Book Title: Tirthankar Mahavira aur Unke Das Dharma
Author(s): Bhagchandra Jain Bhaskar
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 6
________________ प्रकाशकीय आज के व्यस्तता भरे जीवन में पर्युषण पर्व जैसे आध्यात्मिक पर्व की उपयोगिता असन्दिग्ध है। व्यक्ति चौबीस घण्टे और बारहों महीने तो दुनियादारी में आकण्ठमग्न रहता है पर वह आध्यात्मिक कार्यों के लिए समय नहीं निकाल पाता है। किसी न किसी बहाने वह उनसे दूर-सा बना रहता है। पर्युषण पर्व एक ऐसा पर्व है जिसमें प्राय: हर व्यक्ति किसी न किसी रूप मे अपने आपको अध्यात्म से जोड़ लेता है। मन्दिर या स्थानक में जाकर वह तीर्थङ्कर ऋषभदेव और महावीर जैसे आध्यात्मिक महापुरुषों के जीवनचरित को सन्तों से सुनता है तथा उनके द्वारा प्रवेदित धर्मों के विवेचन पर चिन्तन करता है। इससे जीवन के यथार्थ स्वरूप को समझने का सुनहला अवसर मिल जाता है। हमारे संस्थान के कुशल निदेशक डॉ० भागचन्द्र जैन भास्कर द्वारा लिखित 'तीर्थङ्कर महावीर और उनके दश धर्म' पुस्तक इसी उद्देश्य से समाज के समक्ष प्रस्तुत की जा रही है। आशा है, पाठकगण इस पुस्तक से लाभान्वित होंगे। पुस्तक को इस रूप तक पहुंचाने में डॉ० शिवप्रसाद एवं डॉ० विजयकुमार जैन ने अपना अमूल्य सहयोग दिया है, एतदर्थ हम उनके आभारी हैं। इसी तरह अक्षर-सज्जा के लिए सर्वश्री सरिता कम्प्यूटर्स तथा सुन्दर मुद्रण के लिए वर्द्धमान मुद्रणालय को भी हम धन्यवाद देते हैं। पार्श्वनाथ निर्वाण दिवस दिनांक १८.८.१९९९ भूपेन्द्रनाथ जैन मानद सचिव पार्श्वनाथ विद्यापीठ वाराणसी-५ Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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