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स्तूप पर विसेंट ए स्मिथ ने डॉ० फूहरर् के बाद उसके द्वारा तैयार की गई प्लेट ओर विवरण को सन् १९०० में प्रकाशित कराया है। लखनऊ म्यूजियम के केटेलोग में भी बहुत सी जानकारी उपलब्ध है। ४. नांदसा यूप लेख संबंधी विवरण के लिए मरू भारती, पिलानी में प्रकाशित हमारा
लेख-'राजस्थान प्रदेश का प्रथमगण प्रमुख सोहर्ष सोगि सोम' देखें। ५. २४ तीर्थंकरों की परंपरागत आयु ऋषभ से शांतिनाथ तक मुहूर्तों में दी है जो
लाखों में है । कंथुनाथ से नेमिनाथ तक की परम्परागत वय अहोरात्रों में परिगणित है जो हजारों के अंकों में है जबकि पार्श्वनाथ और महावीर की आयु वर्षों में है। ऐसा हमारा अनुमान है । क्योंकि प्राचीन काल में वय को एक जैसी संख्या में बदलकर लिखा जाता था जैसे ५५ वर्ष, तीन ऋतु, एक माह, १ पक्ष, ११ अहोरात्र
और २३ मुहूर्त के जीवन काल को एक संख्या में परिवर्तन से यह आयु ६०,१,१०३ मुहूत्तं अथवा ३,६३,९७,०८० प्राण तुल्य होगी। इसी प्रकार उक्त आयु आदि सबको वर्षों में बदलने पर ६७१६ वर्ष ७ माह ६ अहोरात्र और २० मुहूर्त प्राप्त होते हैं । यह महावीर निर्माण तक का काल है।
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वण २३, अंक १
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