Book Title: Tattvartha Sutra
Author(s): Umaswati, Umaswami, Kailashchandra Shastri
Publisher: Prakashchandra evam Sulochana Jain USA

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Page 8
________________ D:\VIPUL\B001.PM65 (8) (तत्त्वार्थ सूत्र ###### ######अध्याय -D योनि के भेद गर्भ जन्म के स्वामी उपपाद जन्म के स्वामी पांच शरीरों का वर्णन शरीरों में स्थूल और सूक्ष्मपन तैजस और कार्मण के विषय में विशेष कथन एक साथ हो सकने वाले शरीरों की संख्या निरुपभोग और सोपभोग की चर्चा किस जन्म से कौन शरीर होता है तप के प्रभाव से होने वाले शरीर आहारक शरीर का स्वरूप लिंग का विभाग पूरी आयु भोगकर मरने वाले जीव अकाल मरण क्या है भुज्यमान आयु बढ़ नहीं सकती तत्त्वार्थ सूत्र * ************अध्याय - द्वीप और समुद्र द्वीप और समुद्रों का विस्तार जम्बूद्वीप, उसके क्षेत्र और पर्वतों का वर्णन सुमेरु पर्वत का वर्णन पर्वतों पर स्थित तालाबों का वर्णन उनसे निकलने वाली नदियों का वर्णन भरत क्षेत्र का विस्तार अन्य क्षेत्रों और पर्वतों का विस्तार कालकृत हानि वृद्धि छह कालों का वर्णन हैमवत आदि क्षेत्र के मनुष्यों की स्थिति विदेह क्षेत्र के मनुष्यों की स्थिति धातकी खण्ड का वर्णन पुष्करार्ध का वर्णन मनुष्यों के भेद कर्मभूमि और भोगभूमि मनुष्यों की आयु पल्योपम काल का वर्णन तिर्यंञ्चों की आयु तृतीय अध्याय अधो लोक का वर्णन सात भूमिया और तीन वातवलय पहली भूमि की मोटाई और उसके तीन भाग शेष भूमियों की मोटाई वगैरह भूमियों में बिलों की संख्या प्रत्येक भूमि में पटलों की संख्या प्रत्येक पटल में बिलों का विभाग, बिलों का विस्तार नारकियों का वर्णन नरक में दुःख नारकियों की आयु मध्यलोक का वर्णन चतुर्थ अध्याय देवों के चार निकाय चार निकायों के भेद चार निकायों के अवान्तर भेद दो निकायों में इन्द्रों की संख्या देवों में काम सेवन का प्रकार भवनवासी देवों के भेद व्यन्तर देवों के भेद

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