Book Title: Tidantarnavatarani
Author(s): Dhanvada Gopalkrishnacharya Somayaji
Publisher: E J Lazarus and Co

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Page 583
________________ ५४२ तिङन्तार्णवतरणिः-शकारामात्मनेपदानि ।। श्लोक-संघाते- शोकते- शेषलोवृधातुवत् अकि-गती- अंकते- शेषंधिधातुवत श्लगि-गती- श्लंगते- शेषपूर्ववत् कि-शंकायां- शंकते- शेषपर्ववत कि गत्यर्थः खंकते- शेषं पूर्ववत् श्लाघु-कथने श्लाघतेशव-व्यक्तायांवाचि- शचते- शेचे खच-गती- वचतेस्वचि-गती- लट् लिट् लुट रह प्रः ए. खांचते- शश्वंचे- चिता- अविष्यत . घडि-रुजायांसंघातेच- लट् शंडते-शेषंकिधातुवत् थाइ-संघाते-श्लाघायां-शाडते-शेषंश्लाघृधातुवत भीम-करने- लट् शीभते- शेषंशीकृधातुवत् भल्भ-कळने- लट् शल्भते शेषवल्मधातुवत् अंभु-प्रमादे- लद अंभते शेषंभंशुधातुबत् शल-संवरणे- लट् शलते शेषशचधातुवत् शेव-शेचने- लट् शेवते शेषंशचधातुवत् शित-विद्यापादाने-शिक्षते शेषंचितधातुवत् आश्शासु-इच्छायां- आशासते- शेषंशाइधातुवत् विता-वरणे- खेतते- शेषंजमिधातुवत् शुभ-दीप्ती- शोभते- शेषंटटधातुवत् उ. शुधु-शब्दकुत्सायां श्लोधते-श्लोति शेषपूर्ववत् त्रिज-शेवायां म. अयते अयसे श्रये श्रयेत येथे श्रयन्ते श्रयध्ये श्रयामहे .. लिट् श्रयावहे शिश्रिये द्विः श्रियाते शिबियर शिश्रियिषे যিস্মিথ थिनिषिध्ये য়িস্মিথ शियिवह शिप्रियिमहे ।।

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