Book Title: Stotratrayi Saklarhat Stotra Virjin Stotra Mahadeo Stotra
Author(s): Hemchandracharya, Kirtichandravijay, Prabodhchandravijay
Publisher: Bhailalbhai Ambalal Petladwala

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Page 77
________________ महादेवस्तोत्रम् / जन्मनक्षत्र अभिजित् है । ऐसी स्थितिमें एकमूर्ति कैसे हो सकती है ? | ( एक व्यक्तिके हीं भिन्न भिन्न माता पिता तथा जन्म नक्षत्र नहीं होते । इसलिये ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश्वर एक मूर्त्तिके तीन भाग नहीं हैं - ऐसा अभिप्राय है । पुराणमें प्रजापति के पुत्रको ब्रह्माका अवतार कहा गया है । उसके अनुसार यहां माता पिता आदिका उल्लेख है । ऐसे तो ब्रह्मा विष्णु के नाभिकमलसे उत्पन्न तथा सृष्टिके कर्त्ता माने जाने हैं - यह ध्यान देने योग्य है ) ॥ २३ ॥ २४ वसुदेवसुतो विष्णुर्माता च देवकी स्मृता । रोहिणी जन्मनक्षत्रमेकमूर्त्तिः कथं भवेत् ॥ २४ ॥ " पदार्थ – विष्णुः = विष्णु नामके देव-कृष्ण, वसुदेवसुतः = वसुदेवनामक राजाके पुत्र हैं । च=तथा माता = कृष्णकी माता, देवकी - देवकी नामकी, स्मृता = कही गयी है । |_जन्मनक्षत्रम्= कृष्णके जन्म समयका नक्षत्र, रोहिणी = रोहिणी नामका है । तो एकमूर्त्तिः = एकमूर्ति, कथम् - कैसे, भवेत् ? = हो सकती है ? ॥२४॥ भावार्थ – विष्णु वसुदेव राजाके पुत्र हैं, उनकी माताका नाम देवकी है, और उनका जन्मनक्षत्र रोहिणी है । ऐसी स्थितिमें एकमूर्ति तीन भाग कैसे हो सकते हैं ? । ( एक हीं व्यक्तिके अनेक माता पिता नहीं हो सकते । इसलिये एक मूर्त्ति तीन भाग कहना असंगत है । पुराणों में कृष्णको विष्णुका अवतार कहा गया है । तदनुसार यहाँ उपर्युक्त बातें कही गयीं हैं यह जानना चाहिये ) ॥ २४ ॥ ·

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