Book Title: Tidantarnavatarani
Author(s): Dhanvada Gopalkrishnacharya Somayaji
Publisher: E J Lazarus and Co
View full book text
________________
३६
तितावतरणि:-शकारादिपरस्मैपदानि ।
द्विः अयोध्यता अश्रोष्यतं. अश्रोष्याव ब. अश्रोष्यन् । अश्रोष्यत अश्रोष्याम शु-धातोहेतुमगिणच- लद
म. ए. श्रावति-श्रावयते शिवत-अशुश्रवत् शु-धातोस्सन्- शुश्रर्षात श्रु-धातोर्यङ्- शोश्रयते शु-धातोर्यङ् लुक- शोश्रवीति-शोश्रोति शिघि-आघ्राणे- शिंतिशील-समाधी- शीलति शल-रुजायां संघातेच-शलति शव-गती- शर्वात शंशु-हिंसायां- शंसतिशदल-शातने- विशीर्णतायामयं- शीयते- शेदिथ- शशद्ध
शत्ता- शयति- शीयतां- अशीयत- शीयेत
शयात्- अशदत्- प्रशस्यत्- शेषंधाधातुवत् सध-उंदने- शर्धति शु-श्रवणे- श्रृणोति- श्रुणुवः- शृण्व:- शुश्रवतुः शुविध
शुश्रोथ- श्रोता- अणु- अणवानि श्रुणुयात- अयात्
अश्रौषीत - अश्रोष्यत्- रतिशप अथ लुक- श्रा-पाके- लट्- अाति- शेषवाधातुवत शवस-प्राणने- लट्
लद लह, म. ए. वसिति-श्वसंति सिता पखसीत् -अश्वसत्
लिङ, लुङ, प्र• ए• श्वस्यात् अश्वसीत् सासु-अनुशिष्टी- लद लिद लुट् सूद
प्र. ए. शास्ति सशास शासिता शासिति ... द्वि. शिष्टाः ...... ब. शासति
शशासतुः

Page Navigation
1 ... 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620