Book Title: Sramana 2014 04
Author(s): Ashokkumar Singh, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

View full book text
Previous | Next

Page 37
________________ २०. वही 32 : श्रमण, वर्ष 65, अंक 2/अप्रैल-जून 2014 १३. तत्त्वार्थसूत्र, उपरोक्त, ७/६, पृ. xxVII १४. रत्नकरण्डश्रावकाचार, उपरोक्त, श्लोक ५९, पृ. ११३ १५. तत्वार्थसूत्र, उपरोक्त, ७/२८, पृ. XXVIII १६. वही, ७/७, पृ. XXVII उत्तराध्ययनसूत्र, व्याख्याकार - आचार्य आत्माराम जी महा., सम्पा. आचार्य शिवमुनि जी महा., आत्म-ज्ञान-श्रमण-शिव, आगम प्रकाशन समिति, लुधियाना तथा भगवान महावीर मेडिटेशन एण्ड रिसर्च सेन्टर, दिल्ली, २००३, ९/४८, पृ. ३३५ १८. रत्नकरण्डश्रावकाचार, उपरोक्त, श्लोक ६१, पृ. ११६ तत्त्वार्थसूत्र, उपरोक्त, ७/२९, पृ. XXVII वही, ७/८, पृ. XXVII मेहता, डा० मोहनलाल, जैन आचार, पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी, द्वितीय संस्करण, २०१२, पृ० ८५ रत्नकरण्डश्रावकाचार, उपरोक्त, श्लोक ६७, पृ. १४४ धर्मसंग्रहश्रावकाचार, ५३/७ वही, ५३/७ रत्नकरण्डश्रावकाचार, उपरोक्त, श्लोक ७५, पृ. १५४ वही, श्लोक ८१, पृ. १६१ वही, श्लोक ९१, पृ. १७३ २८. सागारधर्मामृत, पं. आशाधर, सम्पा. अनु. - पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री, भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन, १९४४, ५/२७, पृ. २२९ रत्नकरण्डश्रावकाचार, श्लोक १०५, उपरोक्त, पृ. १८९ सागारधर्मामृत, उपरोक्त, ५/३४, पृ. २३६ पुरुषार्थसिद्ध्युपाय, अमृतचन्द्र सूरि, अनु. विजय कुमार जैन, विकल्प प्रिण्टर्स, देहरादून, २०१२, श्लोक १७९, पृ. ११७ । मेहता, डॉ. मोहन लाल, जैन आचार, उपरोक्त, पृ० १५२ जैन, डॉ. सागरमल, जैन, बौद्ध तथा गीता के आचार दर्शनों का तुलनात्मक अध्ययन, राजस्थान प्राकृत भारती संस्थान, जयपुर, १९८२, पृ० ३२३ ३३. *****

Loading...

Page Navigation
1 ... 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98