Book Title: Tidantarnavatarani
Author(s): Dhanvada Gopalkrishnacharya Somayaji
Publisher: E J Lazarus and Co

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Page 617
________________ १७६ ही लज्जायां - sivation is atibo pos iv jio is प्र. ग्रहष्यत् होष्यतां होण्यन् प्र. तिङन्तावतरणि:- हकारादिपरस्मैपदानि । निहाति निहीतः निहियति प्र. जियांचकार विहयांचक्रतुः जियांच निहाय जिहेयतुः निहियुः हाक त्यागे लुट् प्र. ए. हेता ि प्र. ए. बिहियात् प्र. जहाति नहित: - बहीत: वहति जहा जहतुः नहुः सृङ म. अहोष्यः होतं होण्य लट् म. जिद्वेषि निहीथः निहीथ लिट् म. नियांचकर्थ नियांचक्रथुः जियांचक्र निहियथुः जिहिय सद् प्र. निहियिथ-निथ जिहाय- जिहय निहियव निडियिम सुद लाद हेष्यति बिहेतु विहितात् आशीर्लिंड, लुङ् हिया - जहासि नाथ:- नहीथः नहिथ नहीथ लिट् म. जह - बहिथ - हाथ हथुः उ. प्रहष्यं होण्याव होण्याम उ. जिहमि जिहीव: जिहीमः उ. नियांचकार- चकर जियांचga जियांचलम पीत उ. हामि उ. लड़ अनित लूद अहष्यत् नाव:- बहवः नहीम: - हिम: नही नहिव ब्राहिम

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