Book Title: Sudha Sanchit
Author(s): Revashankar Vaidya
Publisher: Revashankar Vaidya
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(५५०१
प
१३८
१८
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अनुक्रमि
'रोगो
बारीनाही स्वाथ.
२४४।
१४५
१४
श्रा
५०
१२३ अतः संन्त्री पातनां सक्षएग १२४ अथ बुडुद्दा हुसने पातनांसक्षरंग. १३ तेपरीरज्याही स्वाद. १२५ श्री पीतलूंमसंन्त्रीपातनांलक्षण दर १२७ तेपर लाम्याश्वायै.
दा
दुश
पशीलांग संन्त्रीपातनांसक्षाएग. दुर १२ अथ तंद्रीसंन्त्रीपातनांसक्षरग तथा दुर हेनोस्वाय
१३.
दुर
१३१ अथ रंगुन संन्त्रीपातनांजीएग दुउ तेपररीश्वापैः
३
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१३४
133 श्रथ एडिसन्नीपातनांसाएग- तथा दुर हेनोउपाय १३५ अथ मुगंधी को गांजायेतेना ४ परलैप स्वानो
33
35
३४
१३७ अथ लुझनेत्र संन्त्रीपातनां लक्षएा-ते ९४ परनीजाही स्वाथ.
कुरु
रक्तष्टीची संन्नीपातनां लक्षए। ९५ तेपर मंहनादीम्याय.
दुभु
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૧૦
१४१ अथ प्रसापेन्नेपातनांसक्षएा. हेनो स्वाध
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१४ अये लद्धा संन्त्रीपातनांसक्षणलेपर अमृताही स्वार्थ. श्रलीन्यासन्ने पातनां खतएा
हेनो स्वाथ
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५०
५५
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