Book Title: Stotratrayi Saklarhat Stotra Virjin Stotra Mahadeo Stotra
Author(s): Hemchandracharya, Kirtichandravijay, Prabodhchandravijay
Publisher: Bhailalbhai Ambalal Petladwala

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Page 51
________________ श्रीवीरजिनस्तोत्रम् अन्तरंग दोषोंके दूर करनेवाले ही वास्तविक रक्षक हैं—यह आशय है)॥ ४ ॥ इति श्रीवीरजिनस्तोत्रे तपोगच्छाधिपति-शासनसम्राट्-कदम्बगिरिप्रभृत्यनेकतीर्थोद्धारकबालब्रह्मचार्याचार्यवर्यश्रीमद्विजयनेमिसूरीश्वरपट्टालकार-समयज्ञ-शान्तमूर्त्याचार्यवर्यश्रीविजयविज्ञानसूरीश्वरपट्टधर-सिद्धान्तमहोदधि-प्राकृतविद्विशारदाचार्यवर्यश्रीविजयकस्तूरसूरीश्वरशिष्य-पन्या सश्रीकीर्तिचन्द्रविजयगणिविरचितः कीर्तिकलाख्यहिन्दीभाषाऽनुवादः समाप्तः॥ .. ॥ श्रीरस्तु ॥ शुभं भवतु ॥ MITTINOD HTRA

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