Book Title: Tirthankar Charitra Part 2 Author(s): Ratanlal Doshi Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh View full book textPage 5
________________ द्वितीयावृत्ति के विषय में निवेदन तीर्थकर चरित्र भाग २ की प्रथमावृत्ति विक्रम संवत् २०३२ में संघ द्वारा प्रका शित हुई । कथानुयोग का विषय होने के कारण ज्यों-ज्यों समाज में इसका प्रचार हुना, त्यों-त्यों इसकी लोकप्रियता बढ़ती गयी, फलस्वरूप कुछ ही वर्षों में यह पुस्तक अप्राप्य हो गयी । धर्मप्रेमी पाठकों की ओर से इसके पुनर्प्रकाशन की मांग बनी रही, कई पाठकों की ओर से शीघ्र मुद्रण चालू नहीं करने के कारण उपालंभ भरे पत्र भी प्राप्त हुए पर भगवती सूत्र के संपूर्ण सेट ( ७ भागों ) का पुनर्प्रकाशन का कार्य चल रहा था, अतः बिलम्ब हुआ । तीर्थकर चरित्र भाग ३ भी अप्राप्य हो चुका है। उसका भी शीघ्र पुनर्मुद्रण चालू करना है । तीसरा भाग छपने के बाद तीनों भागों का संपूर्ण सेट ही बेचा जायगा, पृथक्पृथक् भाग नहीं । कागज, स्याही आदि की मूल्य वृद्धि के कारण लागत खर्च बढ़ा ही है । इस आवृत्ति का मूल्य भी लागत खर्च जितमा ही रखा जा रहा है । धर्मप्रेमी महानुभाव चिर प्रतिक्षित इस द्वितीयावृत्ति से लाभान्विल होंगे, इसी शुभेच्छा के साथ सैलाना (म. प्र. ) ५ फरबरी १६८८ Jain Education International For Private & Personal Use Only विनीत--- पारसमल चण्डालिया www.jainelibrary.orgPage Navigation
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