०२० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ॥१॥ नि० २६ प्रकी०२७ औपपातिकाजुपांगानां चतुःशरणादिप्रकीर्णकदशकस्य च सूत्रगाथाउकारादिः सूत्राद्यादि आगमांकः सूत्राधकः २६-२ अइदुल्लहमेसजं अउणाणउइ सहस्सा अउणासीइ सहस्सा अकसाइणो सब्वत्थोवा अक्कंडेऽचिरभावि अकित्ताणं समुग्घायं अगणि जो मुक्खसुहं 1 अगंतूर्ण समुग्धातं अगीअत्थस्स वयणेणं |-अग्गिम्मिय उदयम्मिय २७-८०१ । | अग्गिस्स दाहिणे पासे २७-११३४ | अचम्भुयगुणवंते २५-१ | अच्छिनिमीलियमेतं २१-९३ | अच्छि पब्वं बलिमोडओ २७-११६ | अच्छिमलो कन्नमलो १९-८ | अच्छे अ सूरियावत्ते २९-४१३ | अच्छेरयं च लोए २२-२३० | अजयणाए पकुब्वंति २७-८२९ | अजीवपरिणामेणं० कतिविधे २२-१८४सू० २७-१५२१ अजीवपजवाणं भंते! काविहा २२-११८सू० अजोरुह वोडाणे २२-४१ २७-२१ अज्झयणमिणं चित्तं २२-५ २१-२१ अञ्झवसाणविसुद्धी २७-२४२१ अदृदुहट्टियचित्ता १९-५ २७-५६८ | अट्ठमयठाणजड्ढो २७-६२८ २५-६७ | अट्ठविहकम्ममूलक २७-७०२ २७-१५८२ | अट्ट सए आसीए २७-२०१२

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